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दिल्ली में किसान आंदोलन का असर! लाल किला बंद, इन मेट्रो स्टेशन पर भी लटके ताले

दिल्ली-एनसीआर में किसान आंदोलन के चलते ट्रैफिक पर खास असर देखने को मिल रहा है. इसी के चलते दिल्ली की सुरक्षा भी बढ़ा दी गई है. वहीं, सुरक्षा कारणों को देखते हुए दिल्ली में लाला किला को आम जनता के लिए बंद कर दिया गया है. वहीं, दो मेट्रो स्टेशनों पर भी ताले लगा दिए गए हैं.

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आज यानी 13 फरवरी को  किसानों के 'दिल्ली चलो' मार्च की वजह से सभी बॉर्डर सील कर दिए गए हैं. देर रात तक केंद्रीय मंत्रियों और किसान नेताओं के बीच बैठक चली. सरकार ने आंदोलन पर अड़े अन्नदाताओं को समझाने की हर संभव कोशिश की लेकिन 5 घंटे से ज्यादा चली बैठक भी बेनतीजा रही. उसके बाद किसान नेताओं ने आर-पार की जंग का ऐलान करते हुए कह दिया कि दिल्ली कूच होकर रहेगा. किसानों के आंदोलन को देखते हुए दिल्ली-एनसीआर में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है. 

किसानों के आंदोलन के देखते हुए, सुरक्षा कारणों से दिल्ली के लाल किला को आम जनता के लिए बंद कर दिया गया है. साथ ही, लाल किला के मेन गेट पर कई लेयर की बेरिकेडिंग की गई है. लाल किला के गेट पर बस और ट्रक खड़ी कर दी गई है जिससे कोई गाड़ी अंदर दाखिल न हो पाए. वहीं, केंद्रीय सचिवालय मेट्रो स्टेशन के शास्त्री भवन वाले गेट को भी सुरक्षा की दृष्टि से बंद कर दिया गया है. साथ ही, पटेल चौक मेट्रो स्टेशन पर भी ताला लटका दिया गया है.

पटेल चौक मेट्रो स्टेशन और केंद्रीय सचिवालय मेट्रो स्टेशन के साथ-साथ दिल्ली के कुछ और मेट्रो स्टेशनों के गेट बंद कर दिए गए हैं. दिल्ली मेट्रो की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, सुरक्षा कारणों से राजीव चौक, उद्योग भवन, मंडी हाउस, बाराखंभा रोड, जनपथ, खान मार्केट और लोक कल्याण मार्ग मेट्रो स्टेशन के भी कुछ गेट्स बंद किए जा सकते हैं. 

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बता दें, पंजाब, हरियाणा और यूपी से किसान दिल्ली आने लगे हैं. इसकी वजह से दिल्ली से सटी तमाम सीमाओं पर ट्रैफिक जाम लग गया है. दरअसल न्यूनतम समर्थन मूल्य अन्य मांगों को लेकर किसानों का आंदोलन की ये नई किश्त है. किसानों को मनाने के लिए सोमवार को करीब पांच घंटे लंबी वार्ता चली. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और अर्जुन मुंडा इस बैठक में शामिल थे. लेकिन किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी चाहते थे. इसी पर बात बिगड़ गई. इसी के चलते, किसानों ने दिल्ली कूच की शुरुआत कर दी है.

किसानों के दिल्ली कूच को देखते हुए सुरक्षा के सभी इंतजाम किए गए हैं. इसको देखते हुए द्वारका डीसीपी ने बताया कि शहर में धारा 144 लागू हैं. शहर में ट्रैक्टर ट्रॉलियों की अनुमति नहीं है. सोशल मीडिया निगरानी भी की जा रही है. ड्रोन एक प्रभावी उपकरण है सुरक्षा निगरानी के लिए, हम इसका उपयोग करेंगे. 

क्यों इसे कहा जा रहा किसान आंदोलन 2.0?
किसानों ने इस आंदोलन को 'चलो दिल्ली मार्च' का नाम दिया है, लेकिन इसे किसान आंदोलन 2.0 भी कहा जा रहा है. दरअसल, इस किसान आंदोलन का पैटर्न 2020-2021 में हुए किसान आंदोलन से काफी मिलता जुलता है. पिछली बार की तरह ही अलग-अलग राज्यों से किसान इस आंदोलन में शामिल होने वाले हैं. इस बार किसान अपने साथ ट्रैक्टर-ट्राली और राशन भी लेकर आने वाले हैं. यानी पिछली बार की तरह इस बार किसानों का प्लान लंबे समय तक दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर धरना देने का है. हालांकि, इस आंदोलन को पिछली बार की तरह सभी किसान संगठनों का समर्थन प्राप्त नहीं है. यह किसान आंदोलन संयुक्त किसान मोर्चे के बैनर पर नहीं हो रहा है. इसे अलग-अलग किसान संगठन मिलकर आयोजित कर रहे हैं.

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