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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: वक्फ रजिस्ट्रेशन की डेडलाइन नहीं बढ़ेगी, ओवैसी की याचिका भी खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि वक्फ संपत्तियों को UMEED पोर्टल पर छह महीने के भीतर रजिस्टर करना अनिवार्य है और इस डेडलाइन को किसी भी सूरत में आगे नहीं बढ़ाया जाएगा. कोर्ट ने सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि डेडलाइन के बाद ट्रिब्यूनल के पास जाने का विकल्प उपलब्ध है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और अन्य याचिकाकर्ताओं ने डेडलाइन बढ़ाने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने इसे अस्वीकार कर दिया.

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सुप्रीम कोर्ट सख्त: कहा- डेडलाइन नहीं बढ़ेगी, ट्रिब्यूनल से ही मिलेगी राहत
सुप्रीम कोर्ट सख्त: कहा- डेडलाइन नहीं बढ़ेगी, ट्रिब्यूनल से ही मिलेगी राहत

वक्फ की सारी संपत्तियों ('वक्फ बाय यूजर' वाली भी) को UMEED पोर्टल पर रजिस्टर कराने की छह महीने की आखिरी तारीख को किसी भी सूरत में आगे नहीं बढ़ाया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इसे स्पष्ट कर दिया है. 

जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने सभी याचिकाकर्ताओं से कहा कि हमें धारा 3B के प्रोविजो की तरफ ध्यान दिलाया गया है. इसमें साफ लिखा है कि छह महीने की समय-सीमा खत्म होने से पहले ट्रिब्यूनल के पास जाने का रास्ता खुला है. इसलिए हम सारी अर्जियां ये कहते हुए खारिज कर रहे हैं कि आप आखिरी तारीख तक संबंधित ट्रिब्यूनल में जा सकते हैं.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB), AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी समेत कई याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से गुहार लगाई थी कि छह महीने की डेडलाइन बढ़ाई जाए. इसके पीछे वजह ये बताई थी कि लाखों वक्फ संपत्तियों का डाटा अपलोड करना इतने कम वक्त में मुमकिन नहीं. लेकिन कोर्ट ने एक लाइन में मना कर दिया.

क्या है पूरा मामला 

वक्फ (संशोधन) एक्ट 2025 में नया नियम लाया गया है कि सारी वक्फ संपत्तियां (चाहे कागजों में लिखित हों या सदियों से इस्तेमाल के आधार पर 'वक्फ बाय यूजर' मानी जाती हों) छह महीने के अंदर UMEED पोर्टल पर रजिस्टर करना अनिवार्य है. 6 जून 2025 को केंद्र ने UMEED पोर्टल लॉन्च किया था. मतलब दिसंबर 2025 तक सारा डाटा अपलोड करना जरूरी है.

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'वक्फ बाय यूजर' संपत्त‍ि का अर्थ समझ‍िए 

'वक्फ बाय यूजर' का मतलब वो जमीन-मस्जिद-कब्रिस्तान जो बिना लिखित वक्फनामे के भी सदियों से धार्मिक-चैरिटेबल काम में इस्तेमाल हो रही हैं, उन्हें भी वक्फ माना जाता रहा है.

15 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने 2025 के नए वक्फ कानून के कुछ विवादित हिस्सों पर रोक लगा दी थी (जैसे सिर्फ पांच साल से इस्लाम मानने वाला ही वक्फ बना सकता है, ये प्रावधान फिलहाल होल्ड पर है), लेकिन पूरा कानून नहीं रोका. कोर्ट ने ये भी कहा था कि 'वक्फ बाय यूजर' को हटाने का सरकार का फैसला शुरू में गलत नहीं लगता और ये डर बेबुनियाद है कि सारी वक्फ जमीनें सरकार हड़प लेगी.

अब जो लोग डेडलाइन मिस करेंगे या रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाएंगे, उन्हें ट्रिब्यूनल के पास जाना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि हमें एक्सटेंशन नहीं देना. फिलहाल देशभर की वक्फ बोर्ड और मुस्लिम संगठन रात-दिन डाटा अपलोड करने में जुटे हैं, ताकि आखिरी तारीख तक सब कुछ पूरा हो जाए. देखते हैं दिसंबर तक कितना काम हो पाता है.

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