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मणिपुर हिंसा कुकी बहु को बचाने के लिए परिवार को छोड़ना पड़ा मणिपुर, 50 साल बाद लौटा झारखंड

मणिपुर में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. बढ़ी हिंसा के कारण लोगों को पलायन अब भी जारी है. हिंसा में सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है. हजारों लोग बेघर हो गए हैं. इन सब के बीच उन लोगों के सामने खाने-पीने का संकट खड़ा हो गया है, जो काम की तलाश में घर छोड़कर मणिपुर पहुंचे थे.

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झारखंड के सिमडेगा का रहने वाला है परिवार
झारखंड के सिमडेगा का रहने वाला है परिवार

मणिपुर में फैली हिंसा के डर से लोगों का पलायन अब भी जारी है. इन लोगों में वे लोग भी शामिल हैं, जो कभी अपना घर छोड़कर काम की तलाश में मणिपुर पहुंचे थे. इन्हीं लोगों में एक हैं सेलेस्टिन. झारखंड के सिमडेगा के तुमड़ेगी गिरजा टोली के सेलेस्टिन ने 50 साल पहले रोजी रोटी के लिए घर छोड़ते वक्त कभी नहीं सोचा था कि वह सिमडेगा लौटेंगे. सेलेस्टिन सिमडेगा से काम की तलाश में मणिपुर पहुंचे थे और वहीं इस्लयगंज में  बस गए. परिवार में एक कुकी जनजाति की बहू भी आ गई.

हाल में वहां चल रहे जातीय हिंसा में उन्हें अपने परिवार खास कर अपनी कुकी बहू की जान का डर सताने लगा. हर दिन बढ़ती हिंसा को देख उन्होंने अपना घर छोड़कर पहले राहत शिविर में शरण ली फिर अपने परिचित सेना के जवान की मदद से गुवाहाटी आ गए. वहां से अपने 19 सदस्यीय परिवार के साथ वह सिमडेगा लौट आए. उन्होंने बताया कि  उनके घर छोड़ने के दूसरे दिन ही मैतेई लोगों ने उनका घर जला दिया था. अब लौटने के बाद उनके सामने खाने-पीने की समस्या हो गई है. अभी तक उनके परिवार को प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली है.

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अब तक 150 लोगों की हो चुकी मौत

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मणिपुर में अब तक हुई हिंसा में 150 लोगों की मौत हो चुकी है. 3 से 5 मई के बीच 59 लोग, 27 से 29 मई के बीच 28 लोग और 13 जून को 9 लोगों की हत्या हुई. 16 जुलाई के बाद मणिपुर हिंसा में किसी की जान जाने की खबर नहीं है. 

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361 राहत कैंप में रह रहे 57 हजार शरणार्थी

सूत्रों का दावा है कि केंद्र सरकार मणिपुर में शांति बहाली के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही. सरकार की पहल पर अब तक मैतेई और कुकी समुदाय के बीच 6 दौर की बातचीत हो चुकी है. दोनों समुदायों के रिटायर सरकारी अफसरों को भी शांति बहाली के मिशन में लगाया गया है. 361 राहत कैंप इस वक्त ऑपरेशन में हैं, जिनमें दोनों समुदायों के 57 हजार शरणार्थी रखे गए हैं.

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हिंसा के दौरान लूटे गए 4600 हथियार

हिंसा के दौरान मणिपुर के अलग अलग थानों से लगभग 4600 हथियार लूटे गए. लेकिन अभी तक सिर्फ 1200 के आसपास ही लूटे हुए हथियार वापस आए हैं. जबकि 3400 हथियारों का अब तक कोई अता-पता नहीं है. बताया जा रहा है कि ये लूटे हुए हथियार कुकी और मैतेई समुदाय के पास हैं. 

इससे पहले गृह मंत्रालय ने भी अपील की थी कि जो भी हथियार जिन लोगों के पास मौजूद हैं, वे अगर वापस नहीं किए जाएंगे तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी. हालांकि, सवाल ये है कि राज्य और केंद्र सरकार की अपील के बाद भी 3400 से ज्यादा हथियार वापस नहीं मिले हैं.

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आजतक के पास मौजूद डेटा के मुताबिक, मणिपुर के अलग अलग थानों से 4600 हथियार लूटे गये. इसमें से 1200 रिकवर हुए हैं. 3-4 मई को सबसे ज्यादा हथियार लूटे गए. इसके बाद 28 मई को भी हथियारों की लूट हुई. 

पूरे मणिपुर में 37 जगह पर हथियारों की लूट हुई . पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, मणिपुर पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज से 446 हथियार लूटे गये. 7 मणिपुर रायफल से 1598 हथियार लूटे गए. 8 IRB से 463 हथियार लूटे गए.  लूटे हथियार में LMG, MMG, AK, INSAS, Assault Rifle, MP5, Sniper, Pistol, Carbine शामिल हैं. सूत्रों के मुताबिक 10 जगह से कुकी समुदाय ने हथियार लूटे और 27 जगह से मैतेई ने. पुलिस रेड में कई देसी स्टाइल के हथियार भी मिले हैं. 

मणिपुर में अवैध शरणार्थियों की बायोमेट्रिक जांच शुरू

मणिपुर में एक बार फिर सरकार ने म्यांमार से आने वाले शरणार्थियों की पहचान करना शुरू कर दिया है. सरकार राज्य में सभी अवैध म्यांमार अप्रवासियों के बायोमेट्रिक जांच का अभियान चला रही है. एक अधिकारी ने सोमवार को कहा कि मणिपुर सरकार ने राज्य में पहचाने गए अवैध अप्रवासियों के बायोमेट्रिक विवरण एकत्र करने की प्रक्रिया फिर से शुरू कर दी है.

संयुक्त सचिव (गृह) पीटर सलाम ने बताया, हमने राज्य में लगभग 2,500 अवैध प्रवासियों की पहचान की है, जिनमें से अधिकांश वर्तमान में तेंगनौपाल और चंदेल जिलों में हैं. ये म्यांमार के साथ सीमा साझा करते हैं. सलाम ने कहा, 'राज्य सरकार ने पहले पहचान प्रक्रिया शुरू कर दी थी, लेकिन मई में हिंसा भड़कने के बाद यह रुक गई थी.' उन्होंने कहा, 'चुराचांदपुर जिले में गिरफ्तार किए गए अवैध अप्रवासियों को इंफाल पूर्व में फॉरेनर्स डिटेंशन सेंटर और सजीवा जेल में रखा गया है.' 

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