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कर्नाटक में बजा चुनावी बिगुल, जानिए सीटों, वोटरों से लेकर सियासी गणित तक सब कुछ

कर्नाटक विधानसभा चुनाव की औपरचारिक घोषणा आज हो गई. राज्य की कुल 224 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान कर दिया है. कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला है तो जेडीएस सहित कई छोटी पार्टियां भी किस्मत आजमाने के लिए उतर रही हैं.

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बसवराज बोम्मई, डीके शिवकुमार, कुमारस्वामी
बसवराज बोम्मई, डीके शिवकुमार, कुमारस्वामी

कर्नाटक विधानसभा चुनाव का ऐलान हो गया है. कर्नाटक में एक चरण में 10 मई को वोटिंग होगी. 13 मई को वोटों की गिनती होगी. निर्वाचन आयोग ने बुधवार को प्रेस कॉफ्रेंस में इसकी घोषणा की. कर्नाटक विधानसभा चुनाव को अगले साल 2024 के लोकसभा चुनाव का लिटमस टेस्ट माना रहा है. इसके चलते सभी की निगाहें कर्नाटक चुनाव लगी है. कांग्रेस ने 124 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट पहले ही जारी कर दी है तो जेडीएस ने भी 94 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर रखा है. 

कर्नाटक के रण में किसके कितना दम?
कर्नाटक विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां काफी पहले से ही गरमा गई गई थी. राज्य की चुनावी बाजी जीतने के लिए बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस जैसी पार्टियों ने पूरी ताकत झोंक रखी है. मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के सहारे बीजेपी अपनी सत्ता को बचाए रखने की जद्दोजहद कर रही है तो कांग्रेस डीके शिवकुमार और सिद्धरमैया जैसे चेहरे के दम पर दोबारा से सत्ता में वापसी की कोशिश में लगी है. वहीं, कुमारस्वामी की अगुवाई में जेडीएस एक बार फिर से किंगमेकर बनने की कवायद में है. 

राज्य की कुल 224 सदस्यों की विधानसभा में चुनाव से पहले बीजेपी के कई नेताओं ने हाल ही में पाला बदलकर कांग्रेस का हाथ थाम लिया है. कर्नाटक की मौजूदा हालात को देखें तो साफ है कि इस बार सीधा मुकाबला बीजेपी-कांग्रेस के बीच होता दिख रहा है, लेकिन जेडीएस से लेकर आम आदमी पार्टी, बसपा और रेड्डी बंधु की पार्टी भी किस्मत आजमाने के लिए मैदान में हैं.

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कर्नाटक में विधानसभा की 224 सीटें
कर्नाटक में 30 जिले हैं और 224 विधानसभा सीटें है. राज्य की 224 सीटों में से 51 सीटें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. इसमें 36 विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति के लिए हैं तो 15 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व हैं. वहीं, 173 विधानसभा सीटें सामान्य वर्ग के लिए हैं.


कर्नाटक में कुल मतदाता 
कुल आबादी - 6.1 करोड़ 
कुल वोटर-    5.21 करोड़
महिला वोटर- 2.59 करोड़
पुरुष वोटर-  2.62 करोड़
थर्ड जेंडर-  6699 मतदाता

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कर्नाटक में पहली बार 9.17 लाख मतदाता वोटिंग में हिस्सा लेंगे. इस बार राज्य में 16,976 मतदाता ऐसे हैं, जो 100 साल की आयु पूरी कर चुके हैं जबकि 12.15 लाख मतदाता ऐसे हैं, जिनकी उम्र 80 साल से ज्यादा है. राज्य में 5.5 लाख वोटर दिव्यांग भी हैं. 

राज्य में कुल पोलिंग बूथ
कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के लिए इस बार करीब 58,272 पोलिंग बूथ बनाए जा रहे हैं, जिनमें 24,063 बूथ शहरी क्षेत्र में होंगे. इनमें 1320 बूथ ऐसे हैं जिन्हें महिलाएं मैनेज करेंगी और 224 बूथ युवाओं के लिए होंगे. 224 बूथ दिव्यांगों को मैनेज करने के लिए दिए जाएंगे. मतदान प्रक्रिया पर नजर रखने के लिए 29,141 बूथों की वेबकास्टिंग कराई जाएगी. इनमें 1200 बूथ ऐसे शामिल हैं जो अति संवेदनशील हैं.

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कर्नाटक में 2018 के नतीजे
कर्नाटक विधानसभा की कुल 224 सीटों में से कांग्रेस 38.14 फीसदी वोटों के साथ-साथ 80 सीटें जीती थीं तो बीजेपी को 36.35 फीसदी वोटों के साथ 104 सीटें मिली थी. जेडीएस 18.3 फीसदी फीसदी वोटों के साथ 37 सीटें जीती थी. इसके अलावा एक सीट बसपा और दो सीटें अन्य को मिली थी. बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन बहुमत के आंकड़ा नहीं पा सकी थी. 

बता दें कि 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 122 सीट मिली थी जबकि बीजेपी और जेडीएस को 40-40 सीटें मिली थी. 2013 के चुनाव तुलना में 2018 के चुनाव में कांग्रेस को 42 सीटों का नुकसान हुआ तो जेडीएस को 3 सीटों का घाटा हुआ था, लेकिन बीजेपी को 64 सीटों का फायदा मिला था. 

कर्नाटक में कैसे बनी सरकार?

2018 में नतीजे आने के बाद सदन में बीएस येदियुरप्पा बहुमत साबित नहीं कर पाए थे. इसके बाद जेडीएस और कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाया था और मुख्यमंत्री का ताज कुमारस्वामी के सिर सजा था. हालांकि, 2019 के चुनाव के बाद कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों के बगावत के बाद बीजेपी फिर से सरकार बनाने में कामयाब रही थी. येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन जुलाई 2021 में बीजेपी ने येदियुरप्पा को हटाकर बसवराज बोम्मई को सीएम बना दिया था. 

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कर्नाटक के जातीय समीकरण 
कर्नाटक की सियासत लिंगायत और वोक्कालिगा समुदाय के बीच सिमटी हुई है. लिंगायत करीब 16 फीसदी, वोक्कालिगा 11 फीसदी, दलित 19.5 फीसदी, अनुसूचित जनजाति 7 फीसदी, मुस्लिम 14 फीसदी, ईसाई 2 फीसदी, ओबीसी जातियों 16 फीसदी, कोरबा समुदाय 7 फीसदी, ब्राह्मण दो फीसदी, बौद्ध-जैन-सिख अल्पसंख्यक 2 फीसदी और अन्य जातियों में 2.5 फीसदी मतदाता हैं. 

कर्नाटक चुनाव में इस बार के मुद्दे
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस सहित सभी पार्टियां अपना-अपना एजेंडा सेट कर रही हैं. राज्य में सबसे बड़ा मुद्दा बेलागावी सीमा विवाद है, जो पिछले साल से छाया हुआ है. कर्नाटक में आरक्षण भी बड़ा मुद्दा बन गया है. मुस्लिम आरक्षण खत्म किए जाने के बाद दलितों के आरक्षण को चार हिस्सों में बाटे जाने के बाद बंजारा समुदाय बीजेपी के खिलाफ सड़क पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं. 

महाराष्ट्र के साथ चल रहा सीमा विवाद अब भी जारी है. इसका राज्य के सीमाई लोगों में असर है. भ्रष्टाचार की भी इस बार कर्नाटक में खूब चर्चा हो रही है. राज्य के ठेकेदारों ने इसे लेकर काफी आवाज पिछले दिनों में उठाई है. कर्नाटक राज्य ठेकेदार एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी चिट्ठी भेजकर कहा था कि बड़े पैमाने पर सिविल ठेकों में भ्रष्टाचार हो रहा है. इन लोगों ने सीधे-सीधे कई मंत्रियों की ओर अंगुली उठाई हुई है. कांग्रेस नेता खुलकर बीजेपी पर 40 फीसदी कमीशन की बात उठाकर घेर रहे हैं.

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कर्नाटक के स्कूलों की एसोसिएशन भी बासवराज बोम्मई सरकार से भ्रष्टाचार को लेकर खफा है. इसमें 13,000 से ज्यादा स्कूल हैं. कर्नाटक में बिटकॉन घोटाला बड़ा स्कैम बना हुआ है. कर्नाटक में किसानों से जुड़ा मुद्दा भी इस बार के चुनाव में है, खासकर साउथ कर्नाटक में जहां बारिश न होने से सूखे की मार किसान झेल रहे हैं. इसके अलावा मठों के भी अपने-अपने मुद्दे हैं, जो इस बार के चुनाव में छाए रहेंगे. 

कर्नाटक में सांप्रदायिकता का मुद्दा भी गरमा गया है, जिसमें अजान से लेकर हलाल मीट, नकाब, टीपू सुल्तान, मंदिर और हिंदू त्योहारों में मुस्लिमों के दुकानों का विरोध पूरे साल उठता रहा है. कांग्रेस का आरोप है कि चुनाव जीतने के लिए बीजेपी सांप्रदायिक माहौल बनाने की कोशिश कर रही है. 

कर्नाटक में सबके अपने गढ़
कर्नाटक छह रीजनों में बांट हुआ है और हर इलाके का चुनावी मूड अलग होता है और उनके सियासी आग्रह और रुझान भी अलग होते रहे हैं. आंध्र प्रदेश से सीमाएं जुड़ने वाला क्षेत्र हैदराबाद कर्नाटक तो महाराष्ट्र से लगे इस क्षेत्र को मुंबई कर्नाटक कहा जाता है. हैदराबाद कर्नाटक में 40 सीटें आती हैं तो मुंबई कर्नाटक में 44, तटीय क्षेत्र 19 सीटें, ओल्ड मैसूर में 66 सीट, सेंट्रल कर्नाटक में 27 सीट और बैंगलुरु क्षेत्र में 28 सीट हैं. तटीय कर्नाटक और मुंबई कर्नाटक में बीजेपी का पल्ला भारी था तो ओल्ड मैसूर में जेडीएस का दबदबा है तो हैदाराबाद कर्नाटक और बैंगलुरु क्षेत्र में कांग्रेस को बढ़त मिली थी.

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