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12 दिन बाद भी 14 मीटर दूर जिंदगी... सुरंग से मजदूरों के रेस्क्यू का अभी भी इंतजार, जानिए ग्राउंड पर क्या आ रहीं दिक्कतें

सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन का 13वां दिन है. 12वें दिन शुक्रवार को ऑगर मशीन में तीन बार खराबी आने के चलते ड्रिलिंग को रोकना पड़ा. यही वजह है कि गुरुवार को भी मजदूरों को सुरंग से बाहर नहीं निकाला जा सका. अभी भी 14 मीटर की खुदाई बाकी बताई जा रही है.

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टनल में फंसे मजदूरों को निकालने की कोशिशें जारीं
टनल में फंसे मजदूरों को निकालने की कोशिशें जारीं

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा टनल में फंसे में 41 मजदूरों को निकालने के लिए जद्दोजहद जारी है. हालांकि, रेस्क्यू के 12 दिन बाद भी एजेंसियों के हाथ खाली हैं. अमेरिकी ऑगर मशीन ने अभी तक करीब 48 मीटर ड्रिलिंग कर 800 एमएम व्यास के पाइप डाले गए हैं. हालांकि, इसमें से करीब 2 मीटर पाइप काटा जा रहा है.मजदूर 60 मीटर दूर फंसे हैं. यानी अभी भी मजदूरों को निकालने के लिए 12 मीटर की खुदाई की जरूरत है, जबकि 14 मीटर पाइप डाले जाने हैं. 

तीन बार ऑगर मशीन में आई खराबी

रेस्क्यू एजेंसियों का मानना था कि गुरुवार को रेस्क्यू अभियान पूरा हो जाएगा. लेकिन गुरुवार को ऑगर मशीन में तीन बार खामी आई. ऑगर मशीन के जरिए ही सुरंग के मलबे में ड्रिलिंग करके 800 एमएम व्यास के पाइप डाले जा रहे हैं. इन्हीं पाइप से मजदूरों को बाहर निकालने की योजना है. हालांकि, मशीन में बार बार खामी के चलते मजदूरों को अभी तक निकाला नहीं जा सका. हालांकि, रेस्क्यू ऑपरेशन अपने आखिरी पड़ाव पर है. चाव दल सुरंग के अंदर फंसे 41 मजदूरों को निकालने के बहुत करीब पहुंच गया है.

आज रेस्क्यू ऑपरेशन का 13वां दिन है. इससे पहले गुरुवार रात को जिस प्लेटफॉर्म पर ड्रिलिंग मशीन टिकी हुई है, उसमें दरारें दिखाई देने के बाद ड्रिलिंग रोकनी पड़ी. शुक्रवार को एक बार फिर रेस्क्यू ऑपरेशन आगे बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. 

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लोहे की छड़ सामने आने के बाद भी रोकनी पड़ी थी ड्रिलिंग

ससे पहले बुधवार देर रात खुदाई के दौरान मशीन के सामने लोहे की छड़ आ गई थी. इसके बाद इसे काटने के लिए गैस कटर का इस्तेमाल किया गया था. 6 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद रेस्क्यू टीमों को इसमें सफलता मिली थी. इसके बाद जैसे ही खुदाई शुरू की गई, ऑगर मशीन में खराबी आ गई थी. इसके बाद दिल्ली से हेलिकॉप्टर से विशेषज्ञ बुलाए थे. कई घंटों की मेहनत के बाद ऑगर मशीन ने काम करना शुरू किया था. हालांकि, मशीन 1.8 मीटर की खुदाई के बाद फिर रुक गई. बताया जा रहा है कि प्लेटफॉर्म पर दरारें दिखने की वजह से ड्रिलिंग रोकनी पड़ी थी. 

अभी क्या है स्थिति?

बताया जा रहा है कि प्लेटफॉर्म पर पड़ी दरारों को ठीक कर लिया गया है. अब जो पाइप बैंड हुए हैं, उन्हें काटने का काम चल रहा है. इसके बाद फिर से ऑगर मशीन शुरू की जाएगी. अभी भी 14 मीटर तक ड्रिलिंग करके पाइप डाले जाना बाकी है. 

14 मीटर पाइप डाला जाना बाकी

पूर्व पीएमओ सलाहकार भास्कर खुल्बे ने बताया कि पाइप का जो हिस्सा दब गया था, उसे काटा जा रहा है. इसमें थोड़ा समय लग रहा है. करीब 2 मीटर पाइप का टुकड़ा काटा जाना है. सुबह 11:30 बजे के बाद हम उम्मीद कर रहे हैं कि सामान्य ड्रिलिंग की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. डीआरडीओ के ग्राउंड पेनिट्रेशन रडार से जानकारी मिली है कि अगले 5 मी किसी तरह के धातु वाली बाधा नहीं मिलेगी. पहले 48 मी हम जा चुके थे लेकिन 2 मीटर पाइप हमें काटनी पड़ी है तो अब तक हम 46 मीटर अंदर हैं और अब हमें 14 मीटर और अंदर जाना है जिसके लिए 6-6 मीटर की तीन पाइप हम अंदर भेजेंगे. अगले 5 मी कोई बाधा नहीं है तो हम उम्मीद कर रहे हैं कि उसके बाद अगले 5 मी भी हमें मलबा सॉफ्ट मिलेगा.

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रेस्क्यू में अब तक क्या क्या दिक्कतें आईं?

- रेस्क्यू एजेंसियों ने मजदूरों को निकालने के लिए 5 प्लान बनाए हैं. इनमें वर्टिकली और हॉरिजॉन्टली खुदाई भी शामिल है. लेकिन एजेंसियों को सबसे ज्यादा भरोसा ऑगर मशीन द्वारा की जा रही हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग पर है. सबसे पहले दिल्ली से 15 नवंबर को मशीन एयरलिफ्ट की गई थी. इसने 17 नवंबर से काम शुरू किया और 24 मीटर ड्रिलिंग की थी. लेकिन इसमें कुछ खराबी आ गई. इसके बाद इंदौर से ऑगर मशीन एयरलिफ्ट की गई. 

- ऑगर मशीन चलने से सुरंग के अंदर होने वाले कंपन से मलबा भी गिर रहा है. इससे भी ऑपरेशन में दिक्कत आ रही है. इससे अलावा गुरुवार को लोहे की छड़ आ जाने की वजह से 6 घंटे तक रेस्क्यू अभियान रुका रहा. फिर गुरुवार को तीन बार मशीन में खराबी की वजह से इसे रोकना पड़ा.

12 नवंबर से फंसे हैं मजदूर
 
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिलक्यारा सुरंग केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी चारधाम ‘ऑल वेदर सड़क' (हर मौसम में आवाजाही के लिए खुली रहने वाली सड़क) परियोजना का हिस्सा है. ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही यह सुरंग 4.5 किलोमीटर लंबी है. 12 नवंबर को सुरंग का एक हिस्सा ढह गया. इससे मजदूर सुरंग के अंदर ही फंस गए. इन्हें निकलने के लिए 10 दिन से रेस्क्यू अभियान जारी है. लेकिन अभी तक कोई खास सफलता नहीं मिली. 

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मजदूरों की हालत बिल्कुल ठीक

अच्छी बात ये है कि 12 दिन के बाद भी मजदूरों की तबीयत बिल्कुल ठीक है. उन्हें सुरंग में 6 एमएम के पाइप के जरिए दोनों टाइम खाना पहुंचाया जा रहा है. इसके अलावा मजदूरों की जरूरत की चीजें और दवाइयां भी भेजी जा रही हैं. उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी लगातार रेस्क्यू पर नजर बनाए हुए हैं. उन्होंने सिलक्यारा सुरंग का गुरुवार को दौरा किया. इस दौरान उन्होंने मजदूरों से भी बात की. 

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