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राम विलास पासवान की चार दिन पहले ही हुई थी हार्ट सर्जरी

इससे पहले शनिवार देर रात को दिल्ली के एक अस्पताल में रामविलास पासवान की हार्ट सर्जरी हुई थी. इतना ही नहीं कुछ हफ्ते बाद उनका एक और ऑपरेशन होना था.

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लंबी बीमारी के बाद रामविलास पासवान का निधन (फाइल फोटो)
लंबी बीमारी के बाद रामविलास पासवान का निधन (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • रामविलास पासवान का निधन
  • लंबे समय से चल रहे थे बीमार
  • शनिवार को हुई थी हार्ट सर्जरी

केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का लंबी बीमारी के बाद गुरुवार शाम को निधन हो गया. उनके बेटे और एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने अपने ट्वीट में इस बात की पुष्टि करते हुए लिखा, "पापा....अब आप इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन मुझे पता है आप जहां भी हैं हमेशा मेरे साथ हैं. Miss you Papa...".

इससे पहले शनिवार देर रात को दिल्ली के एक अस्पताल में रामविलास पासवान की हार्ट सर्जरी हुई थी. इतना ही नहीं, कुछ हफ्ते बाद उनका एक और ऑपरेशन होना था. जमुई सांसद और रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान ने अपने ट्विटर हैंडल पर इस बात की जानकारी देते हुए कहा था, 'पिछले कई दिनो से पापा का अस्पताल में इलाज चल रहा है. कल शाम अचानक उत्पन्न हुई परिस्थितियों की वजह से देर रात उनके दिल का ऑपरेशन करना पड़ा.' 

चिराग पासवान ने बताया था कि जरूरत पड़ने पर सम्भवतः कुछ हफ्तों के बाद उनके पिता का एक और ऑपरेशन करना पड़े. चिराग ने कहा कि संकट की इस घड़ी में मेरे और मेरे परिवार के साथ खड़े होने के लिए आप सभी का धन्यवाद. 

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लोक जनशक्ति पार्टी का किया था गठन

राम विलास पासवान ने साल 2000 में लोक जनशक्ति पार्टी का गठन किया था. बिहार की सबसे छोटी पार्टियों की लिस्ट में होने के बावजूद उनकी सत्ता में हमेशा भागेदारी रही. लेकिन ये हिस्सेदारी उसे बिहार नहीं, बल्कि केंद्र की सत्ता में मिलती रही है. राम विलास पासवान जनता पार्टी से होते हुए जनता दल और उसके बाद जनता दूल यूनाइटेड का हिस्सा रहे, लेकिन जब बिहार की सियासत के हालात बदल गए तो उन्होंने अपनी पार्टी बना ली. दलितों की राजनीति करने वाले पासवान ने 1981 में दलित सेना संगठन की भी स्थापना की थी. 

एलजेपी का गठन सामाजिक न्याय और दलितों पीड़ितों की आवाज उठाने के मकसद से किया गया था. बिहार में दलित समुदाय की आबादी तो करीब 17 फीसदी है, लेकिन दुसाध जाति का वोट करीब पांच फीसदी है, जो एलजेपी का कोर वोट बैंक माना जाता है और इस जाति के सर्वमान्य नेता राम विलास पासवान माने जाते हैं.

1969 में पहली बार अलौली सीट से विधानसभा चुनाव जीतने वाले पासवान ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और खुद को कभी अप्रासंगिक नहीं होने दिया. यही वजह है कि 1977 में पहली बार लोकसभा चुनाव जीतने वाले पासवान, 9 बार लोकसभा सांसद रहे. फिलहाल वो बीजेपी और नीतीश कुमार के सहयोग से राज्यसभा सांसद थे. हालांकि, जब उन्होंने एलजेपी की स्थापना की थी, तब वो यूपीए और लालू यादव के साथ थे. 

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