भारत और चीन के बीच में चल रहा सीमा विवाद फिलहाल शांत है. हालांकि भारतीय सेना सीमा पर पैनी नजर बनाए हुए हैं. हाल ही में डीजीपी कांफ्रेंस के दौरान एक रिपोर्ट भी पेश की गई. जिसमें एक तरफ चीन की करतूतों को लेकर जानकारी दी गई है तो वहीं ये भी बताया गया है कि पिछले कुछ सालों में सीमा विवाद काफी बढ़ गया है. हर दो से तीन सालों बाद ऐसी स्थिति बन जाती है जब जमीन पर तनाव रहता है. इस सबके बीच पूर्वी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलिता ने कहा कि सेना हर परिस्थिति के लिए तैयार है.
न्यूज एजेंसी के मुताबिक कोलकाता में एक कार्यक्रम में लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा कि युद्ध और शांति दोनों अवसरों पर भारतीय सैनिक पूरी तरह से तैयार हैं. पूर्वोत्तर में सड़कों का जाल बिछ रहा है. सभी राजधानियां हवाई सेवाओं से जुड़ गई हैं. हर तरफ विकास हो रहा है और इसका लाभ भारतीय सेना को होगा.अरुणाचल प्रदेश में एलएसी में स्थिति बिल्कुल सामान्य है, लेकिन अप्रत्याशित हैं. इसलिए भारतीय सेना किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार है.
सीमा के पूर्वी हिस्से में स्थिति स्थिर- सेना अधिकारी
उन्होंने कहा कि पूरी समस्या इस तथ्य से उत्पन्न होती है कि भारत और चीन के बीच सीमा अपरिभाषित है. वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के बारे में अलग-अलग धारणाएं हैं जो समस्याओं का कारण बनती हैं. अभी तक सीमा के पूर्वी हिस्से में स्थिति स्थिर है. लेकिन सीमा के बारे में अलग-अलग धारणाओं के कारण स्थिति अप्रत्याशित भी है.
लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलिता ने कहा कि पूर्वी सेना पर पूर्वी सीमाओं पर क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने की जिम्मेदारी है और इस टास्क को हमारी यूनिट और बलों द्वारा अत्यंत व्यावसायिकता और समर्पण के साथ निभाया गया है. हम आने वाली चुनौतियों के बारे में लगातार जागरूक हैं.
सर्जिकल स्ट्राइक के सबूतों पर दिया ये जवाब
2016 में पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगने के सवाल पर पूर्वी कमान के जीओसी-इन-सी लेफ्टिनेंट जनरल आर.पी कलिता ने कहा कि सेना किसी ऑपरेशन को अंजाम देते समय कोई सबूत नहीं रखती है. हालांकि उन्होंने इस सवाल पर जवाब देने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि यह एक राजनीतिक सवाल है. इसलिए मैं इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा. मुझे लगता है कि देश भारतीय सशस्त्र बलों पर भरोसा करता है. यह पूछे जाने पर कि क्या ऑपरेशन के दौरान सेना कोई सबूत रखती है, उन्होंने ना में जवाब दिया. उन्होंने कहा कि जब हम कोई ऑपरेशन करने जा रहे होते हैं, तो हम उस ऑपरेशन का कोई सबूत नहीं रखते.
दिग्विजय सिंह ने हाल में फिर उठाए थे सवाल
बता दें कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने हाल ही में जम्मू में राहुल गांधी के नेतृत्व वाली भारत जोड़ो यात्रा के दौरान सीमा पार सैन्य अभियान पर संदेह व्यक्त किया था. उन्होंने कहा था, "वे (केंद्र) सर्जिकल स्ट्राइक की बात करते हैं और कई लोगों को मारने की बात कहते हैं, लेकिन इसका कोई सबूत नहीं है. वे झूठ का पुलिंदा चलाकर शासन कर रहे हैं."
हालांकि, पार्टी ने इस टिप्पणी से खुद को अलग कर लिया और कहा कि यह उनका अपना विचार है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सिंह की टिप्पणियों को "हास्यास्पद" करार दिया था और कहा था कि सशस्त्र बल अपना काम बाखूबी तरीके से कर रहे हैं और उन्हें कोई सबूत देने की आवश्यकता नहीं है.
वहीं कांग्रेस के महासचिव, जयराम रमेश ने ट्विटर पर कहा था कि दिग्विजय सिंह द्वारा व्यक्त किया गया विचार उनका अपना था और यूपीए सरकार ने भी 2014 से पहले (जब भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सत्ता में आई थी) सर्जिकल स्ट्राइक की थी. कांग्रेस ने देश के हित में सभी सैन्य कार्रवाइयों का समर्थन किया था और करती रहेगी.
9 दिसंबर को LAC पर सैनिकों के बीच झड़प
बता दें कि 9 दिसंबर को तवांग सेक्टर के यांग्त्से में LAC पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प के बाद भारत और चीन के बीच तनाव और बढ़ गया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 13 दिसंबर को संसद में कहा कि चीनी सैनिकों ने अरुणाचल प्रदेश के यांग्त्से क्षेत्र में यथास्थिति को "एकतरफा" बदलने की कोशिश की, लेकिन भारतीय सेना ने अपनी दृढ़ और दृढ़ प्रतिक्रिया के साथ उन्हें पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया.