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अयोध्या विवाद: राजीव धवन बोले- ईस्ट इंडिया ने छोड़ा था रामजन्मस्थान का शिगूफा

राजीव धवन ने कहा कि रामजन्मस्थान का शिगूफा तो ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1855 में छोड़ा और हिंदुओं को वहां रामचबूतरा पर पूजा पाठ करने की इजाजत दी.

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सुप्रीम कोर्ट की फाइल फोटो
सुप्रीम कोर्ट की फाइल फोटो

  • कोर्ट ने धवन से पूछा कि भगवान का स्वयंभू होना क्या सामान्य प्रक्रिया है
  • धवन ने इकबाल की शायरी का ज़िक्र कर राम को इमामे हिंद बताया

अयोध्या भूमि विवाद मामले में मंगलवार को 25वें दिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन से पूछा कि भगवान का स्वयंभू होना क्या सामान्य प्रक्रिया है? ये कैसे साबित करेंगे कि राम का जन्म वहीं हुआ या नहीं?

इस पर राजीव धवन ने कहा कि यही तो मुश्किल है. रामजन्मस्थान का शिगूफा तो ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1855 में छोड़ा और हिंदुओं को वहां रामचबूतरा पर पूजा पाठ करने की इजाजत दी. धवन ने इकबाल की शायरी का ज़िक्र कर राम को इमामे हिंद बताते हुए उन पर नाज़ की बात लेकिन फिर कहा कि बाद में वो बदल गए थे और पाकिस्तान के समर्थक बन गए थे.

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जस्टिस अशोक भूषण ने धवन से वो पैरा पढ़ने को कहा जिसमें ये कहा गया था कि हिंदू जन्मस्थान सिद्ध कर दें तो मुस्लिम पक्ष दावा और ढांचा खुद ही ढहा देंगे. इस पर धवन ने पैरा पढ़ा. धवन ने कहा कि घंटियों के चित्र, मीनार और वजूखाना न होने से मस्जिद के अस्तित्व पर कोई फर्क नहीं पड़ता.

जस्टिस बोबड़े ने एक मौलाना का स्टेटमेंट पढ़ने को कहा जिसका क्रॉस एक्जाम नहीं हुआ था. यानी उस मौलाना के हवाले से दी गई धवन की दलील शून्य हो गई क्योंकि क्रॉस एक्जाम से पहले ही मौलाना का इंतकाल हो गया था.

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