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3 महीने में 9 लाख वरिष्ठ नागरिकों ने छोड़ी टिकट पर सब्सिडी, रेलवे को बचे 40 करोड़ रुपये

इस योजना को पिछले साल शुरू किया गया था. जिसमें वरिष्ठ नागरिकों को उनके टिकट पर दी जाने वाली कुल छूट का इस्तेमाल करने या छूट की पूरी राशि छोड़ देने का विकल्प दिया गया. इस साल एक नया विकल्प भी उनके लिए जोड़ा गया जिसमें वरिष्ठ नागरिकों को अपनी सब्सिडी का 50 फीसदी तक छोड़ने की सुविधा दी गई.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

सरकार के सब्सिडी खर्च को कम करने के अभियान में रेल से यात्रा करने वाले वरिष्ठ नागरिक भी शामिल हो गए हैं. रेलवे की 'सब्सिडी छोड़ो' योजना के तहत नौ लाख से ज्यादा वरिष्ठ नागरिकों ने अपनी इच्छा से अपनी टिकट सब्सिडी छोड़ दी है. इससे रेलवे को करीब 40 करोड़ रुपये की बचत हुई है.

इस योजना को पिछले साल शुरू किया गया था. जिसमें वरिष्ठ नागरिकों को उनके टिकट पर दी जाने वाली कुल छूट का इस्तेमाल करने या छूट की पूरी राशि छोड़ देने का विकल्प दिया गया. इस साल एक नया विकल्प भी उनके लिए जोड़ा गया जिसमें वरिष्ठ नागरिकों को अपनी सब्सिडी का 50 फीसदी तक छोड़ने की सुविधा दी गई. इस योजना को शुरू करने का मकसद वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली 1300 करोड़ रुपये की सब्सिडी के बोझ से रेलवे को राहत दिलाना है.

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इस तरह 22 जुलाई से 22 अक्टूबर 2017 तक 2.16 लाख पुरुषों और 2.67 लाख महिलाओं ने जहां अपनी पूरी सब्सिडी छोड़ दी, वहीं 2.51 लाख पुरुष और 2.05 लाख महिलाओं ने अपनी 50 फीसदी सब्सिडी नहीं इस्तेमाल करने का फैसला किया है. कुल मिलाकर इन तीन महीनों में 9.39 लाख वरिष्ठ नागरिकों ने अपनी सब्सिडी छोड़ी है. जबकि पिछले साल इसी अवधि में कुल 4.68 लाख वरिष्ठ नागरिकों ने अपनी सब्सिडी छोड़ी थी, जिसमें 2.35 लाख पुरुष और 2.33 लाख महिलाएं शामिल थीं.

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आंकड़े दिखाते हैं कि सब्सिडी छोड़ने वालों की संख्या एक साल में दोगुना हो गई. यह रेलवे के लिए एक अच्छी खबर है. हम सब्सिडी में कटौती करके अपने घाटे को कम करना चाहते हैं. रेलवे यात्रा किराये का लगभग 43 फीसदी खुद से वहन करता है जो करीब 30,000 करोड़ रुपये सालाना बैठता है. इसमें भी 1600 करोड़ रुपये वह विविध श्रेणियों को यात्रा में छूट के तौर पर देता है. टिकट बिक्री से वह यात्रा किराए का मात्र 57 फीसदी ही जुटाता है.

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