रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को लद्दाख में भारतीय सेना के 14 सैन्य दल से मुलाकात की. इस दौरान सैन्य दल के साथ उनकी बातचीत भी हुई. उन्होंने कहा कि भारत, पड़ोसी देशों के साथ विवाद को बातचीत से सुलझाने में विश्वास रखता है.
लेकिन अगर कोई उकसाता है तो उसे मुंहतोड़ जवाब देने के लिए हमें तैयार रहना चाहिए. राजनाथ सिंह सोमवार को केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख स्थित कारु मिलिट्री स्टेशन पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने सैन्य अधिकारियों और जवानों का उत्साह बढ़ाया.
उन्होंने अपने संबोधन के दौरान साल 2020 में पूर्वी लद्दाख स्थित गलवान घाटी में शहीद होने वाले बहादुर जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की. रक्षा मंत्री ने कहा कि देश इन बहादुर जवानों के सर्वोच्च बलिदान को कभी नहीं भूलेगा. मैं आपको विश्वास दिलाना चाहता हूं कि भारत सरकार, सशस्त्र बलों की सभी जरूरतों को पूरा करेगी.
रक्षा मंत्री ने कहा, "मैं सबसे पहले उन सभी जवानों की स्मृतियों को नमन करता हूं, जिन्होंने जून 2020 में गलवान घाटी में देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया. मैं यह भी कहना चाहता हूं कि यह देश उनके बलिदान को कभी नहीं भूलेगा."
उन्होंने कहा, "मुझे बताया गया है कि 14वीं कॉर्प के 3rd डिवीजन की स्थापना 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान हुई थी. अपने स्थापना के कुछ सालों में ही 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में आपने निर्णायक भूमिका निभाई. करगिल युद्ध में भी आपकी वीरता की कहानियों ने देशवासियों का सिर ऊंचा किया."
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राजनाथ सिंह ने कहा कि आपके वीरतापूर्ण कारनामों की वजह से ही आपको ‘त्रिशूल’ डिविजन का नाम दिया गया है. आज आप भगवान शंकर के त्रिशूल के समान प्रचंड होकर, देश की उत्तरी सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि सीमा पर उभरती किसी भी परिस्थिति का सामना करने में आप सक्षम हैं.
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उन्होंने आगे कहा कि हम विश्वशांति के पुजारी हैं. हम शस्त्र भी धारण करते हैं तो शांति की स्थापना के लिए. भारत ने आज तक किसी भी देश पर न तो आक्रमण किया है न ही किसी भी देश की एक इंच ज़मीन पर हमने क़ब्ज़ा किया है. पड़ोसी देशों के साथ बातचीत के ज़रिए समाधान निकालने की कोशिश की जानी चाहिए. मंशा साफ़ होनी चाहिए. हम न तो किसी को आंख दिखाना चाहते हैं, न किसी का आंख दिखाना मंज़ूर है. हमारी सेना में हर चुनौती का मुंहतोड़ जवाब देने की क्षमता है.