पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के दोषी बलवंत सिंह राजोआना की फांसी को उम्रकैद में बदलने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 25 नवंबर को सुनवाई करेगा. शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने 2012 में राजोआना की ओर से राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल की गई थी.
याचिका सोमवार सुबह सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति के सचिव से दो हफ्ते में राजोआना की दया याचिका पर विचार करने को कहा था। लेकिन दोपहर होते होते सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को राजोआना की फाइल की स्थिति की जानकारी दी.
सोमवार दोपहर जस्टिस भूषण आर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ के सामने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले का उल्लेख करते हुए अनुरोध किया कि इस पर शुक्रवार को सुनवाई की जाए. सुबह के सत्र में अपनी अनुपस्थिति के लिए माफी मांगते हुए मेहता ने कहा कि राजोआना की दया याचिका की फ़ाइल अब तक गृह मंत्रालय के पास ही है. यानी राष्ट्रपति के पास पहुंची ही नहीं है.
ये मुद्दा "संवेदनशील" है इसलिए पीठ से गुजारिश है कि वो अपने आदेश पर हस्ताक्षर न करें. साथ ही इसे वेबसाइट पर अपलोड भी न किया जाए. उन्होंने कहा कि वो सरकार से निर्देश लेकर आएंगे और सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखेंगे.
सुबह सुप्रीम कोर्ट ने सुबह कहा कि यदि निर्धारित समय सीमा के अंदर फैसला नहीं लिया जाता है तो वह राजोआना की दया याचिका पर स्वयं विचार करेगी. अदालत ने कहा, 'हम स्पष्ट करते हैं कि यदि कोई निर्णय नहीं लिया जाता है तो हम याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई अंतरिम राहत पर विचार करेंगे.
25 नवंबर को होगी सुनवाई
इस मामले पर अगली सुनवाई 5 दिसंबर की बजाए 25 नवंबर को होगी. पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के अपराध में मृत्युदंड की सजा पाए बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल अपना फैसला होल्ड किया.
सजा कम करने से कोर्ट ने किया इनकार
इससे पहले सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और पंजाब सरकार से इस मामले में जवाब मांगा था. वहीं, पिछले साल 3 मई को सुप्रीम कोर्ट ने उनकी मौत की सजा को कम करने से इनकार कर दिया था और संबंधित प्राधिकारी को उनकी दया याचिका पर निर्णय लेने का निर्देश दिया था.
राजोआना ने कहा कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने मार्च, 2012 में उनके लिए संविधान के आर्टिकल 72 के तहत दया याचिका दायर की थी.
बता दें कि 31 अगस्त, 1995 को चंडीगढ़ में सिविल सचिवालय के प्रवेश द्वार पर हुए विस्फोट में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह और 16 अन्य लोग मारे गए थे. जुलाई, 2007 में एक विशेष अदालत ने राजोआना को मौत की सजा सुनाई थी.