यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) यानी समान नागरिक संहिता एक प्रस्ताव है जिसका उद्देश्य धर्मों, रीति-रिवाजों और परंपराओं पर आधारित व्यक्तिगत कानूनों को धर्म, जाति और जेंडर के बावजूद सभी के लिए एक समान कानून.
कानून की नजर में सब एक समान होते हैं. शादी, तलाक,एडॉप्शन, उत्तराधिकार, विरासत लेकिन सबसे बढ़कर लैंगिक समानता वो कारण है, जिस वजह से यूनिफार्म सिविल कोड की आवश्यकता महसूस की जाती रही है. UCC का मतलब है विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे विषयों में सभी नागरिकों के लिए एक जैसे नियम. भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो. समान नागरिक संहिता जिस राज्य में लागू की जाएगी वहां, शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा (Law Under UCC).
यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) पर उत्तराखंद के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी (CM Pushkar Dhami) ने ड्राफ्टिंग कमेटी गठित कर दी है. उत्तराखंड UCC पर काम करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है (UCC in Uttarakhand).
विशेषज्ञों की माने तो सबके लिए एक कानून होने से देश में एकता को बढ़ावा मिलेगा. भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है. साथ ही, UCC के जरिये सभी लोगों के साथ धर्म से ऊपर जाकर समान व्यवहार होना जरूरी है (UCC in India).
गुजरात सरकार समान नागरिक संहिता लागू करने की तैयारी तेज कर चुकी है. मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने UCC कमेटी के साथ बैठक की, जिसमें अब तक हुए काम की जानकारी ली गई. अगले महीने UCC कमेटी अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप सकती है, जिसके बाद बहुत जल्द गुजरात में UCC लागू किया जा सकता है. देखें गुजरात आजतक.
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी लागू होने के बाद शादी, तलाक और लिव-इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन को लेकर अचानक तेज़ी देखी जा रही है। दरअसल, UCC क़ानून के तहत 26 मार्च 2010 से लेकर UCC लागू होने तक की सभी शादियां, तलाक और लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन 27 जुलाई 2025 तक करवाना अनिवार्य कर दिया गया है..
नरेंद्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का एक साल पूरा होने जा रहा. 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए का प्रदर्शन कमजोर रहा, बीजेपी को 240 और एनडीए को 293 सीटें मिलीं. विपक्ष ने इसे सरकार की कमजोरी बताया, एक वीडियो जारी कर बीजेपी ने मोदी कार्यकाल 3.0 की उपलब्धियों गिनवाईं. जिसमें बताया गया कि यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने की तैयारी में सरकार है.
आज आंबेडकर जयंती है. जब वक्फ कानून के विरोध में सारे दल संविधान को हाथ में लेकर घूम रहे हैं, तब आज पीएम मोदी ने उसी संविधान में दर्ज यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बड़ा संकेत देकर बता दिया कि वक्फ तो केवल ट्रेलर है... UCC असली पिक्चर है. देखें खबरदार.
आंबेडकर जयंती पर सियासी वार-पलटवार देखने को मिला. पीएम मोदी ने कांग्रेस पर संविधान और बाबा साहेब आंबेडकर के अपमान का आरोप लगाते हुए हमले किए. इसी कड़ी में मौजूदा वक्फ विवाद पर भी पीएम ने बयान दिया. ऐसे में सवाल है कि क्या बीजेपी और विपक्ष के बीच अब आंबेडकर के राजनैतिक-सामाजिक मूल्यों की विरासत पर कब्जे की जंग छिड़ी है? देखें दंगल.
राम मंदिर, अनुच्छेद 370, तीन तलाक, नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) की ओर बढ़ते कदम और ताजा-ताजा वक्फ संशोधन बिल जैसे कदमों ने न केवल बीजेपी के मूल समर्थकों को संतुष्ट किया, बल्कि देश की राजनीति को एक नए दर्शन की ओर मोड़ दिया. अब जब ये बड़े लक्ष्य हासिल हो चुके हैं या उनकी दिशा में मजबूत कदम उठाए जा चुके हैं, तो सवाल उठता है कि सरकार का अगला कदम क्या होगा?
2019 में दूसरी बार सत्ता में आने के बाद नरेंद्र मोदी सरकार ने ऐसे बड़े फैसले लागू किए हैं जिससे मुस्लिम समुदाय सीधे प्रभावित हुआ है. CAA, तीन तलाक उन्मूलन, यूसीसी का सवाल और अब वक्फ बिल ऐसे ही फैसले हैं. इन सभा मामलों में मुसलमानों के एक बड़े वर्ग ने कहा कि ये उनके धार्मिक मामलों में दखल है और मजहबी पहचान पर हमला है. लेकिन सरकार ने इसे प्रगतिशील और वक्त की जरूरत बताया.
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप की अनिवार्य रजिस्ट्रेशन के खिलाफ दायर याचिका पर सवाल उठाया. कोर्ट ने पूछा, बिना विवाह के जोड़े बेशर्मी से रह रहे हैं, तो रजिस्ट्रेशनन निजता का उल्लंघन कैसे है? याचिकाकर्ताओं ने निजता पर हमले की बात कही. कोर्ट 1 अप्रैल को मामले की सुनवाई करेगा.
उत्तराखंड में बीजेपी की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) लागू किया है, जिससे सभी नागरिकों पर समान कानून लागू होगा. हालांकि, इसके विरोध में याचिका दायर की गई है. हाईकोर्ट ने फैसला दिया कि यूसीसी के तहत प्रभावित लोग कोर्ट में अपील कर सकते हैं.
उत्तराखंड के बाद अब गुजरात में भी यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू हो सकता है. सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि गुजरात सरकार जल्द इस संबंध में घोषणा कर सकती है. अनुमान है कि इस कमेटी में 3 से 5 सदस्य हो सकते हैं. देखिए गुजरात आजतक
ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस से लोकसभा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा है कि समान नागरिक संहिता (UCC) को देश भर में लागू किया जाना चाहिए. लेकिन पहले इस पर विचार विमर्श जरूरी है. उन्होंने बीफ बैन और टोटल नॉनवेज बैन की भी पुरजोर हिमायत की है.
गुजरात सरकार के UCC समिति बनाने के फैसले पर गुजरात कांग्रेस ने उठाए सवाल. कांग्रेस विधायक दल के नेता ने आजतक से खास बातचीत में कहा, "विविधता में एकता की संस्कृति में UCC सही नहीं है. सिर्फ मुस्लिम समुदाय ही नहीं, इसका असर आदिवासी, जैन और ओबीसी समुदाय पर भी होगा. देखें पूरी बातचीत.
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने घोषणा की है कि राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किया जाएगा. इसके लिए राज्य सरकार ने आज महत्वपूर्ण घोषणा की है. राज्य सरकार द्वारा पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जाएगा, जो लोगों के सुझावों पर काम करेगी.
गुजरात सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) लागू करने की तैयारी में है. इसके लिए सरकार ने 5 सदस्यीय समिति की घोषणा की है. गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने इसे लेकर आजतक से खास बातचीत की. UCC को लेकर गृह राज्य मंत्री ने क्या कुछ कहा? देखें.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में भूपेंद्र पटेल ने कहा, 'हम सब एक महान राष्ट्र के नागरिक हैं, जिसमें संविधान हमारा धर्म ग्रंथ है. संविधान का 75वां साल मनाया जा रहा है. प्रधानमंत्री मोदी सभी को समान हक की बात करते हैं. पीएम मोदी की भाजपा सरकार जो कहती है, वो करती है. धारा 370, एक देश एक चुनाव, तीन तलाक, नारी शक्ति वंदना, आरक्षण की तरह UCC के लिए भी काम हो रहा है.'
गुजरात सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) लागू करने की तैयारी में है. सूत्रों के अनुसार, आज दोपहर 12:15 बजे मुख्यमंत्री भूपेन पटेल प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस संबंध में महत्वपूर्ण घोषणा कर सकते हैं. उत्तराखंड के बाद गुजरात दूसरा राज्य बन सकता है जहां यूसीसी लागू होगा. VIDEO
खबर है कि गुजरात सरकार आज यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर बड़ा ऐलान कर सकती है. दोपहर 12:15 बजे गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे जिसमें UCC की कमेटी को लेकर घोषणा हो सकती है. अनुमान है कि इस कमेटी में 3 से 5 सदस्य हो सकते हैं.
यूसीसी यानी समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) के तहत, उत्तराखंड में तलाक के नियम सभी नागरिकों के लिए अब समान हो गए हैं, चाहे वे किसी भी धर्म, जाति या लिंग के हों. यूसीसी का उद्देश्य विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और लिव-इन रिलेशनशिप जैसे मामलों में एकरूपता और लैंगिक समानता सुनिश्चित करना है. अब सभी धर्मों के लोगों के लिए तलाक की प्रक्रिया समान होगी. पहले जो धार्मिक या व्यक्तिगत कानूनों के अनुसार अलग-अलग प्रक्रियाएं थीं, वे अब एक हो गई हैं.
उत्तराखंड में लागू UCC के अनुसार गोद लिए गए बच्चे, 'illegitimate' बच्चे, सरोगेसी से पैदा हुए बच्चे और सहायक प्रजनन तकनीक से पैदा हुए बच्चे, सभी को जैविक बच्चे माना गया है और वे माता-पिता की संपत्ति में अधिकारी होंगे.
अगर कोई लड़का या लड़की पहले से शादीशुदा है और वो धोखे से फिर से लिव इन में जा रहा है तो ऐसी सूचना मिलते ही रजिस्ट्रार स्थानीय थाने को इसकी जानकारी देगा. इसके बाद दोषी व्यक्ति पर कानून के तहत कार्यवाही की जा सकेगी.
उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो गया है. इस बीच आइए आपको बताते हैं कि उत्तराखंड के अलावा कौन-कौन से ऐसे राज्य हैं, जो इस तरफ कदम आगे बढ़ा रहे हैं. आइए जानते हैं उन राज्यों के बारे में...