2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस भारत न्याय यात्रा निकालेगी. इस यात्रा को राहुल गांधी के नेतृत्व में निकाली गई 'भारत जोड़ो यात्रा' का दूसरा चरण कहा जा रहा है. कांग्रेस ने दावा किया था कि 'भारत जोड़ो यात्रा' ऐतिहासिक रूप से सफल हुई थी. अब पार्टी 14 जनवरी 2024 से भारत न्याय यात्रा की शुरुआत करेगी. मणिपुर से मुंबई तक होने वाली इस यात्रा में कांग्रेस 6,200 किलोमीटर की दूरी तय करेगी.
भारत न्याय यात्रा पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों से होकर गुजरेगी. राहुल गांधी इन राज्यों में कांग्रेस पार्टी की किस्मत पलटने की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन इससे तृणमूल कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा, जनता दल (यूनाइटेड), राष्ट्रीय जनता दल, समाजवादी पार्टी, एनसीपी और शिवसेना (उद्धव गुट) जैसे उसके सहयोगियों के बीच तनाव बढ़ सकता है. कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि इस यात्रा के बाद कांग्रेस के सहयोगी पार्टियों के साथ तालमेल और ज्यादा बेहतर हो सकता है. आइए जानते हैं कि जिन राज्यों से ये यात्रा निकलने वाली है, वहां स्थानीय पार्टियों का क्या
उतर प्रदेश में समीकरण फिट बैठाना आसान नहीं
उत्तर प्रदेश राजनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण राज्य है. क्योंकि यह सूबा 80 लोकसभा सीटों का प्रतिनिधित्व करता है. यूपी को लेकर बीजेपी काफी आश्वस्त है, क्योंकि जनवरी में राम मंदिर के उद्घाटन से उसे भारी समर्थन मिलने की संभावना है. वहीं, विपक्षी गठबंधन के लिए भी 2024 की डगर कठिन होने वाली है. वहीं, "एक सीट, एक विपक्षी उम्मीदवार" का फॉर्मूला अव्यावहारिक नजर आ रहा है, क्योंकि समाजवादी पार्टी ने मायावती की बहुजन समाज पार्टी के साथ किसी भी तरह के गठबंधन से इनकार किया है. बसपा के बिना भी अखिलेश यादव राज्य में बड़ी संख्या में सीटें मांग रहे हैं, जबकि कांग्रेस सहित अन्य सहयोगियों के लिए केवल मुट्ठीभर सीटें छोड़ रहे हैं. उधर, राहुल गांधी की भारत न्याय यात्रा जब यूपी में एंट्री करेगी, तो वहां राजनीतिक समीकरण फिट बैठाना आसान नहीं होगा.
पश्चिम बंगाल में कैसे हैं राजनीतिक हालात
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अपने राज्य में आक्रामक भारतीय जनता पार्टी का सामना करना पड़ रहा है, जहां गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने हाल ही में एक दौरा किया था. पूर्वोत्तर राज्यों को पार करने के बाद भारत न्याय यात्रा पश्चिम बंगाल में प्रवेश करेगी तो यह देखना दिलचस्प होगा कि टीएमसी द्वारा इसका कैसा स्वागत किया जाएगा. अभी तक पश्चिम बंगाल में सीट बंटवारे को लेकर कोई बातचीत आगे नहीं बढ़ी है और इसकी बहुत कम संभावना है कि टीएमसी जैसी मजबूत पार्टी कांग्रेस को बहुत सीटें देगी, जिसकी केवल कुछ ही इलाकों में मौजूदगी है. दूसरी ओर ममता बनर्जी ने हाल ही में दिल्ली में विपक्षी गठबंधन की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में प्रस्तावित किया था. अभी इसे लेकर भी तस्वीर साफ नहीं है कि वाम दलों का क्या होगा जो वर्तमान में कांग्रेस के सहयोगी हैं.
बिहार में इन पार्टियों का भी दबदबा
राहुल गांधी को बिहार में एक अलग तरह की चुनौती का सामना करना पड़ सकता है. दरअसल बिहार कांग्रेस के 2 मजबूत सहयोगियों जेडीयू और आरजेडी का गढ़ है. यहां तक कि सीपीआई-एमएल और सीपीआई जैसे वामपंथी दल भी राज्य में कांग्रेस के सहयोगी हैं. बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं. ऐसे में कांग्रेस के बहुत कम जगह बची है. मंगलवार को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी मुख्यालय में एक बैठक के दौरान पार्टी नेताओं ने आलाकमान से कहा था कि उनके पास चुनाव लड़ने के लिए पर्याप्त जीतने योग्य सीटें नहीं हैं. कांग्रेस के लिए एक और समस्या नीतीश कुमार जैसा अप्रत्याशित साथी हैं, जो बार-बार पाला बदलते हैं और यहां तक कि वह बीजेपी के साथ जाने से भी गुरेज नहीं करते. कांग्रेस की बिहार इकाई कमजोर है. इसलिए जब राहुल की यात्रा बिहार में एंट्री करेगी, तो यह अपने सहयोगी दलों के कार्यकर्ताओं के समर्थन पर बहुत अधिक निर्भर करेगी.
झारखंड में कांग्रेस को झामुमो की जरूरत
पिछली बार जब इंडिया गठबंधन के नेता दिल्ली में मिले तो इस बैठक में झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन शामिल नहीं हुए. अफवाह ये है कि वह सीट बंटवारे के फैसले में देरी से खुश नहीं हैं. हालांकि झारखंड में केवल 14 लोकसभा सीटें हैं, लेकिन आम चुनाव के ठीक बाद 2024 में विधानसभा चुनाव भी होने हैं. 2019 में कांग्रेस ने राज्य में जेएमएम की तुलना में अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा. लेकिन इस बार, आदिवासी नेता के रूप में सोरेन का दबदबा काफी बढ़ गया है और वह सीटों का बड़ा हिस्सा मांगे सकते हैं. इसलिए जब राहुल गांधी की भारत न्याय यात्रा झारखंड में एंट्री करेग तो इसकी सफलता जमीन पर झामुमो के साथ उनकी पार्टी के समीकरण पर निर्भर करेगी.
महाराष्ट्र में होगी गठबंधन की ताकत की परख
भारत न्याय यात्रा का समापन 20 मार्च 2024 को मुंबई में होगा. भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में चले थे और उन्हें एनसीपी और शिवसेना (उद्धव गुट) से समर्थन मिला था. लेकिन इस बार हालात अलग हो सकते हैं. यह यात्रा जमीन पर महाविकास अघाड़ी गठबंधन की ताकत को परखेगी. जिसे बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा. राहुल गांधी पर शरद पवार और उद्धव ठाकरे जैसे क्षेत्रीय क्षत्रपों को जगह देने का दबाव होगा. चुनौतियों के अलावा कांग्रेस को लगता है कि यह यात्रा भारत की सभी पार्टियों को एक साथ लाने का एक बड़ा मौका हो सकती है. जिसका फायदा उनके सभी सहयोगियों को मिल सकता है. पार्टियों को यह भी भरोसा है कि सीट-बंटवारे की बातचीत के नतीजे जल्द ही निकलेंगे और जब तक राहुल गांधी अपनी भारत न्याय यात्रा शुरू करेंगे, तब तक सीट शेयरिंग के फॉर्मूले को अंतिम रूप दे दिया जाएगा. जिससे जमीन पर बेहतर तालमेल बनेगा. अगर राहुल गांधी भीड़ लाने में सफल होते हैं, तो अन्य सहयोगी दल भी हिंदी पट्टी में अभियान में ऊर्जा लाने के लिए प्रेरित हो सकते हैं.