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'ED सारी सीमाएं क्रॉस कर रही...', Tasmac शराब घोटाले में सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी

तमिलनाडु की शराब कंपनी Tasmac के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की जांच पर सुप्रीम कोर्ट ने अस्थायी रोक लगा दी है. कोर्ट के आदेश में एजेंसी के संघीय ढांचे का उल्लंघन करने के लिए आलोचना की गई है.

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सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

तमिलनाडु (Tamilnadu) की सरकारी शराब कंपनी Tasmac (तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन) के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच और छापेमारी पर सुप्रीम कोर्ट ने अस्थायी तौर पर रोक लगा दी. भारत के चीफ जस्टिस बीआर गवई ने केंद्रीय एजेंसी के खिलाफ कड़ी टिप्पणी की और पाया कि ईडी की कार्रवाई असंगत और संभवतः असंवैधानिक है, क्योंकि कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है.

चीफ जस्टिस गवई ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि ईडी एक राज्य निगम को निशाना बनाकर 'सभी सीमाएं पार कर रहा है' और 'संघीय ढांचे का उल्लंघन' कर रहा है.

मद्रास हाई कोर्ट खिलाफ की गई थी अपील

सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश तमिलनाडु सरकार द्वारा मंगलवार (20 मई) को मद्रास हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद आया है. यह अपील मद्रास हाई कोर्ट के 23 अप्रैल के फैसले के बाद आई, जिसमें ईडी की जांच को आगे बढ़ने की अनुमति दी गई थी. ईडी ने तमिलनाडु में 1,000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले का आरोप लगाया है, जिसमें डिस्टिलरी ने शराब की आपूर्ति के ऑर्डर हासिल करने के लिए बेहिसाब कैश दिया. 

हालांकि, तमिलनाडु की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के बताया गया कि उसने सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय के जरिए 2014-2021 के बीच अलग-अलग आउटलेट ऑपरेटर्स के खिलाफ 41 एफआईआर दर्ज की हैं. 

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राज्य सरकार ने अर्जी में क्या कहा?

तमिलनाडु सरकार ने Tasmac पर ईडी की छापेमारी के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की और कहा कि यह केंद्रीय एजेंसी की शक्तियों का अतिक्रमण और संविधान का उल्लंघन है. तमिलनाडु ने ईडी पर राजनीतिक प्रतिशोध का भी आरोप लगाया और कहा कि छापेमारी अवैध थी.

ईडी के खिलाफ राज्य ने क्या दलील दी?

तमिलनाडु सरकार और Tasmac ने तर्क दिया कि ईडी अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जा रहा है. राज्य ने यह भी दावा किया कि महिला कर्मचारियों सहित Tasmac के अधिकारियों और कर्मचारियों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ा और तलाशी के दौरान लंबे वक्त तक हिरासत में रखा गया. उनके फोन और पर्सनल डिवाइस जब्त कर लिए गए, जिससे उनकी प्राइवेसी और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ.

डीएमके के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर राजनीतिक मकसद के लिए और सूबे की इमेज खराब करने के लिए ईडी जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया. इसके साथ ही राज्य ने ये भी कहा कि ये सब आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए किया गया है. 

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मद्रास हाई कोर्ट में क्या हुआ था?

तमिलनाडु सरकार और Tasmac ने शुरू में मद्रास हाई कोर्ट में ईडी की छापेमारी को चुनौती दी थी, जिसे खारिज कर दिया गया. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई. यह पहली बार नहीं था, जब तमिलनाडु सरकार ने Tasmac मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इससे पहले 4 अप्रैल को उन्होंने अपनी याचिका मद्रास हाई कोर्ट से राज्य के बाहर किसी अन्य हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की थी, लेकिन चार दिन बाद उन्होंने अपनी याचिका वापस ले ली थी.

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