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'कयामत तक बदला नहीं जा सकता पर्सनल लॉ', UCC के विरोध में जमीयत उलेमा ए हिंद

जमीयत उलेमा ए हिंद ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का विरोध किया है. लॉ कमीशन ने UCC पर सभी पक्षों से सुझाव मांगे थे, जिसका जवाब जमीयत ने भेज दिया है. इससे पहले ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी UCC का विरोध किया था.

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UCC के विरोध में जमीयत उलेमा ए हिंद
UCC के विरोध में जमीयत उलेमा ए हिंद

यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर अब जमीयत उलेमा ए हिंद (अरशद मदनी) ने भी लॉ कमीशन को अपना ड्राफ्ट भेज दिया है. जमीयत ने कहा है कि UCC मुसलमानों के लिए अस्वीकार्य है. साथ ही इसे देश की एकता और अखंडता के लिए हानिकारक बताया गया है. इतना ही नहीं जमीयत ने कहा है कि उनके पर्सनल लॉ को कयामत तक संशोधित नहीं किया जा सकता.

बता दें कि जमीयत उलेमा ए हिंद से पहले ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी लॉ कमीशन को अपना ड्राफ्ट भेजा था. उन्होंने भी UCC का विरोध किया था.

लॉ कमीशन ने खुद सभी पक्षों से UCC को लेकर सुझाव और प्रतिक्रिया मांगी थी. अब जमीयत ने 22 पन्नों का ड्राफ्ट कमीशन को भेजा है.

जमीयत की तरफ से लिखा गया है कि समान नागरिक संहिता सिर्फ मुसलमानों का ही नहीं बल्कि सभी भारतीयों का मसला है. लिखा गया है कि समान नागरिक संहिता के संबंध में सरकार को सभी धर्मों, सामाजिक और आदिवासी समूहों के प्रतिनिधियों से सलाह व मशवरा करना चाहिए और उन्हें विश्वास में लेना चाहिए, यही लोकतंत्र की मांग है.

मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि UCC पर दोबारा बहस शुरू करने को हम राजनीतिक साजिश का हिस्सा मानते हैं, यह मुद्दा सिर्फ मुसलमानों का नहीं बल्कि सभी भारतीयों का है. ड्राफ्ट में आगे कहा गया, 'हमारा शुरू से ही यह रुख रहा है कि हम तेरह सौ वर्षों से इस देश में स्वतंत्र रूप से अपने धर्म का पालन करते आ रहे हैं.'

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आगे कहा गया, 'सरकारें आईं और गईं लेकिन भारतीय अपने धर्म पर जीते और मरते रहे, इसलिए हम किसी भी स्थिति में अपने धार्मिक मामलों और पूजा के तरीकों से समझौता नहीं करेंगे और कानून के दायरे में रहकर अपने धार्मिक अधिकारों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएंगे.' 

'कयामत तक संशोधित नहीं हो सकता पर्सनल लॉ'

जमीयत उलेमा ए हिंद ने कहा, 'समान नागरिक संहिता पर जोर देना संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों के विपरीत है. हमारा पर्सनल लॉ कुरान और सुन्नत पर आधारित है, जिसे कयामत के दिन तक संशोधन नहीं किया जा सकता है. ऐसा कहकर हम कोई असंवैधानिक बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि धर्मनिरपेक्ष संविधान के अनुच्छेद 25 ने हमें ऐसा करने की आजादी दी है, समान नागरिक संहिता मुसलमानों के लिए अस्वीकार्य है और देश की एकता और अखंडता के लिए हानिकारक है.'

आगे कहा गया कि जब पूरे देश में नागरिक कानून (सिविल लॉ) एक जैसा नहीं है, तो पूरे देश में एक पारिवारिक कानून (फैमिली लॉ) लागू करने पर जोर क्यों दिया जा रहा है?

जमीयत ने अपने जवाब में आगे कहा है कि भारत जैसे बहुलवादी समाज में, जहां सदियों से विभिन्न धर्मों के अनुयायी अपने-अपने धर्मों की शिक्षाओं का पालन करते हुए शांति और सद्भाव के साथ रहते आए हैं, वहां समान नागरिक संहिता लागू करने का विचार बहुसंख्यकों को गुमराह करने के लिए लाया गया लगता है.

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AIMPLB ने UCC के विरोध में मांगा जनता का सपोर्ट

UCC को लेकर चल रही कवायद के बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बुधवार को बैठक बुलाई थी. AIMPLB ने तय किया था कि UCC का विरोध किया जाएगा. अब पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मोहम्मद फजल रहीम मुजद्दीदी ने एक लिंक और बारकोड जारी कर लोगों से इसके समर्थन में आगे आने की बात कही है.

इस लिंक के जरिए कोई भी अपनी सहमति AIMPLB के ड्राफ्ट पर जताते हुए इसे ईमेल के जरिए भेज सकता है.

दूसरे मौलानाओं ने भी UCC का खुलकर विरोध किया है. यूसीसी पर देवबंदी उलेमा मुफ्ती असद कासिम ने नाराजगी जताते हुए कहा कि इस देश के अंदर ऐसे कानून की कोई जरूरत नहीं है.

 

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