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समुद्र में बढ़ेगी भारत की ताकत... अगले महीने में नौसेना में शामिल होगा INS तुशील, इन हथियारों से है लैस

एडवांस स्टील्थ फ्रिगेट तुशील अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों से लैस है और इसे वायु रक्षा, पनडुब्बी रोधी युद्ध और सतही युद्ध सहित कई भूमिकाएं निभाने के लिए डिज़ाइन किया गया है. इसका डिजाइन और हथियार भारतीय नौसेना को बढ़ी हुई परिचालन क्षमताएं प्रदान करेंगे, जिससे यह कई तरह के खतरों का प्रभावी ढंग से जवाब दे सकेगा.

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INS तुशील दिसंबर में भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल होगा (फाइल फोटो)
INS तुशील दिसंबर में भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल होगा (फाइल फोटो)

रूस में बना गाइडेड-मिसाइल फ्रिगेट INS तुशील जहाज लंबे इंतजार के बाद भारतीय नौसेना में शामिल होने जा रहा है. दिसंबर में इसकी डिलीवरी इसी साल दिसंबर में भारत को देने जा रहा है. इसके लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रूस का दौरा करेंगे और 9 दिसंबर को कैलिनिनग्राद के यंतर शिपयार्ड में गाइडेड-मिसाइल फ्रिगेट INS तुशील को नौसेना के बेड़े में शामिल करेंगे. सूत्रों के मुताबिक, कोविड और रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद आपूर्ति बाधाओं के कारण इस प्रोजेक्ट में देरी हुई है. रूस भारतीय नौसेना के लिए चार अत्याधुनिक फ्रिगेट का निर्माण कर रहा है. और 9 दिसंबर को पहले शिप की डिलीवरी होने जा रही है. इसके शामिल होने से इंडो-पैसिफिक में उभरती रणनीतिक चुनौतियों के बीच इससे भारत की नौसैनिक शक्ति को बड़ा बढ़ावा मिलेगा.

एडवांस स्टील्थ फ्रिगेट तुशील अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों से लैस है और इसे वायु रक्षा, पनडुब्बी रोधी युद्ध और सतही युद्ध सहित कई भूमिकाएं निभाने के लिए डिज़ाइन किया गया है. इसका डिजाइन और हथियार भारतीय नौसेना को बढ़ी हुई परिचालन क्षमताएं प्रदान करेंगे, जिससे यह कई तरह के खतरों का प्रभावी ढंग से जवाब दे सकेगा. उल्लेखनीय रूप से, जहाज का नाम तुशील है, जिसका मतलब "रक्षक" है, जो भारत की समुद्री सीमाओं और हितों की रक्षा करने के अपने मिशन को रेखांकित करता है. 

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2016 में भारत औऱ रूस के बीच हुआ था समझौता

बता दें कि अक्टूबर 2016 में भारत और रूस के बीच चार स्टील्थ फ्रिगेट के अधिग्रहण के लिए समझौता हुआ था. समझौते के तहत, दो फ्रिगेट को सीधे आयात किया जाना था, जबकि शेष दो को गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (GSL) द्वारा स्थानीय निर्माण के लिए नामित किया गया था. पहले दो फ्रिगेट की सीधी खरीद के लिए $1 बिलियन का अनुबंध अंतिम रूप दिया गया था, और नवंबर 2018 में GSL ने शेष जहाजों को घरेलू स्तर पर बनाने के लिए सामग्री, डिजाइन और तकनीकी सहायता के लिए रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के साथ $500 मिलियन का सौदा किया था. भारतीय रक्षा मंत्रालय और GSL के बीच औपचारिक अनुबंध जनवरी 2019 में हस्ताक्षरित किया गया था. 

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तुशील सहित सभी चार फ्रिगेट, यूक्रेनी निर्माता ज़ोर्या-मैशप्रोक्ट के इंजन द्वारा संचालित हैं, जो पूरे बेड़े में निरंतर प्रणोदन क्षमताओं को सुनिश्चित करते हैं. तुशील का शामिल होना महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है, जो एक ऐसा क्षेत्र है जहां महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा और नौवहन की आजादी के लिए चुनौतियां हैं. तुशील भारत की नौसैनिक पहुंच को बढ़ाने और प्रमुख समुद्री मार्गों को सुरक्षित करने और उभरते खतरों का जवाब देने की अपनी क्षमता को बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण संपत्ति के रूप में काम करेगा. 

इन हथियारों से लैस है ये जंगी जहाज

बता दें कि इस जंगी जहाज का समंदर में डिस्प्लेसमेंट 3850 टन होता है. इनकी लंबाई 409.5 फीट, बीम 49.10 फीट और ड्रॉट 13.9 फीट है. ये समंदर में अधिकतम 59 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चलते हैं. अगर इसकी गति को 26 किलोमीटर प्रतिघंटा किया जाएगा तो ये 4850 किलोमीटर की रेंज कवर कर सकता है. अगर 56 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चलाया जाए तो ये 2600 किलोमीटर की रेंज कवर करता है. यह जंगी जहाज 18 अधिकारियों समेत 180 सैनिकों को लेकर 30 दिन तक समंदर में तैनात रह सकता है. उसके बाद इसमें रसद और ईंधन डलवाना पड़ता है. ये जंगी जहाज इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम से लैस है. साथ ही 4 केटी-216 डिकॉय लॉन्चर्स लगे हैं. इसके अलावा इसमें 24 Shtil-1 मीडियम रेंज की मिसाइलें तैनात हैं.

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इसमें 8 इगला-1ई, 8 वर्टिकल लॉन्च एंटी-शिप मिसाइल क्लब, 8 वर्टिकल लॉन्च एंटी-शिप और लैंड अटैक ब्रह्मोस मिसाइल भी तैनात है. इसमें एक 100 मिलिमीटर की A-190E नेवल गन लगी है. इसके अलावा एक 76 mm की ओटो मेलारा नेवल गन लगी है. 2 AK-630 सीआईडब्लूएस और 2 काश्तान सीआईडब्लूएस गन लगी हैं. इन खतरनाक बंदूकों के अलावा दो 533 मिलिमीटर की टॉरपीडो ट्यूब्स हैं. और एक रॉकेट लॉन्चर भी तैनात की गई है. इस जंगी जहाज पर एक कामोव-28 या एक कामोव-31 या ध्रुव हेलिकॉप्टर लैस हो सकता है.

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