केरल के मानवाधिकार आयोग ने राज्य सरकार को खतना करने के दौरान बुरी तरह घायल हुए 23 दिन के एक बच्चे के परिवार को मुआवजा प्रदान करने को कहा है. चिकित्सकीय लापरवाही के कारण बच्चे का निजी अंग बुरी तरह घायल हो गया था. एक बयान में केरल राज्य मानवाधिकार आयोग (केएसएचआरसी) ने कहा है उत्तरी मलप्पुरम जिले में एक अस्पताल में खतना के दौरान बच्चे के निजी अंग का 75 प्रतिशत हिस्सा कट गया. खतना करने वाले डॉक्टर को ऑपरेशन करने का महज तीन साल का तजुर्बा था. डॉक्टर के ज्यादा अनुभवी नहीं होने के कारण बच्चा गंभीर रूप से घायल हो गया.
मानवाधिकार आयोग ने कहा कि जिस अस्पताल में बच्चे की सर्जरी हुई वहां पर सुविधाओं की घोर कमी थी. केएसएचआरसी के सदस्य पी. मोहनदास ने राज्य के मुख्य सचिव को बच्चे के परिवार को अंतरिम मुआवजे के तौर पर दो लाख रूपये देने का निर्देश दिया और राज्य के स्वास्थ्य विभाग से एक रिपोर्ट भी मांगी है. बच्चों की सर्जरी के लिए अभिभावकों और डॉक्टरों के बीच और ज्यादा जागरूकता फैलाने के भी निर्देश दिए गए हैं. अपनी रिपोर्ट में स्वास्थ्य विभाग ने कहा था कि बच्चे के अभिभावक को उसके उपचार के लिए डेढ़ लाख रूपये से ज्यादा खर्च करना पड़ा.
दक्षिणी राज्य सहित दुनिया भर में मुस्लिम समुदाय के बीच बच्चों का खतना कराने की प्रथा है. इस दौरान कई बार बच्चों के जख्मी होने की खबरें आती हैं. कई राज्यों में इसके लिए एक्सपर्ट होते हैं, बावजूद इसके लापरवाही की खबरें आती हैं.