गाजियाबाद के कविनगर में दो मंजिला कोठी से फर्जी दूतावास चलाने के आरोप में गिरफ्तार हर्षवर्धन जैन की गिरफ्तारी ने अंतरराष्ट्रीय फर्जीवाड़े और हवाला रैकेट की परतें खोल दी हैं. यूपी एसटीएफ की जांच में जो नाम सबसे चौंकाने वाला निकला है, वह है एहसान अली सैयद का, जो हैदराबाद का मूल निवासी है और अब तुर्की की नागरिकता ले चुका है.
एहसान लंबे वक्त तक लंदन में रह चुका है और धोखाधड़ी की कई गतिविधियों में लिप्त रह चुका है. एहसान अली वही शख्स है जो विवादास्पद धर्मगुरु चंद्रास्वामी के बेहद करीबियों में गिना जाता रहा है. उसी के कहने पर हर्षवर्धन जैन ने विदेशों में दर्जनों शेल कंपनियां खड़ी कीं.
जांच में पता चला है कि इन कंपनियों को हवाला ट्रांजेक्शन, मनी लॉन्ड्रिंग और बड़े पैमाने पर आर्थिक फ्रॉड के लिए इस्तेमाल किया गया. इनमें से कुछ फर्जी कंपनियों के नाम हैं:
यह भी पढ़ें: चीटिंग, दलाली और हवाला का रैकेट... फर्जी दूतावास वाले हर्षवर्धन जैन की ठग कंपनी ऐसे कर रही थी काम, जानें पूरी कहानी
25 मिलियन पाउंड की दलाली
एहसान अली सईद की कंपनी वेस्टर्न एडवाइजरी ग्रुप स्विट्जरलैंड और बहरीन में स्थित थी. इस कंपनी ने 2008 से 2011 के बीच स्विस कंपनियों को लोन दिलाने के नाम पर करीब 70 मिलियन पाउंड (करीब 735 करोड़ रुपये) के कर्ज की व्यवस्था की और इसके एवज में 25 मिलियन पाउंड (करीब 262 करोड़ रुपये) की दलाली वसूली. रकम हासिल करने के बाद सईद फरार हो गया.
स्विस सरकार के अनुरोध पर नवंबर 2022 को लंदन पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया. इसके बाद जुलाई 2023 में वेस्टमिंस्टर कोर्ट ने उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी. अंततः स्विट्ज़रलैंड की ज़्यूरिख कोर्ट ने सईद को धोखाधड़ी और रकम लेकर फरार होने के आरोप में 6 साल 6 महीने की जेल की सज़ा सुनाई.
हर्षवर्धन की भूमिका और एक्शन
हर्षवर्धन जैन से पूछताछ में पता चला है कि उसका भी एहसान अली से कनेक्शन है. एहसान अली के साथ हर्षवर्धन की संलिप्त की जांच की जा रही है. जैन के भारत और विदेशों में उसके नाम पर कई बैंक खाते खुले हुए हैं, जिनकी जांच की जा रही है. कविनगर थाने में हर्षवर्धन के खिलाफ धारा 318(4), 336(3), 338, 340 में मुकदमा दर्ज है. एसटीएफ उसकी रिमांड लेने की तैयारी में जुटी है.
यह भी पढ़ें: चंद्रास्वामी का चेला निकला गाजियाबाद में फर्जी दूतावास चलाने वाला हर्षवर्धन जैन, 2011 में भी हुआ था गिरफ्तार
यह पूरा मामला हवाला नेटवर्क, शेल कंपनियों और धोखाधड़ी के अंतरराष्ट्रीय रैकेट की गहराइयों तक जाता है, जिसमें भारत से लेकर यूके, तुर्की, स्विट्ज़रलैंड, मॉरीशस और अफ्रीका तक कनेक्शन मिले हैं.