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'चाचा और भाई को दुकान से खींच ले गए उपद्रवी', मुर्शिदाबाद हिंसा के पीड़ित ने सुनाई खौफ की कहानी, हिंदू परिवार दूसरे राज्य में शरण लेने को हुए मजबूर

मुर्शिदाबाद हिंसा के पीडि़त हृदय दास ने बताया कि 12 अप्रैल को सुबह करीब 11 बजे जफराबाद में करीब 500 उपद्रवियों ने उनके चाचा और भाई को दुकान से खींचकर धारदार हथियारों से बेरहमी से मार डाला. इसके बाद उपद्रवियों ने बाजार की सभी दुकानों और आसपास के मोहल्लों में 70 से 80 घरों में तोड़फोड़ की. महिलाओं के साथ बदसलूकी की गई.

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मुर्शिदाबाद हिंसा: पीड़ित हिंदू परिवार ने साहिबगंज में ली शरण.
मुर्शिदाबाद हिंसा: पीड़ित हिंदू परिवार ने साहिबगंज में ली शरण.

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ संशोधन बिल के चलते भड़की हिंसा के बाद एक हिंदू परिवार के 13 सदस्यों ने झारखंड के साहिबगंज में शरण ली है. हिंसा में गोविंद दास (72) और उनके बेटे चंदन दास (40) की हत्या कर दी गई थी. दोनों जफराबाद मार्केट में नाश्ते की दुकान चलाते थे. पीड़ित परिवार ने हिंसा की खौफनाक घटनाओं का जिक्र करते हुए बताया कि वे आज भी उस दिन को याद कर सिहर उठते हैं.

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मृतक के भतीजे हृदय दास ने बताया कि 12 अप्रैल को सुबह करीब 11 बजे जफराबाद में करीब 500 उपद्रवियों ने उनके चाचा और भाई को दुकान से खींचकर धारदार हथियारों से बेरहमी से मार डाला. इसके बाद उपद्रवियों ने बाजार की सभी दुकानों और आसपास के मोहल्लों में 70 से 80 घरों में तोड़फोड़ की. महिलाओं के साथ बदसलूकी की गई.

घटना के बाद परिवार के 13 सदस्य जान बचाकर साहिबगंज पहुंचे, जहां वे अपने रिश्तेदारों के घर में छिपकर रह रहे हैं. उन्होंने बताया कि समसेरगंज थाना क्षेत्र के जफराबाद, धुलियान, रानीपुर, डिगरी, बेगबोना, पहाड़घाटी, प्रतापगंज सहित कई गांवों में हिंसा फैल चुकी है. लोग डरे हुए हैं और कई परिवार गांव छोड़कर चले गए हैं. 

इस मामले में हिंदू धर्म रक्षा मंच के संत कुमार घोष ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित अन्य अधिकारियों को ईमेल भेजकर पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने और पीड़ितों को उचित सहायता प्रदान करने की मांग की है.

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राजमहल से जेएमएम सांसद विजय हांसदा ने मुर्शिदाबाद की घटना को अत्यंत निंदनीय बताया. उन्होंने कहा कि उनका लोकसभा क्षेत्र पश्चिम बंगाल की सीमा से सटा है, इसलिए उन्होंने जिला प्रशासन को शरणार्थियों के लिए समुचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं. 

सांसद हांसदा ने कहा, "जेएमएम संवेदनशील मुद्दों पर हमेशा संवेदनशीलता के साथ काम करती है और हर संभव सहयोग करती है. कोविड काल में भी सरकार का मानवीय चेहरा सामने आया था. लोकतांत्रिक तरीके से विरोध का अधिकार सबको है, लेकिन हिंसा का लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं है."

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