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अनिल मसीह को नोटिस, AAP के उम्मीदवार ही चंडीगढ़ के मेयर... पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट के फैसले की 5 बड़ी बातें

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार कुलदीप कुमार को विजेता घोषित किया. कोर्ट ने कहा कि अदालत ये सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया इस तरह के हथकंडों से नष्ट नहीं हो. कोर्ट ने कहा कि ये अदालत न्याय के लिए बाध्य है, पूरी चुनाव प्रक्रिया को रद्द करना सही नहीं है. लेकिन पीठासीन अधिकारी गलत कार्य के दोषी हैं. 

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चंडीगढ़ मेयर चुनाव विवाद
चंडीगढ़ मेयर चुनाव विवाद

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चंडीगढ़ मेयर चुनाव को लेकर फैसला सुनाते हुए आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार कुलदीप कुमार को विजयी घोषित कर दिया. अदालत ने कहा कि मेयर चुनाव में अमान्य किए गए आठ बैलट पेपर मान्य माने जाएंगे. इसके साथ ही रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह को कोर्ट की अवमानना का नोटिस जारी किया गया है.

कुलदीप कुमार ही चंडीगढ़ के मेयर

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार कुलदीप कुमार को विजेता घोषित किया. कोर्ट ने कहा कि अदालत ये सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया इस तरह के हथकंडों से नष्ट नहीं हो. कोर्ट ने कहा कि ये अदालत न्याय के लिए बाध्य है, पूरी चुनाव प्रक्रिया को रद्द करना सही नहीं है. लेकिन पीठासीन अधिकारी गलत कार्य के दोषी हैं. 

खारिज हुए आठ बैलट पेपर

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अद्यक्षता में तीन सदस्यीय पीठ ने चुनाव में डाले गए मतपत्रों की जांच की और ये पाया कि आठ बैलट पेपर वैध थे  और ये आम आदमी पार्टी के मेयर पद के उम्मीदवार कुलदीप कुमार के पक्ष में डाले गए थे. लेकिन मसीह ने जानबूझकर इन आठ बैलट पेपर से छेड़छाड़ की थी. 

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अनिल मसीह ने अधिकारों से परे काम किया

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि वीडियो देखने के बाद स्पष्ट है कि रिटर्निंग अधिकारी अनिल मसीह ने कुछ बैलट पेपर पर खास निशान लगाया. सभी आठ वोट कुलदीप कुमार को गए थे. लेकिन रिटर्निंग अधिकारी ने वोट अमान्य करने के लिए निशान लगाए. उन्होंने स्पष्ट रूप से अपने अधिकारों से परे जाकर काम किया है. 

लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बहाल करना अदालत की जिम्मेदारी

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि यह अदालत की जिम्मेदारी है कि वो लोकतांत्रिक सिद्धांतों और मूल्यों को बहाल करे. पीठ ने कहा कि अदालत के समक्ष झूठे स्टेटमेंट पेश करने के लिए कोर्ट ने सीआरपीसी की धारा 340 के तहत अनिल मसीह के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू कर दी है. 

अनिल मसीह को अवमानना का नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव के रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 340 के तहत कार्रवाई शुरू की है. उन्हें अदालत की अवमानना का नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है. मसीह को तीन हफ्ते का समय दिया है ताकि वह इस मामले पर अपना जवाब पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में दाखिल कर सकें. 

बता दें कि इससे पहले सोमवार की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासन और रिटर्निंग अफसर अनिल मसीह को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा था कि ये लोकतंत्र का मजाक है. इस चुनाव में रिटर्निंग अफसर की हरकत के वीडियो देखकर तो साफ है कि लोकतंत्र की हत्या हुई है. ये रिटर्निंग ऑफिसर क्या कर रहा है? हम नही चाहते कि देश में लोकतंत्र की हत्या हो. हम ऐसा नहीं होने देंगे.ऐसी स्थिति में सुप्रीम कोर्ट आंखें बंद कर नहीं बैठा रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव के दौरान मतदान और मतगणना के समय का वीडियो देखकर की थी. 

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क्या हुआ था मेयर चुनाव में?

चंडीगढ़ नगर निगम में कुल 35 पार्षद हैं. और एक यहां की सांसद किरण खेर का वोट भी है. इस तरह से कुल 36 वोट हैं. मेयर चुनाव में जीत के लिए 19 वोट की जरूरत है.

बीजेपी के पास अपने 14 पार्षदों और एक सांसद को मिलाकर कुल 15 वोट थे. जबकि, आम आदमी पार्टी के पास 13 और कांग्रेस के पास 7 पार्षद हैं. अकाली दल के एक पार्षद ने भी बीजेपी को समर्थन दिया था.

आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने मिलकर कुलदीप कुमार को उम्मीदवार बनाया था. जबकि, बीजेपी की ओर से मनोज सोनकर थे. कुलदीप कुमार को 20 और मनोज सोनकर को 16 वोट मिले थे. 

लेकिन रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह ने कुलदीप कुमार को मिले 20 में से 8 वोटों को अवैध करार दे दिया. इस तरह से कुलदीप कुमार के 12 और मनोज सोनकर के 16 वोट हो गए.

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