फिल्म 'भाग मिल्खा भाग' मिल्खा सिंह की जिंदगी का हूबहू किस्सा नहीं है. ऐसी कई बातें हैं जो कि फिल्म में दिखाई गईं, लेकिन असल में वैसा नहीं था. मसलन फिल्म में उनकी दो प्रेमिकाएं हैं, जबकि उन दिनों सरेआम इश्क फरमाने की बात सोची भी नहीं जा सकती.
- फिल्म में 1960 के रोम ओलंपिक में जब वे 400 मी. की फिनिश लाइन के करीब पहुंचते हैं, तो दिमाग में पिता की तस्वीर उभरती है, जो उनसे जान बचाने के लिए भागने को कहते हैं. जबकि तथ्य यह है कि वे यह जानने के लिए पीछे घूमते हैं कि बाकी धावक कहां हैं. इतने में उनकी लय-ताल बिगड़ गई. पल भर की यही देरी उन्हें महंगी पड़ी.
- फिल्म में मिल्खा 1960 में दौड़ने के लिए जब पाकिस्तान गए तो बचपन के अपने दोस्त से मिले. जबकि सच यह है कि वे अपने दोस्त से नहीं मिले थे.
- फिल्म में ओलंपिक में हारने के बाद मिल्खा का दिल टूट जाता था और इसीलिए वे 1960 में लाहौर नहीं जाना चाहते. जबकि तथ्य यह है कि भारत-पाकिस्तान मीट जनवरी, 1960 में आयोजित हुई थी; रोम ओलंपिक उसी साल अगस्त-सितंबर महीने में हुआ था.
- फिल्म में मिल्खा सेना में जूनियर कमीशंड अफसर बने हैं और उन्हें अफसर के रूप में जाना जाता है. जबकि वास्तविकता यह है कि उन्हें स्थायी कमीशन और पंजाब सरकार के खेल विभाग के निदेशक की पेशकश की गई थी. उन्होंने व्यक्तिगत कारणों से निदेशक वाला प्रस्ताव स्वीकार किया था.
- फिल्म में उनकी दो प्रेमिकाएं हैं, बीरो (सोनम कपूर) और ऑस्ट्रेलिया की शीला (रिबेका ब्रीड्स). लेकिन सच यह है कि वे खुद कहते हैं कि उस जमाने में लोगों के सामने लड़की का हाथ पकडऩे की बात भी नहीं सोची जा सकती थी.