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'मणिपुर के घाव भरने की जरूरत', राहत शिविर में हिंसा पीड़ितों से मिले राहुल गांधी

कांग्रेस नेता राहुल गांधी दो दिन के मणिपुर दौरे पर पहुंच गए हैं. वे वहां राहत शिविरों में जाकर पीड़ितों से मुलाकात करेंगे. कांग्रेस ने एक बयान में कहा, मणिपुर लगभग दो महीने से हिंसा मे जल रहा है और वहां शांति की जरूरत है ताकि समाज संघर्ष से शांति की ओर लौट सके. यह एक मानवीय त्रासदी है. इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी.

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मणिपुर में हिंसा पीड़ितों से मिलते राहुल गांधी
मणिपुर में हिंसा पीड़ितों से मिलते राहुल गांधी

कांग्रेस नेता राहुल गांधी दो दिन के मणिपुर दौरे पर हैं. वह हेलिकॉप्टर से चुराचांदपुर पहुंचे. यहां वह राहत शिविर में हिंसा पीड़ित लोगों से मिले. जातीय संघर्ष के बाद से राज्यभर में अब तक करीब 50,000 लोग 300 से ज्यादा राहत शिविरों में रह रहे हैं. इससे पहले राहुल इम्फाल एयरपोर्ट से सड़क मार्ग के जरिए चुराचांदपुर जाने के लिए निकले थे. लेकिन बिष्णुपुर में पुलिस ने राहुल के काफिले को रोक लिया था. पुलिस का कहना था कि सुरक्षा कारणों की वजह से राहुल को सड़क मार्ग से आगे नहीं जाने दिया जा सकता. पुलिस के ऐसा करने का पार्टी कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन भी किया था.

हिंसा पीड़ितों से मिलकर राहुल गांधी ने ट्वीट किया, 'मैं मणिपुर में अपने भाइयों-बहनों को सुनने आया हूं. सभी समुदाय के लोगों ने यहां मुझे प्यार दिया. सरकार ने मुझे रोका यह दुर्भाग्यपूर्ण है. मणिपुर को उपचार की जरूरत है. शांति हमारी एकमात्र प्राथमिकता होनी चाहिए.'

हमले के डर से नहीं मिली थी सड़क मार्ग से जाने की इजाजत

इससे पहले मणिपुर पुलिस ने राहुल के काफिले को बिष्णुपुर के पास रोक दिया था. बिष्णुपुर के एसपी ने बताया था कि राहुल समेत किसी को सड़क मार्ग से आगे नहीं जाने दिया जा सकता है. हमारे लिए उनकी सुरक्षा प्राथमिकता में है. आगजनी हुई है और कल रात भी हालात बदतर थे. तब राहुल इम्फाल से करीब 20 किमी ही आगे बढ़ पाए थे. 

फिर लंबी जद्दोजहद के बाद राहुल का काफिला वापस इम्फाल हवाई अड्डे की तरफ लौटा. और हेलिकॉप्टर से राहुल चुराचांदपुर पहुंचे.

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'मणिपुर को शांति की जरूरत है, टकराव की नहीं'

राहुल को इजाजत ना मिलने पर मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्वीट किया, 'पीएम मोदी ने मणिपुर पर अपनी चुप्पी तोड़ने की जहमत नहीं उठाई है. उन्होंने राज्य को अपने हाल पर छोड़ दिया है. अब उनकी डबल इंजन वाली विनाशकारी सरकारें सहानुभूति की सोच रखने वाले राहुल गांधी को रोकने के लिए निरंकुश तरीकों का इस्तेमाल कर रही हैं. यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है और सभी संवैधानिक और लोकतांत्रिक मानदंडों को तोड़ती हैं. मणिपुर को शांति की जरूरत है, टकराव की नहीं.'

बीजेपी बोली- राहुल का मणिपुर में विरोध

बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा था कि राहुल गांधी की यात्रा का मणिपुर में कई नागरिक समाज संगठनों और छात्र संघों ने कड़ा विरोध किया है. इसे ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने राहुल से सड़क मार्ग के बजाय चुराचांदपुर जाने के लिए हेलिकॉप्टर से जाने का अनुरोध किया है, क्योंकि विभिन्न ग्रुप उनकी यात्रा का विरोध कर रहे हैं. राहुल सड़क मार्ग से जाने की जिद पर अड़े हैं. राजनीतिक लाभ के लिए 'जिद्दी' बनने से ज्यादा महत्वपूर्ण है संवेदनशील स्थिति को 'समझना' देखना. हेलिकॉप्टर टिकट की कीमत सिर्फ 2500/- रुपये है.

प्रियंका गांधी ने साधा सरकार पर निशाना

राहुल को रोके जाने पर प्रियंका गांधी ने ट्वीट में लिखा कि देश में शांति और भाईचारे के प्रयास करना हर एक देशप्रेमी का कर्तव्य है, राहुल गांधी मणिपुर के नागरिकों का दर्द साझा करने व शांति का संदेश फैलाने गए हैं. भाजपा सरकार को भी यही करना चाहिए. सरकार राहुल गांधी को क्यों रोकना चाहती है?

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दो दिन के दौरे पर मणिपुर पहुंचे हैं राहुल

राहुल आज से दो दिन के मणिपुर के दौरे पर पहुंचे हैं. वे गुरुवार सुबह दिल्ली से फ्लाइट से मणिपुर के लिए रवाना हुए. राहुल 29 और 30 जून को मणिपुर दौरे पर रहेंगे. वहां वे राहत शिविरों का दौरा करेंगे और पीड़ितों का हाल जानेंगे. इसके अलावा, राहुल मणिपुर की राजधानी इम्फाल और चुराचांदपुर में सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करेंगे. राहुल को तुइबोंग की ग्रीनवुड अकादमी और चुराचांदपुर के सरकारी कॉलेज जाएंगे. उसके बाद कोन्जेंगबाम में सामुदायिक हॉल और मोइरांग कॉलेज पहुंचेंगे.

बता दें कि पूर्वोत्तर का राज्य मणिपुर 58 दिन दिन से हिंसा की आग में जल रहा है. यहां हिंसा में 120 लोग जान गंवा चुके हैं. बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं. इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी मणिपुर का दौरा किया था और राहत कैंपों में जाकर पीड़ितों की बात सुनी थी. एक हफ्ते पहले गृह मंत्री ने दिल्ली में मणिपुर की स्थिति को लेकर 18 पार्टियों के साथ सर्वदलीय बैठक की थी. इस बैठक में सपा और आरजेडी ने मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह के इस्तीफे की मांग की थी. साथ ही मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने की भी मांग की थी.

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मणिपुर के सीएम ने केंद्रीय गृह मंत्री को बताए थे हालात

इससे पहले दिल्ली में सर्वदलीय बैठक के अगले दिन मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह ने गृह मंत्री शाह की मुलाकात की थी और हालात के बारे में जानकारी दी थी. गृह मंत्री से मुलाकात के बाद सीएम बीरेन सिंह ने ट्वीट किया और बताया कि दिल्ली में मणिपुर में जमीनी स्तर पर बनी स्थिति के बारे में जानकारी दी है. अमित शाह जी की कड़ी निगरानी में राज्य और केंद्र सरकार पिछले सप्ताह में हिंसा को काफी हद तक नियंत्रित करने में सक्षम रही है. 13 जून के बाद से हुई हिंसा में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है. बीरेन सिंह ने कहा, केंद्रीय गृह मंत्री ने आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार मणिपुर में शांति बनाए रखने के लिए हरसंभव कदम उठाएगी. उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए मणिपुर में प्रत्येक हितधारकों से सहयोग भी मांगा है कि राज्य में शांति बनी रहे.

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इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार रात को अमेरिका और मिस्र के पांच दिवसीय दौरे से लौटने के बाद मणिपुर के हालात के बारे में जानकारी ली थी. उन्होंने जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए थे.

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विपक्ष उठा रहा है सवाल

मणिपुर में सबसे पहले तीन मई को हिंसा भड़की थी, उसके बाद से विपक्ष लगातार प्रदेश की स्थिति को लेकर सवाल उठा रहा है. विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार और बीजेपी को निशाना बना रही हैं. इन पार्टियों ने विदेश दौरे से पहले पीएम मोदी से भी मिलने के वक्त मांगा था. इसके बाद सभी पार्टियों ने मिलकर मणिपुर पर ज्ञापन जारी किया था. इस सबके बीच गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्षी दलों की बैठक बुलाई थी और मणिपुर के हालात जल्द सामान्य होने के भरोसा दिलाया था.

कब से जल रहा है मणिपुर? 

- तीन मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने 'आदिवासी एकता मार्च' निकाला. ये रैली चुरचांदपुर के तोरबंग इलाके में निकाली गई. 
- इसी रैली के दौरान आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प हो गई. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे. 
- तीन मई की शाम तक हालात इतने बिगड़ गए कि राज्य सरकार ने केंद्र से मदद मांगी. बाद में सेना और पैरामिलिट्री फोर्स की कंपनियों को वहां तैनात किया गया. 
- ये रैली मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ निकाली गई थी. मैतेई समुदाय लंबे समय से अनुसूचित जनजाति यानी एसटी का दर्जा देने की मांग हो रही है. 
- पिछले महीने मणिपुर हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस एमवी मुरलीधरन ने एक आदेश दिया था. इसमें राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग पर विचार करने को कहा था. इसके लिए हाईकोर्ट ने सरकार को चार हफ्ते का समय दिया है. 
- मणिपुर हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद नगा और कुकी जनजाति समुदाय भड़क गए. उन्होंने 3 मई को आदिवासी एकता मार्च निकाला. 

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मैतेई क्यों मांग रहे जनजाति का दर्जा? 

- मणिपुर में मैतेई समुदाय की आबादी 53 फीसदी से ज्यादा है. ये गैर-जनजाति समुदाय है, जिनमें ज्यादातर हिंदू हैं. वहीं, कुकी और नगा की आबादी 40 फीसदी के आसापास है. 
- राज्य में इतनी बड़ी आबादी होने के बावजूद मैतेई समुदाय सिर्फ घाटी में ही बस सकते हैं. मणिपुर का 90 फीसदी से ज्यादा इलाकी पहाड़ी है. सिर्फ 10 फीसदी ही घाटी है. पहाड़ी इलाकों पर नगा और कुकी समुदाय का तो घाटी में मैतेई का दबदबा है.
- मणिपुर में एक कानून है. इसके तहत, घाटी में बसे मैतेई समुदाय के लोग पहाड़ी इलाकों में न बस सकते हैं और न जमीन खरीद सकते हैं. लेकिन पहाड़ी इलाकों में बसे जनजाति समुदाय के कुकी और नगा घाटी में बस भी सकते हैं और जमीन भी खरीद सकते हैं. 
- पूरा मसला इस बात पर है कि 53 फीसदी से ज्यादा आबादी सिर्फ 10 फीसदी इलाके में रह सकती है, लेकिन 40 फीसदी आबादी का दबदबा 90 फीसदी से ज्यादा इलाके पर है.

 

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