संसद का मॉनसून सत्र चल रहा है और 'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर संसद में चर्चा चल रही है. विपक्षी खेमे से कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने लोकसभा में अपनी स्पीच के दौरान पहलगाम में हुए हमले को लेकर मोदी सरकार पर गुस्सा जाहिर किया. उन्होंने कहा, "आज गृहमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान के पास शरण में आने के बजाय कोई चारा ही नहीं था. आपने शरण दिया क्यों. वो आते हैं, आपके देश के अंदर लोगों को मार डालते हैं और उनको शरण देते हैं. क्यों शरण दिया?"
प्रियंका गांधी ने कहा कि जैसे ही गृहमंत्री ने शरण की बात की, इतिहास में चले गए. नेहरू ने क्या किया, इंदिरा गांधी ने क्या किया... यहां तक कि मेरी मां के आंसुओं तक चले गए लेकिन ये जवाब नहीं दिया कि सीजफायर क्यों किया और जंग क्यों रुकी?
प्रियंका गांधी ने मोदी सरकार से सवाल पूछते हुए कहा, "आप इतिहास की बात करते रहिए, हम वर्तमान की बात करेंगे. जिम्मेदारी क्यों नहीं तय हुई? गृह मंत्री ने इस्तीफा क्यों नहीं दिया? यह सरकार हमेशा सवालों से बचने की कोशिश करती है. इनमें देश के नागरिकों के प्रति कोई जवाबदेही का भाव नहीं है."
प्रियंका ने कहा, "मेरी मां के आंसू तब गिरे, जब उनके पति को आतंकवादियों ने शहीद किया. जब वे मात्र चालीस साल की थीं. आज अगर मैं इस सदन में खड़ी हूं और उन 26 लोगों की बात कर रही हूं, तो इसलिए क्योंकि मैं उनका दर्द जानती हूं और महसूस कर रही हूं."
'ये सोने का नहीं कांटों का ताज है...'
वायनाड से लोकसभा सांसद प्रियंका गांधी ने आगे कहा, "देश का नेतृत्व सिर्फ उपलब्धियों का श्रेय लेने से मजबूत नहीं होता, सफलता और विफलता दोनों की जिम्मेदारी लेने से बुलंद होता है. ये सोने का नहीं कांटों का ताज है. जब सरकार झूठी और कायर हो, तो बहादुर से बहादुर सेना के पराक्रम को कमजोर कर देती है."
उन्होंने कहा कि देश को प्रतिशोध के साथ-साथ सत्य प्राणों की रक्षा का प्रण चाहिए. सेना की शक्ति के साथ सरकार की सच्चाई भी चाहिए. महान देशभक्त शहीद इंदिरा गांधी जी ने सफल कूटनीति के बल पर अमेरिका के राष्ट्रपति का मुकाबला करके पाकिस्तान का विभाजन करवाया. उन्होंने कभी इसका श्रेय लेने की कोशिश नहीं की.
'क्या प्रधानमंत्री में हिम्मत है?'
प्रियंका गांधी ने भारत सरकार से मुखातिब होते हुए कहा, "ऑपरेशन सिंदूर का मकसद अगर पाकिस्तान को सबक सिखाने का था, तो शायद ये मकसद अभी अधूरा है. क्योंकि हमारी कूटनीति विफल रही है. इसका प्रमाण यही है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तानी जनरल यूएस के राष्ट्रपति के साथ लंच कर रहा था."
उन्होंने आगे कहा कि अगर ऑपरेशन सिंदूर का मकसद आतंकवाद को खत्म करने का था, तो पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र समिति का अध्यक्ष चुने जाने से इसको धक्का लगा है. इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा, क्या हमारे प्रधानमंत्री लेंगे, क्या उनमें हिम्मत है?
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प्रियंका गांधी ने सदन में कहा, "अगर इस ऑपरेशन के दौरान हमारे जहाजों का नुकसान नहीं हुआ, तो सदन में इसको साफ-साफ कहने में क्यों डरें? सवालों से बचने के लिए ये सरकार हमेशा प्रयास करती है. इसकी राजनीतिक कायरता बेमिसाल है. सच्चाई ये है कि इसके दिल में जनता के लिए कोई जगह नहीं है. सब राजनीति और प्रचार है. देश की जनता के लिए आपके दिल कुछ नहीं रहा."
उन्होंने कहा कि जो पहलगाम में हुआ, उससे हर एक देशवासी के दिल पर चोट पहुंची है. हिमांशी नारवाल की गुहार ने सबको शर्मिंदा किया है.
'पहलगाम में सुरक्ष क्यों नहीं थी?'
प्रियंका गांधी ने सदन में मौजूद सभी सांसदों से मुखातिब होते हुए कहा, "इस सदन में करीब सभी के पास सुरक्षा की व्यवस्था है. हम जहां भी जाते हैं, हमारे साथ सुरक्षाकर्मी आते हैं. पहलगाम में 26 परिवार उजड़ गए. उनमें से 25 भारतीय थे. जिनते लोग बैसारन वैली में थे, उनके लिए कोई सुरक्षा नहीं थी. आप कितने भी ऑपरेशन कर डालें, आप इससे नहीं नकार सकते कि आपने उन्हें सुरक्षित नहीं किया गया. वे इंसान थे, किसी राजनीतिक बिसात के मोहरे नहीं थे."
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प्रियंका ने सरकार के सामने उठाए कई सवाल...