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'आप कांग्रेस घराने से आए हैं, दोनों तरफ खतरा...', खड़गे ने सभापति को चेताया, धनखड़ का भी किया जिक्र

राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खड़गे ने नए सभापति सीपी राधाकृष्णन को बधाई दी और उन्हें दोनों पक्षों के बीच संतुलन बनाए रखने की सलाह दी. इस दौरान, उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के बयानों पर पलटवार करते हुए कहा कि विपक्ष सदन में मुद्दों के साथ जवाब देगा.

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खड़गे ने कहा कि हम प्रधानमंत्री के हमलों का जवाब सदन में देंगे (Photo-ITG)
खड़गे ने कहा कि हम प्रधानमंत्री के हमलों का जवाब सदन में देंगे (Photo-ITG)

संसद के शीतकाली सत्र के पहले दिन राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सभापति राधाकृष्णन को उनके पद संभालने पर बधाई दी. इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सत्ता पक्ष पर तीखा हमला भी बोला.

खड़गे ने कहा कि उन्हें दुख है कि सदन को पूर्व उपराष्ट्रपति (जगदीप धनखड़) को विदाई देने का अवसर नहीं मिला. उन्होंने सभापति सीपी राधाकृष्णन को मजाकिया लहजे में सलाह देते हुए खहा,, “आप अपने आसन से उस तरफ ज्यादा न देखें, उसमें खतरा है. इधर आप नहीं देखेंगे तो भी खतरा है, इसलिए दोनों तरफ संतुलन बनाए रखेंगे तो अच्छा होगा.”

खड़गे ने सीपी राधाकृष्णन के सफल कार्यकाल की कामना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने भले ही उनके बैकग्राउंड का जिक्र किया हो, लेकिन वे यह न भूलें कि वे "कांग्रेस के घराने से आए हैं."

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इसके बाद, खड़गे ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, "प्रधानमंत्री जी बाहर बहुत जोरदार तकरीर करके आए और अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस करके और हम लोगों (विपक्ष) पर भी बहुत इनडायरेक्टली हमला किए, लेकिन उसका जवाब तो हम मुंह तोड़ यहां पर मुद्दों के साथ देंगे."

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खड़गे ने सर्वपल्ली राधाकृष्णन को उद्धृत करते हुए लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका पर ज़ोर दिया. उन्होंने कहा, "एक लोकतंत्र तानाशाही में बदल सकता है, यदि वह विपक्षी समूहों को सरकार की नीतियों की निष्पक्षता, स्वतंत्रता और स्पष्टवादिता से आलोचना करने की अनुमति नहीं देता है."

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई. रिजिजू ने कहा कि विपक्ष को अपने पुराने रवैये को नहीं भूलना चाहिए. उन्होंने तंज करते हुए याद दिलाया कि पिछली बार विपक्ष ने तत्कालीन चेयरमैन के खिलाफ “अनाप-शनाप भाषा का इस्तेमाल कर रिमूवल नोटिस” दिया था, जिससे उच्च सदन की मर्यादा को ठेस पहुंची.

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