कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 के सभी 224 सीटों के लिए 10 मई 2023 को मतदान हुआ (Karnataka Assembly Election 2023). वोटों की गिनती की जाएगी और नतीजे 13 मई 2023 को घोषित किए जाएंगे (Karnataka Assembly Election 2023 Result). चुनाव में 73 फीसदी मतदान हुआ, जो कर्नाटक में चुनाव के इतिहास में अब तक का सबसे अधिक रिकॉर्ड है. कर्नाटक विधानसभा का कार्यकाल 24 मई 2023 को समाप्त होने वाला है.
कर्नाटक एकमात्र दक्षिणी राज्य है जहां भाजपा सत्ता में रही है और यह 2018 के चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में अस्तित्व में थी, जिसने 224 सदस्यीय विधानमंडल में 104 सीटें प्राप्त कीं (BJP Government in Karnataka). भारत के चुनाव आयोग द्वारा घोषित कार्यक्रम के अनुसार, कर्नाटक चुनाव 2023 को एक ही चरण में आयोजित किया गया.
13 अप्रैल 2023 को राजपत्र अधिसूचना जारी की गई और 20 अप्रैल 2023 को नामांकन की अंतिम तिथि रखी गई. उम्मीदवारी वापस लेने की अंतिम तिथि 24 अप्रैल 2023 थी (Karnataka Assembly Election 2023 Schedule).
कर्नाटक राज्य में वर्तमान में 28 संसदीय सीटें और 224 विधानसभा क्षेत्र हैं. 224 विधानसभा सीटों में से 36 अनुसूचित जाति और 15 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं (Karnataka Assembly Election 2023 Parliamentary Seats).
पिछला विधानसभा चुनाव मई 2018 में हुआ था. चुनाव के बाद, जनता दल (सेक्युलर) और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गठबंधन ने राज्य सरकार बनाई, जिसमें एच.डी. कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बनाए गए थे (H. D. Kumaraswamy former CM, Karnataka).
जुलाई 2019 में, विधानसभा में INC और JD(S) के कई सदस्यों के इस्तीफे के कारण गठबंधन सरकार गिर गई. इसके बाद, भारतीय जनता पार्टी ने राज्य सरकार का गठन किया और बी.एस. येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री बनाया गए (B. S. Yediyurappa former CM Karnataka). 26 जुलाई 2021 को येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और बसवराज बोम्मई ने 28 जुलाई 2021 को नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली (Basavaraj Bommai CM Karnataka).
सिद्धारमैया की मुख्यमंत्री पद से विदाई पक्की लगने लगी है, क्योंकि उनका उत्तराधिकारी बनने की होड़ शुरू हो गई है. जाहिर है डीके शिवकुमार भी अपने जुगाड़ में लगेंगे ही - लेकिन कर्नाटक में मुख्यमंत्री तो तभी बदलेगा जब राहुल गांधी की मंजूरी मिलेगी.
कर्नाटक चुनाव के 2024 के आम चुनाव में कांग्रेस की भूमिका को लेकर बहस तेज हो गई है. कर्नाटक के चुनाव परिणाम और 2024 में कांग्रेस की भूमिका पर केरल के सीएम पी विजयन और सीपीआईएम के स्टेट सेक्रेटरी एमवी गोविंदन ने अलग-अलग बयान दिए हैं.
पिछले साल कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपने अभियान में पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की तस्वीर के साथ 'पेसीएम' क्यूआर कोड वाले पोस्टर लगाए थे. क्यूआर कोड स्कैन करने पर कांग्रेस की '40 परसेंट सरकरा' कैम्पेन वेबसाइट खुलती थी. दरअसल, यह वेबसाइट भाजपा के खिलाफ कांग्रेस के चुनावी अभियान का एक हिस्सा थी.
वसुंधरा राजे को राजस्थान की राजनीति में किनारे लगा दिये जाने को लेकर खूब चर्चा हो रही है. वैसे ही मध्य प्रदेश से शिवराज सिंह चौहान की छुट्टी कर दिये जाने तक का दावा किया जा रहा है - लेकिन तब क्या होगा, अगर बीजेपी के चुनाव जीतने के बाद ऐसे दावे हवा हो जायें?
ये बात जगजाहिर है. मौजूदा बीजेपी नेतृत्व को न तो वसुंधरा राजे पसंद हैं, न ही शिवराज सिंह चौहान - लेकिन, सवाल है कि क्या पसंद नापसंद के चक्कर में मोदी-शाह राजस्थान को भी कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश की तरह गंवा देना चाहेंगे?
मध्य प्रदेश चुनाव भी कांग्रेस कर्नाटक वाले तरीके से ही लड़ने जा रही है. चुनाव प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला की बातों से तो ऐसा ही लगता है - और ये भी लगता है कि बीजेपी को भी बचाव की मुद्रा में वैसे ही आना पड़ेगा.
शिवराज सिंह चौहान 'मामा' के नाम से मध्य प्रदेश की युवतियों और महिलाओं के साथ एक साथ स्नेह रिश्ता जोड़ते हैं. ये चुनावी रूप से भी फायदेमंद है. चुनाव से ठीक पहले उन्होंने 'लाड़ली बहना योजना' के जरिये महिलाओं के बैंक खातों में पैसा डालना शुरू किया. कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती है इस योजना से आकर्षित महिलाओं का ध्यान अपनी ओर खींचना.
विधानसभा में बजट के दौरान कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि 5 प्रमुख चुनावी गारंटियों को पूरा करने के लिए सालाना लगभग 52,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. इससे 1.3 करोड़ परिवारों को फायदा होने की उम्मीद है. उन्होंने बताया कि इन गारंटियों के माध्यम से प्रत्येक घर को हर महीने 4,000-5000 रुपये रु की वित्तीय सहायता मिलेगी.
कर्नाटक के पूर्व सीएम और जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी ने दावा किया है कि कर्नाटक में भी महाराष्ट्र वाली स्थिति बन रही है. कर्नाटक में ज्यादा समय नहीं लगेगा. सालभर के भीतर ही कांग्रेस सरकार गिरजाएगी. मैं यहां यह नहीं बताऊंगा कि अजित पवार कौन होंगे, लेकिन यह जल्द ही होगा.
कर्नाटक चुनाव के दौरान कांग्रेस ने अपनी 5 गारंटी में हर गरीब व्यक्ति को 10 किलो मुफ्त चावल देने का वादा किया था. लेकिन राज्य सरकार अब तक बीपीएल परिवारों के प्रत्येक सदस्य को केवल पांच किलो चावल ही उपलब्ध करा पाई है, जिसकी आपूर्ति केंद्र द्वारा की जा रही है. इसको लेकर बीजेपी लगातार सिद्धारमैया सरकार पर निशाना साध रही है.
सीएम सिद्धारमैया ने प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कहा कि हमने लोगों को पांच गारंटी दी थी, इन पांच गारंटी के संबंध में संबंधित अधिकारियों और वित्त विभाग के अधिकारियों ने एक साथ एक प्रेजेंटेशन दिया है. सभी मंत्रियों ने प्रेजेंटेशन देखा है, इसमें सभी विवरण हैं. इस पर चर्चा और निर्णय शुक्रवार को सुबह 11 बजे बुलाई गई कैबिनेट की बैठक में होगा.
KSRTC की ओर से सीएम सिद्धारमैया को लिखा गया कि बसों में महिलाओं को फ्री सफर जितना जल्दी हो सके उतनी जल्दी उसे लागू करा दीजिए. लेटर में आगे लिखा गया है कि हम जानते हैं कि आप इसे तुरंत लागू नहीं कर सकते, लेकिन ग्रामीण महिलाएं स्टाफ से बहस करती हैं.
कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बन गई है और सत्ता की कमान सिद्धारमैया को सौंप दी गई तो डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम बनाया गया है. हालांकि कैबिनेट विस्तार को लेकर पेंच फंसता दिख रहा है, जिसमें जातीय और क्षेत्रीय बैलेंस बनाने के साथ गुटों को भी साधे रखने की चुनौती है.
कांग्रेस ने चुनाव से पहले जनता को जो 5 गारंटी दी थीं, उनमें 200 यूनिट तक फ्री बिजली और सरकारी बसों में महिलाओं के लिए फ्री सफर की सुविधा भी शामिल है. लेकिन इन दोनों गारंटी को लेकर आम जनता और सरकारी विभागों के कर्मचारियों के बीच विवाद सामने आ रहे हैं.
पुलिस अधिकारियों को चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि आपका पिछला व्यवहार हमारी सरकार में नहीं होगा. मैं जानता हूं कि आपने मेरे और सिद्धारमैया के साथ कैसा बर्ताव किया था. हमारे खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.
कर्नाटक सरकार के सभी मंत्री भी करोड़पति हैं, जिनकी औसत संपत्ति 229.27 करोड़ रुपये है. कांग्रेस (एआईसीसी) अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक ने अपनी संपत्ति 16.83 करोड़ रुपये घोषित की है जो मंत्रियों में सबसे कम है.
सोनिया गांधी ने कांग्रेस की ऐतिहासिक जीत के लिए कर्नाटक की जनता को धन्यवाद दिया. इस दौरान उन्होंने कहा कि लोगों ने विभाजनकारी राजनीति और भ्रष्टाचार को नकार दिया है. यह जनादेश एक जन-समर्थक, गरीब-समर्थक सरकार को मिला है.
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कांग्रेस ने कर्नाटक का रण जीत लिया है. अब 20 मई को सिद्धारमैया यहां सीएम पद की शपथ लेंगे और नई सरकार गठित हो जाएगी. इस शपथ ग्रहण समारोह में कई राजनीतिक पार्टी के नेताओं को बुलाया गया है. हालांकि केसीआर को इस समारोह का आमंत्रण नहीं मिला है. दूसरी और उन्होंने कर्नाटक में कांग्रेस की जीत पर तंज भी कसा है.
कर्नाटक में शानदार जनादेश मिलने के बावजूद कांग्रेस को सीएम का नाम फाइनल करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी. अब पार्टी के सामने कैबिनेट गठन को लेकर भी कई चुनौतियां हैं. कई नेता तो ऐसे हैं तो बीजेपी और कांग्रेस दोनों सरकारों में मंत्री रहे हैं.
कर्नाटक चुनाव नतीजों के बाद 5 दिन तक बेंगलुरु से दिल्ली तक चले मंथन के बाद कांग्रेस ने सिद्धारमैया को सीएम बनाने का फैसला किया गया. वहीं, डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम पद से संतोष करना पड़ा. माना जा रहा है कि वे इससे खुश नहीं हैं. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि वे सोनिया गांधी को अपनी मां के समान मानते हैं और हमेशा उनकी इच्छाओं का पालन करेंगे.