समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उन्होंने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि इस अधिनियम में किए गए संशोधन न सिर्फ असंवैधानिक हैं बल्कि नागरिकों के मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन करते हैं.
सपा सांसद बर्क ने पहले कहा था, "हमारी और पूरी विपक्ष की पार्टी ने वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध किया था और अब हमारे पास कोर्ट का रास्ता ही बचा है." रिपोर्ट के मुताबिक, 21 अप्रैल को लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों से वक्फ संशोधन बिल पारित किया गया था, और बाद में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इसे मंजूरी दी, और यह कानून बन चुका है.
यह भी पढ़ें: वक्फ बिल पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया बोले- संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकेगा नया कानून
'हमारे पास सिर्फ कोर्ट का ही रास्ता बचा है'
सपा सांसद बर्क ने इससे पहले कहा था, "हमने और सभी विपक्षी दलों ने वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध किया है और हमें यह तय करना है कि इस संबंध में आगे क्या रणनीति अपनाई जाए... यह विधेयक लोकसभा और राज्यसभा द्वारा पारित किया जा चुका है. अब हमारे पास कोर्ट ही एकमात्र विकल्प बचा है... हम सभी से चर्चा करने के बाद अगला कदम उठाएंगे."
AIMIM ने भी दायर की है याचिका
AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस संशोधन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी इस बिल के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर विरोध प्रदर्शनों और कानूनी कार्रवाई की अपील की है.
यह भी पढ़ें: J&K विधानसभा में वक्फ कानून पर फिर हंगामा, BJP-AAP विधायक भिड़े; देखें एक और एक ग्यारह
कांग्रेस भी वक्फ कानून में संशोधन के विरोध में
कांग्रेस के सांसद और पार्टी के संचार प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने भी इस विधेयक की संवैधानिकता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का ऐलान किया था. कांग्रेस पहले से ही नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) 2019 समेत कई कानूनों को अदालत में चुनौती दे रही है और 1991 के पूजा स्थल अधिनियम को लेकर भी कानूनी हस्तक्षेप कर रही है.