
राजनीति में महिलाओं की भागीदारी पर जोर देने के बावजूद भी 18वीं लोकसभा में महज 74 महिला सांसद चुनकर ही संसद भवन पहुंची हैं. जो कि महिलाओं के लिए बात किए जाने वाले 33 प्रतिशत कोटे का मात्र 13.6% ही है. साथ ही ये आंकड़ा महिला रिजर्वेशन एक्ट, 2023 के तहत निर्धारित 33% कोटे से काफी कम है. हालांकि, वक्त के साथ लोकसभा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है. पर महिलाओं की भागीदारी में उतार-चढ़ाव रहा है.
इंडिया टुडे की डेटा इंटेलिजेंस यूनिट ने 1957 से 2024 तक लोकसभा में महिलाओं के प्रतिनिधित्व और 1962 से 2024 तक महिलाओं के मतदान प्रतिशत से जुड़े डेटा का विश्लेषण किया है, जिसमें मिले-जुले रुझान देखने को मिले हैं.
बढ़ रहा है महिलाओं का प्रतिनिधित्व
साल दर साल लोकसभा में महिलाओं की संख्या बढ़ रही है, लेकिन ये दर अस्थिर है. साल 1957 में 5.4% महिलाएं सांसद थीं जो साल 1962 में बढ़कर 6.7% हो गई. पर साल 1967 में गिरकर 5.9% हो गई. 70 और 80 के दशक में महिलाओं के प्रतिनिधित्व अपेक्षाकृत कम रहा. 1977 में 3.4% था जो 1984-85 में बढ़कर 8.1% हो गया.

उसके बाद आमतौर पर अधिक महिलाएं चुनी गईं. 2019 तक लोकसभा में महिलाओं की संख्या 14.4% थी. हालांकि, 2024 में यह घटकर 13.6% हो गया है.
सफलता दर क्या है?
1957 में 45 महिला उम्मीदवारों में से 22 ने जीत हासिल की थी. उस वक्त 48.9% महिला प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी. आगे चलकर समय के साथ महिलाओं के चुनाव जीतने की दर में गिरावट आई. 2024 में चुनाव लड़ने वाली महिला उम्मीदवारों में से केवल 9.3% महिलाएं ही चुनाव जीत पाईं हैं.

सांसद में नए चेहरे
18वीं लोकसभा में 74 नई महिला सांसदों में से 43 पहली बार चुनाव जीती हैं, जिसमें राष्ट्रीय जनता दल की मीसा भारती. भारतीय जनता पार्टी की कंगना रनौत जैसी चर्चित महिलाएं पहली बार चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची हैं.
वहीं, 25 से 30 साल की उम्र की कई युवा महिला उम्मीदवारों ने भी इस चुनाव में जीत हासिल की है. इसमें राजस्थान के भरतपुर से कांग्रेस की संजना जाटव, कर्नाटक के चिक्कोडी से प्रियंका जारकीहोली, बिहार के समस्तीपुर से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की शांभवी चौधरी, उत्तर प्रदेश के कैराना और मछलीशहर से सपा की इकरा चौधरी, प्रिया सरोज शामिल हैं.
किस पार्टी में अधिक महिला सांसद थीं?
2024 में लोकसभा में महिला सांसद 14 अलग-अलग पार्टियों का प्रतिनिधित्व कर रही हैं, जिसमें बीजेपी 31 महिला सांसदों के साथ पहले नंबर पर है. दूसरे पर 13 सांसदों के साथ कांग्रेस, तीसरे पर 11 महिला सांसदों के साथ ममता बनर्जी की पार्टी TMC है. इसके बाद 5 महिला सांसदों के साथ अखिलेश की समाजवादी पार्टी है. और फिर LJPRV और जनता दल (यूनाइटेड) के पास 2-2 महिला सांसद हैं, जबकि सात अन्य पार्टियों से एक-एक महिला सांसद हैं.
क्या कम हुआ मतदान का अंतर?
1962 में पुरुषों का मतदान 63.3% प्रतिशत था, जबकि महिलाओं का मतदान बहुत कम 46.6% था. पिछले कुछ वर्षों में इस अंतर में उतार-चढ़ाव आया, लेकिन आम तौर पर इसमें कमी आई है.

2019 में पुरुषों का मतदान 67.01% था और महिलाओं का मतदान थोड़ा ज्यादा 67.18% था, लेकिन 2024 में पुरुषों का मतदान फिर से बढ़कर 65.8% हो गया, जबकि महिलाओं का मतदान लगभग 65.78% पर ही रहा.
सर्वाधिक मतदान प्रतिशत वाला राज्य
2024 के लोकसभा चुनावों में कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में महिला मतदाताओं के बीच उल्लेखनीय रूप से सबसे ज्यादा मतदान देखा गया. हमने केवल अपने विश्लेषण में उन राज्यों के डेटा विश्लेषण किया है, जहां कम-से-कम पांच लोकसभा सीट हैं. 14 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों वाले असम में महिलाओं ने सबसे ज्यादा मतदान किया है. यहां महिलाओं ने 81.71% मतदान किया है.
25 संसदीय निर्वाचन क्षेत्र वाले आंध्र प्रदेश में भी महिलाओं ने बढ़-चढ़कर मतदान किया. यहां महिलाओं के मतदान का प्रतिशत 80.3% है. 42 संसदीय क्षेत्रों वाले पश्चिम बंगाल में महिलाओं के मतदान का प्रतिशत 80.18% है.
ओडिशा में महिलाओं का चौथा सबसे अधिक 75.55% मतदान हुआ है. यहां तक कि केवल 11 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों वाले छत्तीसगढ़ में भी 72.23% मतदान कर महिलाओं की सक्रिय भागीदारी निभाई है.