राज्यसभा में मणिपुर पर व्यापक चर्चा की मांग को लेकर विपक्ष का हंगामा आज भी जारी रहा. राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने मणिपुर पर अल्पकालिक चर्चा के डिस्कशन को मंजूरी दे दी, लेकिन विपक्षी सासंदों की मांग नियम 267 के तहत व्यापक चर्चा की थी. इसलिए विपक्ष का हंगामा जारी रहा और उसके बाद उपराष्ट्रपति ने आज दोपहर 2:30 बजे तक सदन को स्थगित कर दिया.
विपक्षी दल मणिपुर के मामले पर चर्चा को लेकर लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में रोजाना नोटिस दे रहे हैं. सरकार पर इस पर चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन विपक्ष नियम 267 के तहत लंबी चर्चा की मांग कर रहा है, जबकि सरकार ने कहा कि वह केवल नियम 176 के तहत छोटी चर्चा के लिए सहमत है.
क्या है नियम 267?
राज्यसभा की नियम पुस्तिका में नियम 267 को परिभाषित किया गया है. इसमें कहा गया है कि कोई भी सदस्य दिनभर के सूचीबद्ध एजेंडे को रोकते हुए सार्वजनिक महत्व के जरूरी मुद्दों पर चर्चा के लिए नोटिस प्रस्तुत कर सकता है. 1990 के बाद से रूल 267 का महज 11 बार बहस के लिए इस्तेमाल किया गया है.
आखिरी बार इसका इस्तेमाल साल 2016 में नोटबंदी के लिए किया गया था, जब मोहम्मद हामिद अंसारी सभापति थे. इस नियम का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि सार्वजनिक महत्व के मुद्दे पर बहस के लिए सभी कामों को रोक दिया जाता है. हालांकि नियम 267 के अलावा सरकार से सवाल पूछने और प्रतिक्रिया मांगने का सांसदों के पास एक और तरीका होता है. वे प्रश्नकाल के दौरान किसी भी मुद्दे से संबंधित प्रश्न पूछ सकते हैं, जिसमें संबंधित मंत्री को मौखिक या लिखित उत्तर देना होता है. कोई भी सांसद शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठा सकता है. हर दिन 15 सांसदों को शून्यकाल में अपनी पसंद के मुद्दे उठाने की अनुमति होती है.
क्या है रूल 176?
विपक्ष जहां रूल 267 के तहत बहस की मांग कर रहा है, वहीं सरकार का कहना है कि रूल 176 के तहत चर्चा हो. इस नियम को परिभाषित किया गया है कि नियम 176 किसी विशेष मुद्दे पर अल्पकालिक चर्चा की अनुमति देता है, जो ढाई घंटे से अधिक नहीं हो सकती. इसमें कहा गया है कि अति आवश्यक सार्वजनिक महत्व के मामले पर चर्चा शुरू करने का इच्छुक कोई भी सदस्य स्पष्ट रूप से और सटीक रूप से उठाए जाने वाले मामले को बताते हुए लिखित रूप में नोटिस दे सकता है, बशर्ते नोटिस के साथ एक व्याख्यात्मक नोट होगा.