संसद का मॉनसून सत्र चल रहा है और शुरुआती तीन दिन की कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ चुकी है. विपक्षी दल ऑपरेशन सिंदूर और बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण और सत्यापन यानी एसआईआर के मुद्दे पर चर्चा की मांग को लेकर आक्रामक हैं. दोनों सदनों में जारी गतिरोध के बीच बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की तारीख और समय फिक्स हो गया है.
ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की शुरुआत सोमवार यानी 28 जुलाई को लोकसभा से होगी. राज्यसभा में मंगलवार, 29 जुलाई को ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा होगी. संसद के दोनों ही सदनों में ऑपरेशन सिंदूर पर महाबहस के लिए 16-16 घंटे का समय निर्धारित किया गया है. बीएसी की मीटिंग में विपक्षी दलों ने अन्य मुद्दों पर किसी भी नियम के तहत शॉर्ट ड्यूरेशन डिस्कशन की मांग की.
विपक्षी दलों की ओर से यह भी कहा गया कि ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा कल (24 जुलाई को) ही शुरू होनी चाहिए. लेकिन प्रधानमंत्री के विदेश दौरे का हवाला देते हुए सरकार इसके लिए तैयार नहीं हुई. विपक्षी दलों की ओर से यह डिमांड भी रखी गई कि बीएसी की बैठक हर हफ्ते होनी चाहिए.
ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए तारीख और समय फिक्स होने से पहले सरकार ने खास तैयारी की है. जानकारी के मुताबिक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) अनिल चौहान, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ एक के बाद एक, कई बैठकें की हैं. इन बैठकों का उद्देश्य ऑपरेशन सिंदूर पर सरकार का जवाब तैयार करना बताया जा रहा है.
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सरकार ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान पूरी आक्रामकता के साथ अपना पक्ष रखने की तैयारी में है. ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए 28 और 29 जुलाई की तारीख तय की गई है. चर्चा की शुरुआत से दो दिन पहले 26 जुलाई को करगिल विजय दिवस भी है. सरकार की रणनीति संसद में अपनी मजबूती और उपलब्धियों को शोकेस करने के साथ ही इसे विजय दिवस के रूप में पेश करने की होगी.
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संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ ही गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रह सकते हैं. गौरतलब है कि विपक्षी दलों ने इससे पहले हुई बीएसी की मीटिंग में यह डिमांड की थी कि ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान सदन में प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और रक्षा मंत्री मौजूद रहें.