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'शुद्ध हिंदी बोलते हैं, चाइनीज का C भी समझ नहीं आता...', शंघाई में जिस इंडियन को चीन ने रोका, उसने बताई पूरी कहानी

पेमा वांग थोंगडोक ने चीन की कम्युनिस्ट सरकार को साफ-साफ मैसेज देते हुए कहा है कि हम शुद्ध हिंदी बोलते हैं और हमें चाइनीज का C भी समझ नहीं आता है. उन्होंने भारत राष्ट्र के प्रति अपनी अटूट निष्ठा जाहिर करते हुए कहा कि मैं यह जागरूकता फैलाना चाहती हूं कि भारत के उत्तर-पूर्व में रहने वालों को इस तरह की परेशानी का सामना नहीं होना चाहिए.

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पेमा ने बताया कि चीनी अधिकारी अरुणाचल को चीन का हिस्सा बता रहे थे.  (Photo: ITG)
पेमा ने बताया कि चीनी अधिकारी अरुणाचल को चीन का हिस्सा बता रहे थे. (Photo: ITG)

"हम शुद्ध हिंदी बोलते हैं. हमें चाइनीज का C भी समझ में नहीं आता है. इसमें कहने की कोई बात ही नहीं है, निश्चित रूप से हम भारत का हिस्सा हैं, हम सभी भारतीय है, हमें चीन में तो कोई अधिकार नहीं मिला है, हम चीन में तो वोट नहीं देते हैं." ये उस लड़की का बयान है जो अरुणाचल प्रदेश की रहने वाली है और जिसे शंघाई में चीनी अधिकारियों ने रोक लिया था. 

अरुणाचल प्रदेश की रहने वाली पेमा वांग थोंगडोक नाम की इस युवती ने शंघाई एयरपोर्ट पर चीनी इमिग्रेशन अधिकारियों की घटिया हरकतों को डिटेल में बताया है. 

इंडिया टुडे/आजतक से बातचीत में उन्होंने कहा, "मैं एक भारतीय नागरिक हूं और लगभग 14 साल से यूनाईटेड किंगडम में रह रही हूं और मैं शंघाई में एक ट्रांज़िट के ज़रिए लंदन से जापान जा रही थी. मैं लाइन में खड़ी थी, तभी चीनी इमिग्रेशन की एक अधिकारी आई और मुझे लाइन से अलग कर दिया. मैंने उनसे पूछा कि ये क्या हो रहा है, और उन्होंने कहा, 'अरुणाचल- इंडिया नहीं है, चीन, चीन का हिस्सा है, आपका वीजा मंज़ूर नहीं है.आपका पासपोर्ट इनवैलिड है."

पेमा ने आगे कहा, "जब मैंने उनसे सवाल करने की कोशिश की और पूछा कि दिक्कत क्या है, तो उन्होंने कहा, 'अरुणाचल इंडिया का हिस्सा नहीं है' और वो मेरा मजाक उड़ाने लगी और हंसने लगी और कह,- 'तुम्हें चाइनीज़ पासपोर्ट के लिए अप्लाई करना चाहिए, तुम चाइनीज़ हो, तुम इंडियन नहीं हो'... मैं पहले भी शंघाई से बिना किसी दिक्कत के गुजरी हूं. मैं बहुत लंबे समय तक अपने परिवार से बात नहीं कर पाई."

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अरुणाचल की निवासी पेमा ने कहा कि, "चाइना ईस्टर्न का एयरलाइन स्टाफ और करीब दो और इमिग्रेशन ऑफिसर अपनी भाषा में बात कर रहे थे और अरुणाचल की ओर इशारा करते हुए हंस रहे थे और उसे इंडिया नहीं, बल्कि चाइना कह रहे थे. यह इमिग्रेशन स्टाफ और एयरलाइन स्टाफ दोनों की तरफ से बहुत बेइज्जती वाला, और शक वाला बर्ताव था. मैंने शंघाई और बीजिंग इंडियन एम्बेसी को फोन किया और एक घंटे के अंदर इंडियन ऑफिसर एयरपोर्ट आए, मेरे लिए कुछ खाना लाया और उनसे दिक्कतों पर बात की और मुझे वहां से बाहर निकलने में मदद की. यह बहुत लंबी मुश्किल थी, 18 घंटे तक मैं वहां फंसी रही, लेकिन खुशी है कि मैं वहां से बाहर आ गई."

भारत के लिए अपनी अटल निष्ठा जाहिर करते हुए पेमा ने चीन और चीनी अधिकारियों को संदेश दिया. पेमा ने कहा, "हम भारत का हिस्सा हैं. हम 'शुद्ध हिंदी' बोलते हैं, हमें चीनी का C नहीं आता, हम सब भारतीय हैं. मैं यह जागरूकता फैलाना चाहती हूं कि भारत के उत्तर-पूर्व में रहने वालों को इस तरह की परेशानी का सामना नहीं करना चाहिए, जैसे कि उन्हें यह कहकर बुलाया जाए कि आप उस देश का हिस्सा नहीं हैं जिसके आप इतने गर्व से नागरिक हैं. मैं चाहूंगा कि भारत सरकार इस मुद्दे को चीनी अधिकारियों के साथ डिप्लोमैटिक लेवल पर उठाए. यह ऐसी बात नहीं है जिसे कोई आम नागरिक सुलझा सके. मैं बस भारत सरकार से अनुरोध करना चाहूंगा कि ऐसे मामलों में चीनी अधिकारियों और सरकार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए."

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पेमा के साथ हुए सलूक पर भारत सरकार ने तुरंत एक्शन लिया. भारत ने बीजिंग और दिल्ली में चीनी पक्ष के साथ एक कड़ा विरोध जताया गया. भारत ने कहा कि शंघाई में हमारे कॉन्सुलेट ने भी इस मामले को स्थानीय स्तर पर उठाया और फंसे हुए यात्री की पूरी मदद की. 

भारत ने इस बात पर जोर दिया गया कि यात्री को बेतुके आधार पर रोका गया था. अरुणाचल प्रदेश बिना शक भारतीय इलाका है और इसके निवासियों को भारतीय पासपोर्ट रखने और उनसे यात्रा करने का पूरा हक है. 

भारत ने यह भी कहा कि चीनी अधिकारियों की कार्रवाई सिविल एविएशन से जुड़े शिकागो और मॉन्ट्रियल कन्वेंशन का उल्लंघन है. भारत ने कहा कि 
ऐसे समय में जब दोनों पक्ष सामान्य स्थिति बहाल करने पर काम कर रहे हैं, चीनी पक्ष की ऐसी कार्रवाइयों से इस प्रक्रिया में बेवजह रुकावटें आती हैं.

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