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'मुग़ल काल में भी मंदिर की गरिमा रही अक्षुण्ण', वृन्दावन कॉरिडोर मामले को लेकर SC में एक और याचिका

याचिकाकर्ता राकेश कुमार अग्रवाल ने कहा कि इतिहास गवाह है कि इन गलियों ने मुग़ल काल में भी मंदिर की गरिमा को अक्षुण्ण बनाए रखा था. याचिकाकर्ताओं के वकील डॉ. एपी सिंह ने इस अर्जी में नागरिकों के संवैधानिक और धार्मिक सवाल उठाए हैं.

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वृन्दावन कॉरिडोर मामले को लेकर एक और शख्स ने खटखटाया SC का दरवाजा (File Photo)
वृन्दावन कॉरिडोर मामले को लेकर एक और शख्स ने खटखटाया SC का दरवाजा (File Photo)

वृन्दावन में श्री बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर निर्माण मामले में एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है. ये याचिका वृन्दावन के दुकानदारों और निवासियों ने दाखिल की है. याचिकाकर्ताओं के वकील डॉ. एपी सिंह ने इस अर्जी में नागरिकों के संवैधानिक और धार्मिक सवाल उठाए हैं.

वकील एपी सिंह के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के अनुपालन में जो कार्यवाही की जा रही है, उससे वृंदावन की प्राचीन कुंज गलियों को ध्वस्त करके वहां पीढ़ियों से रह रहे ब्रजवासियों को जबरन बेघर किया जा रहा है.

इस मनमानी निर्माण प्रक्रिया से संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत नागरिकों को प्राप्त धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार और धार्मिक संस्थाओं के स्वशासन के अधिकार का हनन हो रहा है.

क्या कहता है कानून?

सुप्रीम कोर्ट से वक्त-वक्त पर दिए गए अनिवार्य धार्मिक प्रथा परिपालन सिद्धांत यानी Essential Religious Practices Doctrine के मुताबिक, अगर कोई परंपरा किसी धर्म की अनिवार्य धार्मिक प्रथा का हिस्सा है, तो उसे छेड़ना संविधान विरोधी गंभीर कृत्य माना जाएगा.

याचिकाकर्ता राकेश कुमार अग्रवाल ने कहा कि इतिहास गवाह है कि इन गलियों ने मुग़ल काल में भी मंदिर की गरिमा को अक्षुण्ण बनाए रखा था.

 
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