scorecardresearch
 

मणिपुर में हिंसा के 3 महीने... मारे गए 35 लोगों को आज एक साथ दफनाएगा कुकी समुदाय

मणिपुर में जातीय संघर्ष में मारे गए कुकी समुदाय के 35 लोगों के शवों को गुरुवार को एकसाथ दफनाया जाएगा. समुदाय की तरफ से सामूहिक रूप से विदाई की जाएगी. इस कार्यक्रम को लेकर पुलिस-प्रशासन भी अलर्ट है. हिंसा के बाद चुराचांदपुर जिले में माहौल संवेदनशील बना हुआ है.

Advertisement
X
मणिपुर में कुकी समुदाय के युवा स्टूडेंट्स के हाथों में भी हथियार देखे जा रहे हैं.
मणिपुर में कुकी समुदाय के युवा स्टूडेंट्स के हाथों में भी हथियार देखे जा रहे हैं.

मणिपुर में हिंसा के तीन महीने पूरे हो गए हैं. माहौल में शांति नहीं है. बड़ी संख्या में लोग पलायन कर गए हैं. कई इलाकों में घर सूने पड़े हैं. दरवाजों पर ताले लटके हैं. गांवों में वीरान जैसी चुप्पी है. कुकी और मैतेई समुदाय के बीच सामंजस्य बनाने की कोशिशें की जा रही हैं. सरकार से लेकर शांति बहाली के प्रयासों में जुटा है. इस हिंसा में मारे गए 35 कुकी समुदाय के लोगों को आज (गुरुवार) एक साथ दफनाया जाएगा.

कुकी समुदाय का संगठन इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) ने बताया कि आज चुराचांदपुर जिले के लम्का शहर में इन शवों को दफनाएगा. तुईबोंग शांति मैदान में दफन कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. ITLF ने एक बयान में कहा कि संगठन के अध्यक्ष पा जिन हाओकिप कार्यक्रम में विदाई भाषण देंगे.

अफवाह से जुट गई मोर्चुरी के बाहर भीड़

इस बीच, कुकी समुदाय के शवों को दफनाने के लिए बाहर ले जाने की अफवाह ने परेशानी बढ़ा दी. दरअसल, खबर फैलने के बाद इम्फाल में क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान और जवाहरलाल नेहरू आयुर्विज्ञान संस्थान के पास बड़ी भीड़ जमा हो गई. बता दें कि इन दोनों अस्पतालों की मोर्चुरी में इम्फाल घाटी में जातीय संघर्ष में मारे गए लोगों के कई शव रखे हुए हैं. हालांकि, पुलिस भीड़ को शांत कराने में सफल रही. कोई अप्रिय घटना की सूचना नहीं है.

Advertisement

मणिपुर में 3 मई को पहली बार हुई थी हिंसा

मणिपुर में 3 मई को सबसे पहले जातीय हिंसा की शुरुआत हुई थी. मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल किए जाने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किया था. तब पहली बार मणिपुर में जातीय झड़पें हुईं. हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की जान चली गई और कई सैकड़ों घायल हो गए.

FIR से जांच तक मणिपुर हिंसा की स्टेसस रिपोर्ट में चूक ही चूक, सुप्रीम कोर्ट ने जमकर लगाई लताड़

मणिपुर में 40 प्रतिशत कुकी समुदाय की आबादी

मणिपुर की आबादी में मैतेई समुदाय की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं. कुकी और नागा समुदाय की आबादी 40 प्रतिशत से ज्यादा है. ये लोग पहाड़ी जिलों में रहते हैं.

मणिपुर में विवाद के क्या कारण...

- कुकी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिला है, लेकिन मैतेई अनूसूचित जनजाति का दर्जा मांग रहे हैं. 
- नागा और कुकी का साफ मानना है कि सारी विकास की मलाई मूल निवासी मैतेई ले लेते हैं. कुकी ज्यादातर म्यांमार से आए हैं. 
- मणिपुर के चीफ मिनिस्टर ने मौजूदा हालात के लिए म्यांमार से घुसपैठ और अवैध हथियारों को ही जिम्मेदार ठहराया है. करीब 200 सालों से कुकी को स्टेट का संरक्षण मिला. कई इतिहासकारों का मानना है कि अंग्रेज नागाओं के खिलाफ कुकी को लाए थे.

Advertisement

मणिपुर हिंसा: कुकी बहू को बचाने के लिए परिवार को छोड़ना पड़ा राज्य, 50 साल बाद लौटा झारखंड

- नागा अंग्रेजों पर हमले करते तो उसका बचाव यही कुकी करते थे. बाद में अधिकतर ने इसाई धर्म स्वीकार कर लिया जिसका फायदा मिला और एसटी स्टेटस भी मिला. 
- जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में स्पेशल सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ नॉर्थ ईस्ट इंडिया में असिसटेंट प्रफेसर खुरीजम बिजॉयकुमार सिंह ने बताया कि मणिपुर की हिंसा सिर्फ दो ग्रुप का ही झगड़ा नहीं है, बल्कि ये कई समुदायों से भी बहुत गहरे जुड़ा है. ये कई दशकों से जुड़ी समस्या है. अभी तक सिर्फ सतह पर ही देखी जा रही है.

मैतेई-कुकी में ST स्टेटस पर झगड़े की असल वजह

मौजूदा झगड़े की वजह असल में जॉब और एजुकेशन में मिलने वाला रिजर्वेशन है. वहीं, जनजाति की जमीन को सुरक्षा मिलती है जिसे कोई दूसरा खरीद नहीं सकता और प्रीवेंशन ऑफ एट्रोसिटीज एक्ट के तहत मजबूत कानूनी कवच भी. जनजातियों को होने वाली कमाई इनकम टैक्स फ्री होगी. मणिपुर का 90 फीसदी भूभाग पहाड़ी है जहां कुकी बसते हैं. वहां गैर जनजाति को जमीन खरीदने की इजाजत नहीं है. बाकी 10 फीसदी भूभाग पर मैतेई और दूसरी जाति बसी है. मैतेई को शेडयूल ट्राइब का दर्जा नहीं मिले, इसे लेकर विवाद बना हुआ है.

Advertisement

मणिपुर: दूरबीन गन, ड्रेस कोड, बैरिकेड पर मैनमेड देसी तोप, जानिए कौन हैं कुकी इलाके के 'मार्क्समैन'

कुकी मैदान में आकर जमीन खरीद सकते हैं. बस सकते हैं. लेकिन मैतेई पहाड़ी एरिया में नहीं जा सकते. लिहाजा, वो आर-पार की लड़ाई लड़ रहे हैं. पूर्वोत्तर में 19 जगहों से अफस्पा हटा लिया गया है. पूर्वोत्तर के 7 राज्यों में 4 में बीजेपी की सरकार है. कुकी समुदाय से और सुप्रीम कोर्ट के वकील SiamPhai ने कहा कि जब दोनों समुदायों को ही आरोपी और पीड़ित बताया जा रहा है तो फिर इनके एक साथ रहने का क्या अर्थ, इससे पहले कि दोनों एक दूसरे को खत्म ही कर लें.

 

Advertisement
Advertisement