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NRC पर सियासी दंगल: मायावती बोलीं- दस्तावेज नहीं तो क्या लोगों को देश से निकालेंगे

इस मुद्दे पर बयानबाजी तेज हो रही है. विपक्ष ने सरकार को घेरा है तो वहीं बीजेपी भी आक्रामक रूप से इस मुद्दे को भुनाने में लगी है.

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बसपा सुप्रीमो मायावती (फाइल फोटो)
बसपा सुप्रीमो मायावती (फाइल फोटो)

असम में नागरिकता की पहचान माने जाने वाले राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) का दूसरा ड्राफ्ट जारी होने के बाद इस पर राजनीति तेज हो रही है. सरकार की ओर से इसका बचाव किया जा रहा है तो वहीं विपक्ष पूरी तरह आक्रामक रवैया अपनाए हुए है. NRC के मुद्दे पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी सरकार को घेरा है.

मंगलवार को बयान जारी करते हुए मायावती ने कहा कि असम में 40 लाख लोगों की नागरिकता को छीना गया है. अगर ये लोग पिछले काफी समय से वहां रह रहे हैं और अपने कागजात नहीं दे पाएं हैं तो फिर क्या आप उन्हें देश से निकाल देंगे. बता दें कि सिर्फ मायावती ही नहीं बल्कि विपक्ष के कई नेताओं ने इसमुद्दे पर सरकार का विरोध किया है.

संसद में भी उठा मुद्दा

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मंगलवार को इस मुद्दे पर राज्यसभा में भी चर्चा हुई. सपा सांसद रामगोपाल यादव ने चर्चा के दौरान कहा कि ऐसी चर्चा है कि जिनके पास सबूत हैं उनके भी नाम लिस्ट से काटे गए हैं.

यादव ने कहा कि संविधान के मुताबिक किसी को भी देश के किसी भी हिस्से में रहने का मौलिक अधिकार है जबकि लिस्ट में से बिहार, यूपी, हिन्दू, मुसलमान सभी के नाम काटे गए हैं, वो अब कहां जाएंगे. उन्होंने कहा कि जल्दबाजी में अगर किसी का नाम काट दिया जाएगा तो वह कहां जाएगा, क्योंकि वह कोई विदेशी तो है नहीं. 

BJP नेता दे रहे आक्रामक बयान

NRC मामले पर तेज राजनीति के बीच हैदराबाद से BJP विधायक राजा सिंह का एक भड़काऊ बयान सामने आया है. राजा सिंह ने कहा है कि जो अवैध बांग्लादेशी अपने देश वापस नहीं लौट रहे हैं, उन्हें गोली मार देनी चाहिए. आपको बता दें कि राजा सिंह हैदराबाद की गोशमहल विधानसभा से विधायक हैं.

राजा सिंह से पहले ही पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष कह चुके हैं कि अगर उनकी सरकार आती है तो असम की तरह ही बंगाल में भी NRC को लागू करेंगे.

बता दें कि असम में बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का अंतिम मसौदा सोमवार को जारी कर दिया गया. असम देश में एक मात्र ऐसा राज्य है जहां एनआरसी जारी किया गया है, जिसमें पूर्वोत्तर राज्य के कुल 3.29 करोड़ आवेदकों में से 2.89 करोड़ लोगों के नाम हैं. जबकि करीब 40 लाख लोग अवैध पाए गए हैं. 

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