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अयोध्या केस: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, क्या सुनवाई का सीधा प्रसारण संभव है?

अयोध्या में रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मुकदमे की सोमवार को 24वें दिन की सुनवाई हुई. इस दौरान मुस्लिम पक्षकारों की ओर से राजीव धवन ने निर्मोही अखाड़े के जवाब के हवाले से फिर सवाल उठाया कि क्या जन्मस्थान की रामलला से अलग मान्यता या स्थान है?

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सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या केस की 24वें दिन हुई सुनवाई (फोटो-PTI)
सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या केस की 24वें दिन हुई सुनवाई (फोटो-PTI)

  • धवन ने निर्मोही अखाड़े के जवाब के हवाले से फिर सवाल उठाया
  • निर्मोही अखाड़े के जवाब के मुताबिक उनकी दिलचस्पी मंदिर बनाने में

रामजन्म भूमि बाबरी मस्जिद भूमि विवाद की सोमवार को 24वें दिन की सुनवाई हुई. इस दौरान मुस्लिम पक्षकारों की ओर से राजीव धवन ने निर्मोही अखाड़े के जवाब के हवाले से फिर सवाल उठाया कि क्या जन्मस्थान की रामलला से अलग मान्यता या स्थान है?

मंदिर के प्रबंधन को लेकर निर्मोही अखाड़े ने पहले ही याचिका दायर कर रखी है. निर्मोही अखाड़े के जवाब के मुताबिक उनकी दिलचस्पी मंदिर बनाने में है न कि जन्मस्थान पर रामलला की सेवा करने में. स्थान जन्मभूमि मंदिर तो अयोध्या के रामकोट मोहल्ले में था जबकि जन्मस्थान का मतलब तो पूरा अयोध्या ही हो गया.

सुनवाई के क्रम में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को रजिस्ट्री से कहा कि वह सूचित करें कि क्या रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मुकदमे की सुनवाई का सीधा प्रसारण संभव है. मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एस ए बोबडे और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पीठ ने रजिस्ट्री से यह भी जानना चाहा कि यदि ऐसा करना संभव हो तो ऐसा करने के लिए कितना समय चाहिए.

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बेंच ने अपने आदेश में कहा, 'रजिस्ट्री यह बताए कि क्या सीधा प्रसारण हो सकता है और ऐसा करने के लिए कितना समय लगेगा.' राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के पूर्व विचारक के एन. गोविन्दाचार्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि याचिकाकर्ताओं का शीर्ष अदालत में पूरा विश्वास है लेकिन इस प्रकरण के अधिकांश याचिकाकर्ता रोजाना सुनवाई के लिए नहीं आ सकते हैं.

उन्होंने कहा कि चूंकि वे कार्यवाही देख नहीं सकते हैं, इसलिए इसका सीधा प्रसारण उन्हें सुनवाई के विवरण के बारे में जानकारी देने में मददगार होगा. पीठ द्वारा आदेश पारित किए जाने के बाद सिंह ने न्यायालय से जानना चाहा कि यह जानकारी रजिस्ट्री को कब तक देनी है. इस पर पीठ ने कहा कि यह रजिस्ट्री पर निर्भर करता है.

जस्टिस आर एफ नरीमन और जस्टिस सूर्य कांत की पीठ ने छह सितंबर को गोविन्दाचार्य की याचिका मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ के पास भेज दी थी. गोविन्दाचार्य ने अपनी याचिका में कहा है कि यदि अयोध्या प्रकरण की सुनवाई का सीधा प्रसारण संभव नहीं हो तो सुनवाई की ऑडियो रिकार्डिंग या लिप्यांतरण कराया जाना चाहिए.

गोविन्दाचार्य ने अपनी याचिका में शीर्ष अदालत के 26 सितंबर, 2018 के फैसले का भी हवाला दिया था जिसमें संवैधानिक और राष्ट्रीय महत्व के मामलों में न्यायालय की कार्यवाही के सीधे प्रसारण की अनुमति दी गई थी.

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याचिका में कहा गया है कि अयोध्या मामला बहुत ही महत्वपूर्ण है और इसी वजह से न्यायालय भी सप्ताह के सभी पांच कार्य दिवसों पर इसकी सुनवाई कर रहा है. चूंकि न्यायालय असाधारण मामले पर विचार कर रहा है, इसलिए इसकी तत्काल ऑडियो रिकार्डिंग शुरू की जानी चाहिए.

बता दें कि राजनीतिक लिहाज से संवेदनशील अयोध्या के रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद का मध्यस्थता के माध्यम से सर्वमान्य समाधान खोजने का प्रयास विफल होने के बाद मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ छह अगस्त से इस मामले की नियमित सुनवाई कर रही है.

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