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विदेश मंत्री जयशंकर की बढ़ाई गई सुरक्षा, IB अलर्ट के बाद मिली Z कैटेगरी की सिक्योरिटी

गृह मंत्रालय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इंटेलिजेंस ब्यूरो की थ्रेट रिपोर्ट के बाद विदेश मंत्री जयशंकर की सुरक्षा बढ़ाई गई है. अब सीआरपीएफ के कमांडों उनकी सुरक्षा में मुस्तैद होंगे. बता दें कि  Z कैटेगरी की सुरक्षा में 36 सीआरपीएफ कमांडो तैनात होंगे.

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विदेश मंत्री एस जयशंकर
विदेश मंत्री एस जयशंकर

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने विदेश मंत्री एस जयशंकर की सुरक्षा बढ़ा दी है. विदेश मंत्री की सुरक्षा बढ़ाकर Z कैटेगरी की कर दी गई है. पहले उन्हें Y कैटेगरी की सुरक्षा दी गई थी. 

गृह मंत्रालय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इंटेलिजेंस ब्यूरो की थ्रेट रिपोर्ट के बाद विदेश मंत्री जयशंकर की सुरक्षा बढ़ाई गई है. अब सीआरपीएफ के कमांडो उनकी सुरक्षा में मुस्तैद होंगे. बता दें कि  Z कैटेगरी की सुरक्षा में 36 सीआरपीएफ कमांडो तैनात होंगे.

केंद्र सरकार ने सुरक्षा के लिए पांच कैटेगरी बना रखी है. इसमें X, Y, Y+, Z और Z+ शामिल है. खतरे के हिसाब से व्यक्ति को सुरक्षा दी जाती है. कैटेगरी बढ़ने के साथ-साथ खर्चा भी बढ़ता जाता है. किस कैटेगरी की सुरक्षा पर कितना खर्चा होता है, इसकी कोई सटीक जानकारी नहीं है. हालांकि, अनुमान है कि Z+ कैटेगरी की सुरक्षा पर हर महीने 15 से 20 लाख रुपये का खर्चा आता है.

किस कैटेगरी में कितनी सुरक्षा?

- X कैटेगरी : इसमें दो सुरक्षाकर्मी (कमांडो नहीं) तैनात होते हैं. एक पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर (PSO) शामिल होता है.

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- Y कैटेगरी : इसमें 11 सुरक्षाकर्मी तैनात होते हैं. इसमें एक या दो कमांडो और दो पीएसओ भी शामिल होते हैं.

- Y+ कैटेगरी : 11 सुरक्षाकर्मियों के अलावा एस्कॉर्ट वाहन भी रहता है. एक गार्ड कमांडर और चार गार्ड आवास पर भी तैनात होते हैं.

- Z कैटेगरी : 22 सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं. इसमें 4 से 6 एनएसजी के कमांडो भी शामिल रहते हैं. साथ ही दिल्ली पुलिस और CRPF के जवान भी रहते हैं.

- Z+ कैटेगरी : करीब 58 सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं. इनमें 10 से ज्यादा एनएसजी कमांडो रहते हैं. एक बुलेटप्रूफ कार और 2 एस्कॉर्ट वाहन भी रहते हैं. आवास के बाहर पुलिस कैम्प भी रहता है.

पीएम को मिलती है SPG सुरक्षा

- एसपीजी यानी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप. 1988 में इसका गठन किया गया था. वो इसलिए क्योंकि 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हो गई थी.

- एसपीजी की सुरक्षा व्यवस्था पहले पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके निकटतम करीबियों को भी मिलती थी. लेकिन दो साल पहले एसपीजी एक्ट में संशोधन कर दिया गया था. इसके बाद ये सुरक्षा व्यवस्था सिर्फ मौजूदा प्रधानमंत्री को ही मिलती है.

- एसपीजी की सुरक्षा व्यवस्था को बेहद चाक चौबंद माना जाता है, लेकिन इसमें कितने जवान होते हैं, इसकी संख्या निश्चित नहीं होती. खतरे की आशंका को देखते हुए ये संख्या ऊपर-नीचे होती रहती है. एसीपीजी के बेड़े में गाड़ियां और हवाई जहाज भी शामिल रहते हैं.

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