भारत-पाकिस्तान के बीच तनातनी के दौर में पूर्व केंद्रीय मंत्री सैफुद्दीन सोज ने सिंधु जल संधि को लेकर कुछ ऐसा बयान दिया कि विवाद शुरू हो गया है. उन्होंने न्यूज़ एजेंसी से बात करते हुए कहा, "पाकिस्तान के लिए सिंचाई और पीने के लिए पानी बहुत ज़रूरी है. अगर नदी के पानी को डायवर्ट नहीं किया गया, तो पंजाब और जम्मू-कश्मीर राज्य पूरी तरह डूब जाएंगे. सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धों से बची हुई है."
सैफुद्दीन सोज ने आगे कहा कि यह जल संधि पाकिस्तान के लिए जीवन रेखा है. अगर पाकिस्तान यह रुख़ अपनाता है कि पहलगाम हमले में उसका हाथ नहीं है, तो हमें पाकिस्तान की बात मान लेनी चाहिए.
'मैंने पाकिस्तान से बातचीत की मांग...'
वहीं, जम्मू-कश्मीर कांग्रेस प्रमुख तारिक हमीद कर्रा ने पाकिस्तान से बातचीत की मांग कर दी. उनके इस बयान पर विवाद का दौर शुरू हो गया, जिसके बाद वे यू-टर्न लेते हुए नजर आए. आलोचनाओं के बाद उन्होंने कहा, "मैं पार्टी के रुख के साथ हूं. इस वक्त मेरा सरकार को समर्थन है." इसके साथ ही कर्रा ने कहा कि मैंने पाकिस्तान से बातचीत की मांग नहीं की है, मेरी टिप्पणियों को गलत संदर्भ में लिया गया है.
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'सामूहिक दंड नहीं होना चाहिए...'
इसके अलावा, आवामी इत्तेहाद पार्टी के नेता खुर्शीद अहमद शेख ने कहा, "पाकिस्तान से बातचीत ही एकमात्र विकल्प है, हम भी यही कहते हैं कि बातचीत (पाकिस्तान से) होनी चाहिए. बातचीत से ही समाधान निकलेगा. जब तक आप बातचीत नहीं करेंगे, लोग मरते रहेंगे."
उन्होंने आगे कहा कि हमने न केवल हमले की निंदा की है, बल्कि हमने इसका विरोध भी किया है. सदन में न केवल इसकी निंदा की जाएगी, बल्कि हम उम्मीद करते हैं कि मारे गए लोगों की याद में एक स्मारक बनाया जाना चाहिए और हमने यह भी कहा कि आदिल के नाम पर एक बहादुरी पुरस्कार होना चाहिए. सामूहिक दंड नहीं होना चाहिए, यह किसी भी मुद्दे का समाधान नहीं है.
(सुनील जी भट्ट और एजेंसी के इनुपट के साथ)