अमेरिका में पढ़ाई का सपना देखने वाले भारतीय स्टूडेंट्स के लिए मुश्किल खड़ी हो गई है. जनवरी 2025 में डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा व्हाइट हाउस पहुंचने के बाद भारतीय स्टूडेंट्स को F1 स्टूडेंट वीजा मिलना बेहद मुश्किल हो गया है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक भारतीय स्टूडेंट्स को दिए जाने वाले F1 वीजा में भारी कमी आई है.
वीजा में भारी गिरावट
2024 के अमेरिकी वित्त वर्ष (1 अक्टूबर से 30 सितंबर) में इंडियन स्टूडेंट्स को 86,067 F1 वीजा मिले जो पिछले साल की तुलना में 34% कम है. 2025 के पहले छह महीनों (जनवरी-मई) में यह गिरावट और बढ़ी, जब सिर्फ 11,484 वीजा मिले यानी पिछले साल के 16,105 की तुलना में 29% की कमी. दूसरी तरफ भारत के पड़ोसी और तनावपूर्ण रिश्तों वाले देश पाकिस्तान को दी जाने वाली स्टूडेंट वीजा में 28% की बढ़ोतरी हुई है. चीन, जो अमेरिका में स्टूडेंट्स भेजने में भारत का प्रतिद्वंद्वी है, उनको सिर्फ 8% की कमी झेलनी पड़ी. ये बदलाव सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं, बल्कि नीतिगत स्तर पर भी बड़ा है.
ट्रंप की सख्त नीतियां
ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल की तरह ही वीजा नियमों को सख्त कर दिया है. मई 2025 में अमेरिकी दूतावासों को स्टूडेंट वीजा के अपॉइंटमेंट्स रोकने और सोशल मीडिया प्रोफाइल्स की गहन जांच के निर्देश दिए गए. Open Doors के आंकड़ों के मुताबिक, 2023-24 में अमेरिकी कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज में 11 लाख से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय स्टूडेंट्स पढ़ रहे थे. इनमें से 3,30,000 से ज्यादा भारतीय थे, यानी हर तीन में से एक स्टूडेंट भारत से था. [https://opendoorsdata.org/fact_sheets/fast-facts/] लेकिन अब ट्रंप की नई पाबंदियों ने भारतीय स्टूडेंट्स के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं.
पहले से थी दिक्कतें
ट्रंप की नई नीतियों से पहले भी अमेरिका में विदेशी स्टूडेंट्स का दाखिला कम हो रहा था. 2024 में 41% स्टूडेंट वीजा आवेदन खारिज किए गए, जो पिछले एक दशक में सबसे ज्यादा रिजेक्शन रेट है.
भारत-अमेरिका तनाव का असर
वाशिंगटन और नई दिल्ली के बीच बढ़ता तनाव भी इस समस्या को और गंभीर बना रहा है. पिछले हफ्ते ट्रंप प्रशासन ने भारतीय निर्यात पर 25% ‘जवाबी’ टैरिफ की धमकी दी थी, जिसे अब बढ़ाकर 50% कर दिया गया है. दूसरी तरफ पाकिस्तान पर सिर्फ 19% टैरिफ है.
सोशल मीडिया की जांच
जुलाई 2025 में अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने नया नियम लागू किया जिसमें सभी स्टूडेंट और एक्सचेंज वीजा आवेदकों को अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल्स सार्वजनिक करने को कहा गया. ऐसा न करने को संदिग्ध माना जा सकता है जिससे वीजा रिजेक्शन का खतरा बढ़ गया. डिजिटल राइट्स ग्रुप इलेक्ट्रॉनिक फ्रंटियर फाउंडेशन ने इस कदम की कड़ी आलोचना की है और इसे निजता पर हमला और सरकारी निगरानी बढ़ाने वाला कदम बताया है.
भारतीय स्टूडेंट्स की मुश्किलें
भारतीय स्टूडेंट्स के लिए अमेरिका में पढ़ाई का सपना अब कागजी कार्रवाइयों और कूटनीतिक तनावों के बीच फंस गया है. दिल्ली के एक स्टूडेंट प्रियांशु (बदला हुआ नाम) बताते हैं कि मैंने कैलिफोर्निया की यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया था लेकिन वीजा रिजेक्ट हो गया. अब मुझे कनाडा या ऑस्ट्रेलिया की सोचनी पड़ रही है.