वृंदावन के हृदय में स्थित बांके बिहारी मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि करोड़ों भक्तों की आस्था का केंद्र भी है. ठाकुर जी के दिव्य दर्शन के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु हर साल यहां पहुंचते हैं. इसी श्रद्धा और भीड़भाड़ को देखते हुए बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर (Banke Bihari Temple Corridor) परियोजना की शुरुआत की गई है, जिसका उद्देश्य दर्शन को सुगम बनाना, भीड़ नियंत्रण और स्थानीय इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करना है.
कॉरिडोर परियोजना को लेकर कुछ स्थानीय व्यापारियों और संतों ने चिंता भी जताई है. उनका कहना है कि परियोजना के कारण पुरानी गलियां और भवन हटाए जा रहे हैं. स्थानीय पहचान और प्राचीनता पर असर पड़ सकता है. साथ ही मंदिर की परंपरा में अत्यधिक हस्तक्षेप न हो.
राज्य सरकार ने आश्वासन दिया है कि सभी पक्षों से संवाद करके समाधान निकाला जाएगा, और मंदिर की मूल गरिमा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा.
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित बांके बिहारी कॉरिडोर एक मल्टीलेयर, श्रद्धालु-केंद्रित ढांचा होगा, जो मंदिर परिसर के आसपास एक सुव्यवस्थित मार्ग, सुविधाएं और भीड़ नियंत्रण प्रणाली प्रदान करेगा.
दो तरफ से प्रवेश और निकास का अलग-अलग प्रबंधन, जिससे श्रद्धालुओं की आवाजाही व्यवस्थित हो सके. छायादार, बैठने योग्य क्षेत्र जहां दर्शन से पहले श्रद्धालु आराम कर सकें. एलईडी डिस्प्ले और डिजिटल बोर्डों से भीड़ की स्थिति और दर्शन समय की जानकारी. मेडिकल इमरजेंसी के लिए प्राथमिक उपचार कक्ष. इस कॉरिडोर को इस प्रकार डिज़ाइन किया गया है कि वृंदावन की ब्रज शैली और आध्यात्मिक वातावरण बरकरार रहे.
बांके बिहारी मंदिर में त्योहारों, विशेष अवसरों और अवकाश के दिनों में अपार भीड़ उमड़ती है. कई बार स्थिति इतनी विकट हो जाती है कि सुरक्षा जोखिम उत्पन्न हो जाते हैं. 2022 में जन्माष्टमी के मौके पर मची भगदड़ में कुछ श्रद्धालुओं की मौत भी हुई थी.
मथुरा के विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में 54 साल बाद आज धनतेरस पर खजाना खुलने जा रहा है. इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है. इस ऐतिहासिक मौके पर मंदिर परिसर में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है. सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. धनतेरस पर यह मौका श्रद्धालुओं के लिए खास महत्व रखता है.
आगरा के कारोबारी प्रखर गर्ग और उनकी पत्नी राखी गर्ग को पुलिस ने जयपुर से गिरफ्तार किया है. कारोबारी पर 22 मुकदमे दर्ज हैं. मालूम हो कि ये वही कारोबारी प्रखर गर्ग है, जिसने बांके बिहारी कॉरिडोर के लिए करोड़ों रुपये दान देने का प्रस्ताव दिया था.
जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वृंदावन के ठाकुर बांके बिहारी मंदिर को अपने नियंत्रण में लेने के कदम पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा है कि अगर मस्जिदों और चर्चों के खिलाफ ऐसा कदम नहीं उठाया जा सकता, तो मंदिरों को इससे बचना चाहिए.
प्रस्तावित बांके बिहारी कॉरिडोर इसी अव्यवस्था से निपटने का तरीका है, जो श्रद्धा और वास्तविकता के बीच संतुलन बनाने की कोशिश है. सरकारी अधिकारी मानते हैं कि यह कॉरिडोर मंदिर तक जाने वाले रास्ते को चौड़ा करेगा, दर्शन प्रक्रिया को व्यवस्थित करेगा.
वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर से संबंधित कॉरिडोर और अध्यादेश मामले में याचिकाकर्ताओं को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने उस पुराने आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें मंदिर के कोष का उपयोग कॉरिडोर के लिए करने की अनुमति मिली थी.
सुप्रीम कोर्ट ने वृंदावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर मामले में 15 मई 2025 के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें मंदिर के बैंक फंड के उपयोग की अनुमति दी गई थी. कोर्ट ने पारदर्शी प्रबंधन के लिए एक अंतरिम समिति गठित करने का आदेश दिया है, जो प्रशासनिक और कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट ऑर्डिनेंस, 2025 की वैधता को लेकर हाई कोर्ट का फैसला आने तक मंदिर का प्रबंधन एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली समिति के अधीन रहेगा और मंदिर में होने वाले अनुष्ठान पहले की तरह जारी रहेंगे.
कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील श्याम दीवान से पूछा कि आप किसी धार्मिक स्थल को निजी कैसे कह सकते हैं. जहां बहुत से श्रद्धालु आते हैं. वह निजी नहीं हो सकता. प्रबंधन निजी हो सकता है. लेकिन कोई देवता निजी कैसे हो सकता है? श्याम दीवान ने कहा कि यह एक अलग मुद्दा है. किसी दीवानी मुकदमे में, जिसमें मैं पक्षकार नहीं हूं, राज्य मेरी पीठ पीछे आकर आदेश ले लेता है.
याचिकाकर्ताओं को उस समय झटका लगा जब उनके वकील को खारिज की गई याचिका को दोबारा उठाने पर सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी का सामना करना पड़ा. बुधवार को जब याचिकाकर्ता के वकील ने चीफ जस्टिस बीआर गवई की अदालत में कई आवेदनों को मूल याचिका के साथ टैग करने का अनुरोध किया, तो जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने टोका और कहा कि मंगलवार को भी आपने यही याचिका हमारी पीठ के सामने रखी थी और हमने उसे खारिज कर दिया था.
वृंदावन के प्रसिद्ध श्री बांकेबिहारी मंदिर के प्रबंधन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में महत्वपूर्ण सुनवाई हुई. कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि देश में कितने ऐसे मंदिर हैं जिन्हें सरकार ने अधिग्रहित किया है या उन पर नियंत्रण किया है. जब कोर्ट को बताया गया कि यह मंदिर निजी है, तो कोर्ट ने आश्चर्य व्यक्त किया कि क्या कोई मंदिर भी निजी हो सकता है?
याचिकाकर्ता राकेश कुमार अग्रवाल ने कहा कि इतिहास गवाह है कि इन गलियों ने मुग़ल काल में भी मंदिर की गरिमा को अक्षुण्ण बनाए रखा था. याचिकाकर्ताओं के वकील डॉ. एपी सिंह ने इस अर्जी में नागरिकों के संवैधानिक और धार्मिक सवाल उठाए हैं.