कांग्रेस ने मणिपुर की स्थिति को लेकर रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम पर निशाना साधा. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि पीएम को मन की बात में पहले मणिपुर की बात करनी चाहिए थी. कांग्रेस अध्यक्ष ने ट्वीट करते हुए लिखा, "नरेंद्र मोदी जी, आपके '𝐌𝐚𝐧𝐧 𝐊𝐢 𝐁𝐚𝐚𝐭' में पहले '𝐌𝐚𝐧𝐢𝐩𝐮𝐫 𝐊𝐢 𝐁𝐚𝐚𝐭' होनी चाहिए थी, लेकिन नहीं हुई. सीमावर्ती राज्य में स्थिति अनिश्चित और अत्यधिक परेशान करने वाली है."
उन्होंने आगे कहा, आपने एक शब्द नहीं बोला. आपने एक भी बैठक की अध्यक्षता नहीं की है. आप अभी तक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से नहीं मिले हैं. ऐसा लगता है कि आपकी सरकार मणिपुर को भारत का हिस्सा नहीं मानती है. यह अस्वीकार्य है. आपकी सरकार सोई हुई है. राजधर्म का पालन करें. शांति भंग करने वाले सभी तत्वों पर सख्ती से कार्रवाई करें. नागरिकों को विश्वास में लेकर सामान्य स्थिति बहाल करें. सभी पार्टियों के प्रतिनिधित्वों को मणिपुर जाना चाहिए.
जयराम रमेश ने भी साधा निशाना
इससे पहले कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पीएम पर निशाना साधते हुए कहा, "तो एक और मन की बात लेकिन मणिपुर पर मौन. पीएम ने आपदा प्रबंधन में भारत की महान क्षमताओं के लिए खुद की पीठ थपथपाई. मानवीय आपदा जो मणिपुर का सामना कर रही है, उसका क्या? अभी भी आपकी ओर से शांति की अपील नहीं की गई है. एक गैर-लेखापरीक्षा योग्य पीएम-कार्स फंड है, लेकिन क्या पीएम को मणिपुर की केयर है, यह असली सवाल है."
.@narendramodi ji,
— Mallikarjun Kharge (@kharge) June 18, 2023
Your ‘𝐌𝐚𝐧𝐧 𝐊𝐢 𝐁𝐚𝐚𝐭’ should have first included ‘𝐌𝐚𝐧𝐢𝐩𝐮𝐫 𝐊𝐢 𝐁𝐚𝐚𝐭’, but in vain.
The situation in the border state is precarious and deeply disturbing.
▫️You have not spoken a word.
▫️You have not chaired a single meeting.
▫️You have…
पीएम मोदी ने तय समय से पहले की मन की बात
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज रविवार को एक बार फिर अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के जरिए देशवासियों को संबोधित किया. पहली बार यह कार्यक्रम अपने तय समय से एक हफ्ता पहले प्रसारित किया गया. इस बारे में पीएम मोदी ने बताया कि अगले हफ्ते होने वाले अपने अमेरिकी दौरे की व्यस्तता के चलते वह तय समय से पहले लोगों को संबोधित कर रहे हैं.
बिपरजॉय का किया जिक्र
चक्रवाती तूफान बिपरजॉय का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'बड़े से बड़ा लक्ष्य हो, कठिन-से-कठिन चुनौती हो, भारत के लोगों का सामूहिक बल, सामूहिक शक्ति, हर चुनौती का हल निकाल देता है. Cyclone Biparjoy (बिपरजॉय) ने कच्छ में कितना कुछ तहस-नहस कर दिया, लेकिन, कच्छ के लोगों ने जिस हिम्मत और तैयारी के साथ इतने खतरनाक Cyclone का मुक़ाबला किया, वो भी उतना ही अभूतपूर्व है. प्राकृतिक आपदाओं पर किसी का ज़ोर नहीं होता, लेकिन, बीते वर्षों में भारत ने आपदा प्रबंधन की जो ताकत विकसित की है, वो आज एक उदाहरण बन रही है. प्राकृतिक आपदाओं से मुकाबला करने का एक बड़ा तरीका है – प्रकृति का संरक्षण. आजकल, Monsoon के समय में तो, इस दिशा में, हमारी ज़िम्मेदारी और भी बढ़ जाती है, इसीलिए ही आज देश, ‘Catch the Rain’ जैसे अभियानों के जरिए सामूहिक प्रयास कर रहा है.'
आपातकाल को किया याद
आपातकाल का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ' भारत लोकतंत्र की जननी है, Mother of Democracy है. हम, अपने लोकतांत्रिक आदर्शों को सर्वोपरि मानते हैं, अपने संविधान को सर्वोपरि मानते हैं, इसलिए, हम 25 जून को भी कभी भुला नहीं सकते. यह वही दिन है जब हमारे देश पर emergency थोपी गई थी. यह भारत के इतिहास का काला दौर था. लाखों लोगों ने emergency का पूरी ताकत से विरोध किया था. लोकतंत्र के समर्थकों पर उस दौरान इतना अत्याचार किया गया, इतनी यातनाएं दी गईं कि आज भी, मन, सिहर उठता है. Emergency के दौरान छपी इस पुस्तक में वर्णन किया गया है, कि कैसे, उस समय की सरकार, लोकतंत्र के रखवालों से क्रूरतम व्यवहार कर रही थी. मैं चाहूँगा कि, आज, जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तो, देश की आजादी को खतरे में डालने वाले ऐसे अपराधों का भी जरुर अवलोकन करें. इससे आज की युवा पीढ़ी को लोकतंत्र के मायने और उसकी अहमियत समझने में और ज्यादा आसानी होगी.'