केंद्रीय रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और गोवा के मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर ने गोवा घूस कांड मामले की सीबीआई जांच की मांग की है.
बताया जाता है कि पिछली कांग्रेस सरकार के शासनकाल में एक जल विकास योजना का ठेका हासिल करने के लिए अमेरिकी कंपनी ने कथित रूप से रिश्वत दी थी.
पूर्व मुख्यमंत्री पर्रिकर ने आरोप लगाया कि रिश्वतखोरी के मामले में पिछली कांग्रेस नीत दिगंबर कामत सरकार के दो पूर्व मंत्री शामिल हो सकते हैं लेकिन उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया.
अमेरिकी कंपनी लुइस बर्गर पर आरोप
अमेरिका के न्यूजर्सी स्थित कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट कंपनी लुइस बर्गर पर गोवा और गुवाहाटी में दो बड़ी जल विकास परियोजनाओं को हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को कई करोड़ रुपये की रिश्वत देने के आरोप लगे हैं. इसी के मद्देनजर दोनों बीजेपी नेताओं की प्रतिक्रियाएं आई हैं.
लुइस बर्गर की तरफ से गोवा के एक प्रोजेक्ट के लिए 9,76,630 डॉलर की कथित रिश्वत देने में एक मंत्री को किया गया भुगतान भी शामिल है जिसका ब्योरा अमेरिकी न्याय विभाग ने उजागर नहीं किया है. संघीय अभियोजकों ने 11 पन्नों की अपनी चार्जशीट में आरोप लगाया है कि लुइस बर्गर ने भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने के बारे में विस्तृत डायरी और खाता बना रखा था.
सीबीआई जांच के लिए चिट्ठी लिखेगी राज्य सरकार
मुख्यमंत्री पारसेकर ने सोमवार सुबह पत्रकारों से कहा, चूंकि यह एक अंतरराष्ट्रीय मामला है, गोवा पुलिस इसकी जांच नहीं कर सकती. यही वजह है कि सरकार ने इसकी सीबीआई जांच की मांग करते हुए प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री को पत्र लिखने का फैसला किया है. लोगों के सामने सच्चाई आनी चाहिए.
पारसेकर ने कहा, 'जब ठेके दिए गए थे तो कांग्रेस नेता दिगंबर कामत मुख्यमंत्री थे और चर्चिल अलेमाव लोक निर्माण विभाग मंत्री थे. अब यह रहस्योद्घाटन होना चाहिए कि किस मंत्री ने रिश्वत ली.' पर्रिकर ने मड़गांव में बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि घटनाक्रम उस समय का है जब दिगंबर कामत नीत सरकार सत्ता में थी. उन्होंने कहा, 'चूंकि मामला जेएआईसीए (जापान इंटरनेशनल फंडिंग प्रोजेक्ट) से जुड़ा है इसलिए तत्कालीन लोक निर्माण विभाग मंत्री शामिल हो सकते हैं. लेकिन परियोजना को वित्तीय मंजूरी देने से जुड़ा मामला भी है इसलिए एक और मंत्री के शामिल होने की भी संभावना है.'
कंपनी के दो पूर्व अधिकारियों ने स्वीकारे थे आरोप
उन्होंने कहा कि पूरे मामले की सीबीआई जांच से रिश्वतखोरी मामले की सच्चाई सामने आएगी. दो दिन पहले कंपनी ने इन आरोपों के निपटारे के लिए एक करोड़ 71 लाख डॉलर आपराधिक जुर्माना अदा करने पर सहमति जताई थी कि उसने भारत, इंडोनेशिया, वियतनाम और कुवैत में सरकारी निर्माण प्रबंधन ठेके पाने के लिए रिश्वत दी थी. कंपनी के दो पूर्व अधिकारियों- फिलीपीन के रिचर्ड हर्श (61) और यूएई के जेम्स मैकक्लंग (59)- ने रिश्वतखोरी के आरोपों को स्वीकार किया था.
भारत सरकार ने जापान सरकार की मदद से जल और सीवरेज सुविधाओं के निर्माण और विस्तार के लिए पांच वर्षीय गोवा जल आपूर्ति और सीवरेज परियोजना शुरू की थी. लुइस बर्गर कंपनी गोवा में परियोजना के लिए बने कंसोर्शियम का हिस्सा थी. इस कंसोर्शियम में दो जापानी कंपनी और एक भारतीय साझेदार शामिल थे. कंपनी ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि टीम ने एक परियोजना प्रबंधन सूचना प्रणाली और योजना विकसित की, निविदाओं का मूल्यांकन किया, डिजाइन और निर्माण योजनाओं की समीक्षा की और सुनिश्चित किया कि समय पर और तय बजट में गुणवत्तापूर्ण काम हो.