संसद का मॉनसून सत्र आज गुरुवार को खत्म हो गया, लेकिन इस दौरान विपक्ष के लगातार हंगामे के बीच सुचारू रुप से कार्यवाही नहीं चल सकी. मॉनसून सत्र में हुए हंगामे को लेकर लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति के बीच बैठक हुई और दोनों ने इस बारे में कड़ा कदम उठाए जाने की जरुरत पर बल दिया.
संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर किए जाने के लिए आज गुरुवार शाम को दोनों पीठासीन अधिकारी मिले.
दोनों पीठासीन अधिकारियों ने माना कि संसद में लगातार हुए हंगामे और पीठ की अपील के बाद भी विघ्न ने देश की सर्वोच्च विधायिका की छवि और गरिमा को नुकसान पहुंचाया है. इस बारे में कड़ा कदम उठाए जाने की जरुरत है.
पीठासीन अधिकारियों का मानना था कि भूतकाल में हुई इस तरह की घटनाओं का अध्ययन किया जाएगा और उस समय जो कार्रवाई की गई उस पर विचार होगा ताकि भविष्य में ऐसे मामलों के लिए कार्रवाई तय हो सके. दोनों पीठासीन अधिकारियों ने माना कि कुछ सदस्यों के व्यवहार के कारण सदन के अधिकांश सांसदों के अधिकारों पर असर पड़ रहा है.
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इससे पहले संसद के इस मॉनसून सत्र के दौरान राज्यसभा में महज 28 फीसदी कामकाज ही हो सका. सत्र के दौरान कुल 19 विधेयक राज्यसभा से पास किए गए. ज्यादातर संसद की कार्यवाही विपक्ष के हंगामे की वजह से स्थगित ही रही.
17वीं लोकसभा की छठी बैठक 19 जुलाई 2021 को शुरू हुई और इस दौरान 17 बैठकों में 28 घंटे 21 मिनट ही कामकाज हो सका. जबकि 76 घंटे और 26 मिनट संसद में हंगामे, विपक्ष के विरोध और अन्य बाधाओं की वजह से बाधित ही रहा.
मौजूदा संसद सत्र में विपक्ष ने कई मुद्दों पर केंद्र सरकार को घेरा. पेगासस जासूसी केस से लेकर महंगाई और किसान आंदोलन विपक्ष के प्रमुख मुद्दे रहे.
तय समय से 2 दिन पूर्व ही कार्यवाही स्थगित
विपक्ष के लगातार हंगामे की वजह से सदन का काम एक दिन भी निर्बाध रूप से चलता नजर नहीं आया. केंद्र सरकार ने विपक्ष पर हंगामा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्ष संसद की कार्यवाही में लगातार रुकावट पैदा कर रहा है. संसद का काम अपेक्षा के अनुरूप होता नजर नहीं आया.
पहले राज्यसभा की कार्यवाही 13 अगस्त तक चलने वाली थी, लेकिन 2 दिन पहले ही अनिश्चितकाल तक के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई. मॉनसून सत्र के दौरान अन्य पिछड़ा वर्ग विधेयक सहित कुल 20 विधेयकों को सभी दलों की सर्वसम्मति से पारित किया जा सका.
इसी तरह लोकसभा में भी काम की जगह जमकर हंगामा हुआ. हर दिन विपक्ष की नाराजगी सदन में साफ नजर आई. स्पीकर ओम बिरला ने सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने के बाद कहा कि लोकसभा के वेल में तख्तियां पकड़े सदस्य और नारेबाजी करना सदन की परंपरा नहीं है. गतिरोध की वजह से पूरे मॉनसून सत्र में लोकसभा महज 21 घंटे काम कर पाई और प्रोडक्टिविटी रेट महज 22 फीसदी ही रही.
विपक्ष ने की जांच की मांग
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने उपराष्ट्रपति के आवास के बाहर पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि सभी लीडर उपराष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू को, जो हमारे राज्यसभा के चेयरमैन भी हैं, उनसे मुलाकात की. उनको हमने एक मेमोरेंडम पेश किया. उसमें शरद पवार समेत सभी दलों के नेताओं ने मिलकर जो सदन में घटनाएं घटी, उसके बारे में उनको सब विस्तार से बताया क्योंकि उनको जो मालूमात होती है या जो भी इनफोर्मेशन मिलती है, वो एक साइड ना हो, तो इसलिए हम सभी लोग मेमोरेंडम लेकर पहुंचे.
उन्होंने कहा कि हमने यही कहा है कि सरकार ने जितने बिल हड़बड़ी में हाउस ऑर्डर में ना रहते हुए भी पास कर लिए, हर 10 मिनट में एक बिल पास हो गया और किसी को बोलने का मौका नहीं मिला और उन कानूनों में क्या कमियां हैं, वो बताने के लिए भी समय नहीं दिया. फिर भी हमने सरकार को कोविड मसले पर बहस के लिए पूरा साथ दिया. उसके बाद में जो कॉन्स्टिट्यूशनल अमेंडमेंट बिल था, उसके विषय में भी 6 घंटे तक सभी स्तर से हमने बात की, सभी पार्टी के लोगों ने भी बात करके सरकार को यानी इस कॉन्स्टिट्यूशन बिल को फुल सपोर्ट किया. जब हमने फुल सपोर्ट किया तो मकसद यही था कि पार्लियामेंट सही से चले और डेमोक्रेटिक तरीके से चले और इसका मैसेज जनता तक पहुंचे. वो हमने किया.
उन्होंने कहा कि सदन में हमेशा प्रदर्शन होते हैं. वेल में जाते हैं. लेकिन लीडर ऑफ दी हाउस ने ऐसा इंतजाम कर लिया था कि 50-60 मार्शल्स को बाहर से लाए. वो कौन थे, क्या थे, किनको मालूम? उसी ढंग से 15-20 महिलाओं को भी वो लाए और सील बनाकर वहां पर खड़ा कर दिया और जो कांग्रेस की दो महिला राज्यसभा सांसद थी, कांग्रेस की छाया वर्मा और फूलोदेवी नेताम और उनके साथ तृणमूल कांग्रेस की नेता भी थी, उनके साथ भी वो हुआ.
खड़गे ने कहा कि हम ये चाहते हैं कि बाहर की फोर्सेस को कौन लेकर आया, किसने इजाजत दी और इतनी संख्या में सदन में आने की क्या जरुरत थी? तो इसका कारण कौन है? किसने ये किया है? क्यों किया है और विपक्ष को बदनाम करने के लिए ऐसी चीजें सरकार करती गई. हम खंडन करते हैं और इसकी जांच की जाए और जो सच्चाई है, वो बाहर आए.