अब सरकारी नौकरी मिलने पर चयनित उम्मीदवारों का पुलिस सत्यापन नहीं होगा! केंद्र सरकार पुलिस वैरिफिकेशन की जरूरी कार्यवाही को खत्म करने पर विचार कर रही है. नई व्यवस्था के तहत पुलिस सत्यापन की बजाय सफल उम्मीदवारों से सेल्फ अटेस्टेड सर्टिफिकेट स्वीकार किए जा सकते हैं. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्रालय सरकारी नौकरियों के लिए चयनित उम्मीदवारों और पासपोर्ट के लिए आवेदन के मामले में पुलिस सत्यापन की व्यवस्था को खत्म करने पर विचार कर रहा है.
बताया जाता है कि मुद्दे पर गृह मंत्रालय द्वारा राज्य सरकारों और अन्य पक्षों की राय लिए जाने की संभावना है. कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय ने भी अपने अवधारणा नोट में पासपोर्ट जारी करने और सरकारी नौकरियों सहित कई कार्यों के लिए पुलिस सत्यापन को बदलने का पक्ष लिया है.
नोट में मंत्रालय ने इस ओर तर्क दिए हैं, जिसमें कहा गया है पुलिस जांच केवल किन्हीं आपराधिक मामलों के लिए होती है, जिनके लिए संबंधित व्यक्ति आवश्यक घोषणाएं उपलब्ध कराते हैं और झूठी घोषणा के लिए जिम्मेदार रहते हैं. पुलिस रिपोर्ट औपचाकिरता मात्र होती है, क्योंकि इसमें निवास का केवल अंतिम स्थान शामिल होता है. साथ ही किसी मामले में, पड़ोसियों की अभिपुष्टि ज्यादा मायने नहीं रखती है.
गौरतलब है कि जन सेवा प्रदाय प्रणाली में सुधार और शासन के तहत खामी को पाटने के अपने प्रयास के तहत सरकार से संबंधित अधिकतर कार्य के लिए केंद्र नोटरीकृत शपथपत्रों की जगह स्व सत्यापन को बढ़ावा दे रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आम आदमी को लाभ पहुंचाने के लिए हाल ही शपथपत्रों के न्यूनतम इस्तेमाल और इसकी जगह सेल्फ अटेस्ट लाने की बात कह चुके हैं.
नागरिक हितैषी पहल के तहत, केंद्र सरकार के सभी मंत्रियों और विभागों व सभी राज्य सरकारों से हलफनामों की जगह दस्तावेजों के स्व-प्रमाणन के लिए प्रावधान बनाने को कहा गया है. प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक विज्ञप्ति में किसी गजैटेड अफसर से दस्तावेजों को अटेस्टेड कराने की बजाय खुद नागरिकों द्वारा सेल्फ अटेस्टेड करने की बात भी कही गई है. द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की 'नागरिक केंद्रित प्रशासन-शासन का हृदय' नामक 12वीं रिपोर्ट में भी सेल्फ अटेस्टेड के प्रावधान के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाने की सलाह दी है.