आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए भारत में शुक्रवार से 'No money for terror' सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है. NIA द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में 72 देशों के प्रतिनिधियों के भाग लेने की उम्मीद है. इसमें पाकिस्तान और अफगानिस्तान हिस्सा नहीं ले रहे हैं. इसे आतंकवादियों की कमर तोड़ने के लिए एक बड़े प्रयास के रूप में देखा जा रहा है. 18 नवंबर को सुबह 11 बजे पीएम नरेंद्र मोदी ताज होटल में इसका उद्घाटन करेंगे.
कार्यक्रम की जानकारी देने के लिए डीजी NIA दिनकर गुप्ता ने गुरुवार को प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया. जिसमें उन्होंने कहा कि आतंकियों को टेरर फंडिंग रोकने के लिए ये कॉन्फ्रेंस बहुत अहम है. 72 देशों के प्रतिनिधि आ रहे हैं. साथ ही 15 मल्टिनेशनल आ रहे हैं. 4 सेशन में ये कॉन्फ्रेंस होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह भी इसे संबोधित करेंगे.
उन्होंने कहा कि हमारे पास इसके सबूत है कि खालिस्तानी और कश्मीर के आतंकियों को फंडिंग हो रही है. NIA इस दिशा में काम कर रही है. इस कॉन्फ्रेंस में इस बारे में भी चर्चा होगी. इस कॉन्फ्रेंस में पाकिस्तान और अफानिस्तान शामिल नहीं हो रहे हैं. वहीं चीन के आने की भी पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है.
सम्मेलन का एजेंडा क्या होगा?
1. आतंक पर हो रही विदेशी फंडिंग पर लगाम लगाने के लिए कदम उठाये जाएंगे. एजेंसियां विदेशी फंडिंग के रूट्स की तलाश में आपसी सहयोग और पारदर्शिता दिखाएंगी.
2. मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर आतंकी संगठनों ने अपना तरीका बदला है. इस पर सभी एजेंसियों को एकजुट होकर जानकारी हासिल करने की बात कही जाएगी, जिससे इसके रूट तक पहुंचा जा सके.
3. आतंकी फंडिंग में क्रिप्टो करेंसी के इस्तेमाल और क्राउडफंडिंग के तरीकों पर लगाम लगाने के लिए इस सम्मेलन में विश्व की जांच एजेंसियों के बीच चर्चा होगी. साथ ही जानकारियां आदान-प्रदान पर जोर रहेगा. यही नहीं एजेंसियां डार्कवेब के जरिए हो रही आतंकी फंडिंग पर भी कड़ी निगरानी रखेंगी, जिस पर सभी एजेंसियों के बीच सहमति बनाने पर भारत का जोर रहेगा.
4. आतंकी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए फंडिंग इकट्ठा करने में जुटे रहते हैं, उस पर लगाम लगाने की रणनीति पर भी इस विश्वस्तरीय कॉन्फ्रेंस में चर्चा होगी.
5. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर एक समान वैश्विक कानून के दायरे में हों, ताकि फर्जी तरीके से की जा रही टेरर फंडिंग को रोका जा सके. और इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर की सही जानकारी देशों के पास रहे, जिससे कि वह ऐसे आतंकी फंडिंग करने वाले लोगों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई कर सकें.
6. कट्टरवाद और जेहाद को फैलाने वाले आतंकी संगठनों पर समय रहते एक्शन हो, इसके लिए भारत का जोर रहेगा कि वह सभी देशों को इस सम्मेलन के माध्यम से एकजुट करें.
7. इस सम्मेलन में भारत के पड़ोसी देशों में चल रही राजनीतिक परिस्थिति और उसके द्वारा जन में आतंकवाद पर भी चर्चा होगी. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अफगानिस्तान और पाकिस्तान में समय-समय पर जो राजनीतिक उथल-पुथल होती है, उसका फायदा आतंकी संगठन उठाते हैं,
8. आतंकी और खालिस्तानी गतिविधियों का फायदा उठा कर विदेशों में बैठे लोग, आतंकी फंडिंग करते हैं. ऐसे लोगों पर कड़ी निगरानी रखने पर भी कॉन्फ्रेंस में चर्चा होगी. जानकारी के मुताबिक सिख फॉर जस्टिस जैसे खालिस्तानी संगठन कनाडा अमेरिका जर्मनी ब्रिटेन में रहकर भारत के खिलाफ फर्जी प्रोपेगेंडा फैलाते हैं, ऐसे संगठनों पर भी नकेल कसने की तैयारी है.
9. टेरर फाइनेंसिंग पर लगाम लगाने के लिए निजी भागीदारी का सहयोग लेने पर भी विचार किया जा रहा है. इसे किस तरह से बढ़ाया जाएगा, उस कदम पर बड़ी चर्चा होगी.
10. सभी देश फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (FIU) को बेहतर तरीके से मजबूत करने को लेकर जोर दिया जाएगा.