सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले को बरकरार रखा है. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग हैं. इसकी कोई आंतरिक संप्रभुता नहीं है. सीजेआई ने कहा कि राष्ट्रपति को आर्टिकल 370 हटाने का हक है और आर्टिकल 370 हटाने का फैसला संवैधानिक तौर पर सही था. अनुच्छेद 370 हटाने में कोई दुर्भावना नहीं थी. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर जेएनयू की छात्रा रहीं शेहला रशीद की प्रतिक्रिया सामने आई है.
शेहला रशीद ने ट्वीट कर कहा, ''मुझे उम्मीद है कि अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कुछ हद तक समाधान निकलेगा और जम्मू-कश्मीर के लोगों को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा. जैसा कि जस्टिस कौल ने कहा, जो बीत गया सो बीत गया, लेकिन भविष्य हमारा इंतजार कर रहा है. शांति, समृद्धि और सद्भाव के लिए प्रार्थना.''
शेहला का विवादों से रहा है पुराना नाता
शेहला रशीद का नाता लगातार विवादों से रहा है. वे 2016 में चर्चा में आई थीं, जब JNU में कथित तौर पर भारत तेरे टुकड़े होंगे के नारे लगाए गए थे. इस मामले में जेएनयूएसयू के अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उमर खालिद की गिरफ्तारी हुई थी. इस दौरान शेहला रशीद ने केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. शेहला रशीद छात्रों के राजनीतिक प्रदर्शन के अधिकार को सख्ती से डिफेंड करती हुई नजर आती थीं. तब शेहला कई न्यूज चैनलों और कार्यक्रमों के प्लेटफॉर्म पर आईं और अभिव्यक्ति की आजादी के समर्थन में खड़ी हुईं.
इसके बाद 5 अगस्त 2019 को जब केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटा दिया तो शेहला ने केंद्र के इस फैसले का तीखा विरोध किया. शेहला ने तब लगातार ट्वीट कर सेना और केंद्र पर आरोप लगाए थे. शेहला ने ट्वीट कर कहा था कि लोगों को आतंकित और प्रताड़ित किया जा रहा है, जम्मू-कश्मीर पुलिस के पास कोई अधिकार नहीं है. सेना रात के अंधेरे में लोगों के घर घुस में रही है और लोगों को उठा रही है. सेना ने शेहला के इन आरोपों को बेबुनियाद बताया था.
कुछ समय से शेहला में दिख रहा बदलाव
कई मौकों पर केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल चुकीं शेहला रशीद के सुरों में बड़ा बदलाव देखने को मिला है. वे लगातार पीएम मोदी और अमित शाह की तारीफ कर रही हैं. साथ ही कश्मीर के बदलावों को भी सकारात्मक बता रही हैं. हाल ही में एक पत्रकार से बातचीत में शेहला ने कश्मीर की स्थिति का जिक्र करते हुए कहा था, कश्मीर गाजा नहीं है. कश्मीर में बदलाव के लिए मैं इसका श्रेय पीएम मोदी को देना चाहूंगी, जिन्होंने ऐसी राजनीतिक स्थिति तय की, जो रक्तहीन थी.
4 साल बाद आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला
5 अगस्त 2019 को मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रभाव को खत्म कर दिया था, साथ ही राज्य को 2 हिस्सों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था और दोनों को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था. केंद्र के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 23 अर्जियां दी गई थीं, सभी को सुनने के बाद सितंबर में कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. 370 हटने के 4 साल, 4 महीने, 6 दिन बाद आज सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने फैसला सुनाया.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें
- राष्ट्रपति को आर्टिकल 370 हटाने का हक. आर्टिकल 370 हटाने का फैसला संवैधानिक तौर पर सही था.
- संविधान के सभी प्रावधान जम्मू कश्मीर पर लागू होते हैं. ये फैसला जम्मू कश्मीर के एकीकरण के लिए था.
- अनुच्छेद 370 हटाने में कोई दुर्भावना नहीं थी.
- जम्मू कश्मीर में जल्द चुनाव के लिए कदम उठाए जाएं. 30 सितंबर 2024 तक जम्मू कश्मीर में चुनाव हों.
- जम्मू कश्मीर में जल्द राज्य का दर्जा बहाल हो.
- आर्टिकल 370 एक अस्थाई प्रावधान था. जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. जम्मू कश्मीर के पास कोई आंतरिक संप्रभुता नहीं थी.
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लद्दाख को अलग करने का फैसला वैध था.