प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने केंद्रीय सतर्कता आयुक्‍त (सीवीसी) मामले में संसद में बयान दिया. उन्‍होंने कहा कि सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्‍वीकार करती है."/> प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने केंद्रीय सतर्कता आयुक्‍त (सीवीसी) मामले में संसद में बयान दिया. उन्‍होंने कहा कि सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्‍वीकार करती है."/> प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने केंद्रीय सतर्कता आयुक्‍त (सीवीसी) मामले में संसद में बयान दिया. उन्‍होंने कहा कि सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्‍वीकार करती है."/>
 

मनमोहन ने सीवीसी मामले में चूक स्‍वीकारी

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने केंद्रीय सतर्कता आयुक्‍त (सीवीसी) मामले में संसद में बयान दिया. उन्‍होंने कहा कि सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्‍वीकार करती है.

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प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने केंद्रीय सतर्कता आयुक्‍त (सीवीसी) मामले में संसद में बयान दिया. उन्‍होंने कहा कि सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्‍वीकार करती है.

सीवीसी की नियुक्ति के फैसले में चूक की बात स्वीकारते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा में इसकी जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि वे अदालत के फैसले को स्वीकार करते हैं और उसका सम्मान करते हैं.

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह लोकसभा में इस संबंध में अपनी ओर से दिये वक्तव्य में कहा, ‘‘शीर्ष अदालत ने निर्णय सुनाया है. हम उच्चतम न्यायालय के निर्णय को स्वीकार करते हैं और उसका सम्मान करते हैं. नये सीवीसी को नियुक्त करते समय सरकार अदालत के दिशानिर्देशों का ध्यान रखेगी.’’

मनमोहन सिंह ने कहा कि थामस की नियुक्ति के बाद उच्चतम न्यायालय में दो जनहित याचिकाएं दायर की गई, जिसमें सीवीसी के रूप में थामस की नियुक्ति को चुनौती दी गई थी. उन्होंने कहा कि माननीय उच्च्तम न्यायालय ने सामिति की सिफारिशों को कानून सम्मत नहीं पाया है और सीवीसी के रूप में थामस की नियुक्ति को रद्द कर दिया है.{mospagebreak}

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प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) का पद आठ सितंबर, 2010 प्रत्युष सिन्हा के कार्यकाल पूरा होने के बाद खाली होना था. सीवीसी कानून 2003 के तहत प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और विपक्ष के नेता की सदस्यता वाली समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति सीवीसी की नियुक्ति करता है.

उन्होंने कहा कि तीन सितंबर 2010 को समिति की बैठक हुई, जिसमें विपक्ष की नेता ने असहमति का रुख व्यक्त किया. समिति की सिफारिशों के आधार पर राष्ट्रपति ने पीजे थामस को सीवीसी के रूप में नियुक्त किया और उन्होंने सात सिंतबर 2010 को शपथ ली.

प्रधानमंत्री ने हालांकि अपने बयान में इस नियुक्ति की जिम्मेदारी स्वीकार नहीं की थी, जिस पर विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कडी आपत्ति जताते हुए कहा कि मनमोहन सिंह जब संसद के बाहर जम्मू-कश्मीर में इस बात की जिम्मेदारी ले चुके हैं तो सदन में ऐसा करते क्यों कतरा रहे हैं.

प्रधानमंत्री के संक्षिप्त बयान के बाद सुषमा ने कहा कि सीवीसी की नियुक्ति के बारे में मनमोहन सिंह ने जम्मू में जो कुछ कहा था, हमें उम्मीद थी कि संसद में भी वह उसी बात को स्वीकारेंगे, लेकिन हम हैरान हैं कि उन्होंने संसद में जम्मू से एकदम भिन्न बयान दिया है.{mospagebreak}

उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में दिये बयान में प्रधानमंत्री ने सार्वजनिक तौर पर इस मामले में अपनी जिम्मेदारी स्वीकार की थी. उन्होंने यह भी कहा था कि गलतियां हो जाती हैं और भविष्य में ऐसा नहीं होगा.

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सुषमा ने कहा कि प्रधानमंत्री के उस बयान पर ‘‘मैंने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था, चूंकि प्रधानमंत्री ने अपनी जिम्मेदारी स्वीकार कर ली है तो मामले को यहीं समाप्त किया जाता है लेकिन आज प्रधानमंत्री ने जो कुछ संसद में कहा, उसमें सार्वजनिक रूप से स्वीकारी गयी एक भी बात का उल्लेख नहीं है.’’

सुषमा की आपत्तियों पर मनमोहन सिंह ने कहा, ‘‘मैंने जम्मू-कश्मीर में जो कुछ कहा, उसे मैं दोहराने का औचित्य नहीं समझता था, लेकिन मैं इस मामले में अपनी पूरी जिम्मेदारी स्वीकार करता हूं.’’

उनके इस कथन के बाद माकपा नेता बासुदेव आचार्य बार-बार यह कहते सुने गये कि प्रधानमंत्री को इस बात का जवाब देना चाहिए कि जिस थॉमस के खिलाफ अदालत में मामला विचाराधीन है, उसे सीवीसी कैसे नियुक्त किया गया. उनकी बात का जवाब नहीं दिये जाने पर वामदलों के सदस्यों के साथ उन्होंने सदन से वाकआउट भी किया.

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