
पांच दिन से चल रहे IndiGo के फ्लाइट संकट ने अब बड़े रूप ले लिया है. शनिवार को देश की सबसे बड़ी घरेलू एयरलाइन ने 850 उड़ानें रद्द कर दीं. इससे ठीक एक दिन पहले शुक्रवार को एक हज़ार से भी अधिक फ्लाइट्स कैंसिल हुई थीं.
इतनी बड़ी संख्या में फ्लाइट्स रद्द होने से देशभर में अफरा-तफरी का माहौल है. यात्रियों को सबसे बड़ी परेशानी टिकट रिफंड और वैकल्पिक यात्रा की मिल रही है. नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने इस स्थिति को गंभीर मानते हुए अब सख्त दखल दिया है.
सरकार ने IndiGo को आदेश दिया है कि सभी कैंसिल या डिसरप्ट हुई उड़ानों के टिकटों का रिफंड रविवार शाम 8 बजे तक पूरा किया जाए. किसी भी यात्री से रीशेड्यूलिंग चार्ज नहीं लिया जाएगा. जिन पैसेंजर्स का बैगेज मिस हो गया है या फ्लाइट रद्द होने से अलग रह गया है, उन्हें वो सामान अगले 48 घंटे में वापस मिलना चाहिए.
इसके अलावा एयरलाइन को एक विशेष सेल बनानी होगी जो यात्रियों से खुद संपर्क करे और उनका रिफंड और सफर का वैकल्पिक प्रबंध बिना बार-बार फॉलो-अप के पूरा करे.
DGCA ने IndiGo के CEO को शो-कॉज नोटिस जारी किया है. यह नोटिस उड़ानों में लगातार हो रही देरी, रद्दीकरण और अन्य ऑपरेशनल गड़बड़ियों के संबंध में दिया गया है. नियामक ने IndiGo से चौबीस घंटे के भीतर स्पष्टीकरण मांगा है. यदि निर्धारित समय में जवाब नहीं दिया गया, तो DGCA ने स्पष्ट किया है कि एयरलाइन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

टिकट दाम आसमान पर, सरकार ने लगाया किराए पर ब्रेक
सरकार ने साथ ही एयर किराए पर नियंत्रण लगाने का बड़ा फैसला भी लिया है. नागरिक उड्डयन मंत्रालय के मुताबिक, लगातार उड़ानें रद्द होने से न सिर्फ सीटों की कमी हुई, बल्कि टिकट की कीमतें भी अचानक आसमान छूने लगीं. कुछ रूट्स पर तो टिकट 80 से 90 हज़ार रुपये तक पहुंच गईं.
अब सरकार ने दूरी के हिसाब से अधिकतम किराए की सीमा निर्धारित कर दी है. 0 से 500 किलोमीटर की फ्लाइट का किराया अब 7,500 रुपये से ज़्यादा नहीं होगा. 500 से 1,000 किलोमीटर के बीच की उड़ान का कैप 12,000 रुपये तय किया गया है. 1,000 से 1,500 किलोमीटर के लिए 15,000 रुपये और 1,500 किलोमीटर से लंबी उड़ानों के लिए 18,000 रुपये की अधिकतम सीमा रखी गई है.
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इसका मतलब है कि दिल्ली-मुंबई जैसी 1,300 किलोमीटर की फ्लाइट के टिकट का ऊपरी लिमिट 18,000 रुपये तय होगी. यह सीमा सिर्फ तब तक लागू रहेगी जब तक फ्लाइट ऑपरेशंस सामान्य नहीं हो जाते. हालांकि यह नियम बिजनेस क्लास और उड़ान उड़ानों पर लागू नहीं है.

सरकार ने कहा है कि यह किराया सीमा सभी बुकिंग प्लेटफॉर्म्स चाहे एयरलाइन की वेबसाइट हो या ऑनलाइन ट्रैवल एजेंट पर लागू होगी. अगर कोई एयरलाइन इस नियम को तोड़ती है, तो उसके खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाएगी.
टूरिज़्म इंडस्ट्री ने स्वागत किया, पर स्थायी समाधान की मांग
भारतीय पर्यटन उद्योग ने इस कदम का स्वागत किया है लेकिन कहा है कि असली समस्या सिस्टम की तैयारी में है. भारतीय टूर ऑपरेटर संघ के प्रमुख रवि गोसाईं के मुताबिक, अचानक बढ़े किरायों से यात्रियों का भरोसा टूटता है और टूर ऑपरेटरों को नुकसान होता है.
उनका कहना है कि सरकार का यह कदम सही है, लेकिन स्थायी समाधान बेहतर तैयारियों, अतिरिक्त फ्लाइट्स और किराए की पारदर्शिता में है. वहीं FAITH के बोर्ड मेंबर अनिल कालसी ने कहा कि यात्रियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए ऐसी फेयर पॉलिसी स्थायी रूप से लागू होनी चाहिए.
सीईओ ने तोड़ी चुप्पी, यात्रियों से मांगी माफी
इस बीच, लगातार बढ़ते दबाव के बाद IndiGo के सीईओ पीटर एल्बर्स ने तीन दिन की चुप्पी तोड़ी और वीडियो संदेश जारी कर यात्रियों से माफी मांगी. उन्होंने कहा कि एयरलाइन शेड्यूल को स्थिर करने और देरी कम करने की दिशा में काम कर रही है. हालांकि यात्रियों के बीच सवाल बना हुआ है कि क्या इतनी बड़ी कंपनी के पास पहले से कोई संकट प्रबंधन योजना नहीं थी और क्यों यात्रियों को समय रहते सूचना नहीं दी गई.

DGCA की राहत और पायलट्स का विरोध: नया विवाद सामने
अब बात करते हैं नए विवाद की, जिसने इस संकट को और पेचीदा बना दिया है. DGCA यानी नागरिक उड्डयन नियामक ने IndiGo को कुछ अस्थायी राहत दी है. इसमें नाइट ड्यूटी का समय 12 बजे रात से 6 बजे सुबह तक से घटाकर 12 बजे रात से 5 बजे सुबह तक किया गया है. साथ ही पायलट्स को अब दो की जगह छह नाइट लैंडिंग करने की अनुमति भी दी गई है.
इससे IndiGo को ऑपरेशनल फायदा जरूर होगा, क्योंकि कम पायलट्स से ज़्यादा फ्लाइट्स उड़ाई जा सकती हैं. लेकिन पायलट्स की संस्था ALPA India ने इस पर कड़ा विरोध जताया है. एसोसिएशन का कहना है कि ये राहत “चुनिंदा और असुरक्षित” है और इससे न केवल रेग्युलेटरी संतुलन बिगड़ता है बल्कि यात्रियों की सुरक्षा पर भी असर पड़ता है. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने पायलट्स की थकान घटाने के लिए जो वैज्ञानिक मानक तय किए थे, ये राहत उन दिशा-निर्देशों के खिलाफ है.
FDTL नियमों पर फिर विवाद, सुरक्षा मानकों पर उठे सवाल
यह विवाद इसलिए और गंभीर है क्योंकि जनवरी 2024 में इसी विषय पर नए एफडीटीएल यानी उड़ान ड्यूटी समय सीमा नियम लाए गए थे. इन नियमों में पायलट्स के लिए ज्यादा आराम, सीमित नाइट लैंडिंग और बेहतर वर्क बैलेंस की व्यवस्था की गई थी. लेकिन IndiGo उन पहली एयरलाइंस में थी जिसने इसका विरोध करते हुए कहा था कि इन नियमों को लागू करने के लिए उन्हें ज़्यादा समय और अतिरिक्त क्रू की जरूरत है.

अब वही नियम आंशिक रूप से कमजोर किए गए हैं, जिससे विमानन सुरक्षा पर नए सवाल खड़े हो गए हैं.
संकट ने खोले सिस्टम की कमजोरियां, सरकार ने दी पहली बड़ी प्रतिक्रिया
कुल मिलाकर, IndiGo संकट ने भारत की एविएशन इंडस्ट्री के कई कमजोर पहलू खोल दिए हैं. यात्री परेशान हैं, सरकार पर दबाव है, और नियामक संस्थाएं संतुलन बनाने की कोशिश कर रही हैं. अगले कुछ दिनों में यह तय होगा कि क्या एयरलाइन अपना शेड्यूल सामान्य कर पाती है, क्या किराए की इन सीमाओं से यात्रियों को राहत मिलती है, और क्या सुरक्षा बनाम ऑपरेशन की यह बहस किसी ठोस नतीजे तक पहुंच पाती है.
सिविल एविएशन मिनिस्टर का बयान - हाई लेवल जांच का ऐलान
देश की एविएशन इंडस्ट्री पर मचे हंगामे के बीच अब सिविल एविएशन मिनिस्टर राम मोहन नायडू ने पहली बार खुलकर बयान दिया है.
इंडिया टुडे से एक्सक्लूसिव बातचीत में उन्होंने कहा कि सरकार ने इस पूरे मामले की हाई लेवल जांच के लिए एक कमेटी गठित कर दी है. ये कमेटी यह पता लगाएगी कि आखिर इतनी बड़ी गड़बड़ी कहां और कैसे हुई, और इसके लिए कौन जिम्मेदार है. उनका साफ कहना था, “हम इस पर सख्त कार्रवाई कर रहे हैं. जो भी दोषी होगा, उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी.”
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मंत्री राम मोहन नायडू ने यह भी माना कि इंडिगो जैसी बड़ी एयरलाइन के साथ इस तरह का हादसा होना बेहद हैरान करने वाला और चिंता की बात है. उन्होंने कहा, “सोचिए, ये वही एयरलाइन है जो पिछले 20 सालों से इंडस्ट्री में सबसे बेहतर ऑन-टाइम परफॉर्मेंस देती है. हमेशा टॉप ऑन-टाइम परफॉर्मेंस लिस्ट में रही है. और अब अचानक वही एयरलाइन दो-अंकों से नीचे गिर जाए ये अपने आप में बहुत रनिंग है.”
उन्होंने साफ इशारा दिया कि इस बार मामला सिर्फ एक ऑपरेशनल गलती का नहीं, बल्कि जिम्मेदारी तय करने का है. सरकार चाहती है कि जो भी कमी इस सिस्टम में उजागर हुई है. चाहे वो शेड्यूलिंग की हो, मैनेजमेंट की हो या रेगुलेशन की उसे पहचानकर ठीक किया जाए.