दिन के बाद दिन फिर महीने और फिर साल बीतते जा रहे थे. परिवार ने तो एक मासूम के मिलने की उम्मीद ही खो दी थी. बस, एक मां थी जो हर दिन अकेले में बैठकर सुबकती थी. फिर वो दिन भी आया जब पुलिस ने अचानक फोन किया और कहा कि हमें आपका बेटा मिल गया है. दस साल बाद बेटे से मिलने के लिए घर से थाने तक पहुंचने का इंतजार हजारों सदियों जैसा था. वहां अपने बेटे को देखकर मां ने उसे गले लगाया तो वहां मौजूद पुलिस अधिकारी भी भावुक हो गए. जानिए- क्या है पूरी कहानी...
साल 2015, 6 नवंबर का दिन था, जब 7 साल का एक मासूम सेंट्रल नोएडा के फेस-2 के ग्राम गेझा में अपने दोस्तों के साथ खेल रहा था. अचानक वो लापता हो गया. परिवार दो दिनों तक उसे खोजने में ताकत झोंक दी. फिर परेशान परिवार ने 8 नवंबर को थाना फेस-2 में मुकदमा दर्ज कराया. पुलिस उसे अपने सूत्रों से लगातार बच्चे को तलाशती रही, लेकिन सालों तक उसका कोई सुराग नहीं मिला.
माता-पिता पहले दो तीन साल लगातार थाने के चक्कर काटते, पुलिस से पूछते बच्चे का कोई सुराग मिला क्या, लेकिन धीरे धीरे उम्मीद टूटने लगी थी. लापता हुए बच्चे के भाई अंशू ने बताया कि हम सबने धीरे धीरे उम्मीद खो दी थी. माता-पिता भी इस घटना के बाद गांव चले गए थे. उधर, पुलिस ने भी तमाम कोशिशों के बाद निराश होकर 20 दिसंबर 2022 को अंतिम रिपोर्ट पेश कर दी थी. इससे परिवार की उम्मीदें और भी धूमिल पड़ने लगीं, लेकिन नियति को तो कुछ और ही मंजूर था.
कैसे 10 साल बाद मिला खोया बच्चा
हुआ यूं कि 28 मई 2025 को थाना सूरजकुंड फरीदाबाद (हरियाणा) में एक अपहरण की शिकायत दर्ज हुई. फिर 2 जून 2025 को सूरजकुंड पुलिस ने अभियुक्त मंगल कुमार के कब्जे से एक बच्चे को बरामद किया. पुलिस की पूछताछ में मंगल ने चौंकाने वाला खुलासा किया कि उसके पास एक और बच्चा था, जिसे नोएडा से लाया था. यही नहीं उसने बच्चे की पहचान छुपाने के लिए उसका नाम भी बदल दिया था. ये जानकारी फरीदाबाद से थाना फेस-2 पुलिस तक पहुंची, लेकिन बदले नाम की वजह से उसकी पहचान कर पाना काफी मुश्किल लग रहा था.
पुलिस ने खंगाले पुराने रिकॉर्ड
फिर भी थाना फेस-2 पुलिस शांत नहीं बैठी. कागजातों में जानकारी न मिलने पर उन्होंने बच्चे को थाने बुलाकर समझा-बुझाकर पूछताछ की. इस पूछताछ में बच्चे ने बताया कि उसका नाम बदला गया है और पुराने नाम की यादें धुंधली हो चुकी थीं. अब पुलिस ने 10 साल के क्राइम, याददाश्त और गुमशुदा रजिस्टर की छानबीन शुरू कर दी. करीब 6 घंटे की लगातार मेहनत के बाद पुलिस के सामने साफ हो गया कि ये तो वही बच्चा था, जिसकी गुमशुदगी 2015 में दर्ज हुई थी.
...फिर आया वो भावुक पल
बरामद बच्चे को अपने माता-पिता का नाम तो याद था, लेकिन अपना पता बिल्कुल याद नहीं था. अब FIR खोली गई तो उसमें दर्ज मोबाइल नंबर उसके पिता के एक दोस्त का निकला जो अब आगरा में रहता है. संपर्क करने पर उसने परिवार के मैनपुरी में होने की जानकारी दी. पुलिस ने उनसे फोन नंबर लेकर माता-पिता को फोन किया और बताया कि उनका बेटा मिल गया है.
उधर फोन पर बच्चे की मां थी, 10 साल बाद उन्हें ये खबर मिलेगी, इकबारगी तो विश्वास ही नहीं कर पा रही थीं. पुलिस ने उनसे बेटे की शारीरिक पहचान भी पूछी तो मां ने बताया कि उसके दाहिने हाथ की कटी ऊंगली और बायीं आंख के नीचे का निशान है. निशानों की पुष्टि हुई तो पूरा परिवार भावुक हो गया. उन्होंने सबसे पहले अपने बड़े बेटे, चाची व जीजा को नोएडा भेजा. थाने में बच्चे को देखते ही परिवार ने उसे पहचान लिया और आंसुओं के बीच गले लग गया.
अब कानूनी प्रक्रिया और डीएनए टेस्ट बाकी
अब बच्चे को CWC (बाल कल्याण समिति) के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा. इसके बाद बीएनएसएस की धारा 183 (पूर्ववर्ती धारा 164 सीआरपीसी) के तहत न्यायालय में उसका बयान दर्ज होगा. अब न्यायालय की अनुमति से बच्चे और उसके पिता का डीएनए मिलान भी कराया जाएगा, ताकि हर पहलू पर पुख्ता सबूत मिल सके. वहीं डीसीपी सेंट्रल नोएडा शक्ति मोहन ने इस उपलब्धि के लिए बरामदगी टीम को 25,000 रुपये के नकद इनाम से सम्मानित किया है.