गुजरात में कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी को बड़ी राहत मिली है. अदालत ने सात साल पुराने एक मामले में उन्हें बरी कर दिया है. मामला ट्रेन रोकने से जुड़ा हुआ था.
अहमदाबाद की मेट्रो कोर्ट ने इस मामले में जिग्नेश मेवाणी समेत 31 लोगों को बरी कर दिया है. मामला 2017 में राजधानी ट्रेन रोकने का था. आरोप था कि जिग्नेश मेवाणी ने गैरकानूनी तरीके से इकट्ठे होकर कालूपुर रेलवे स्टेशन पर राजधानी ट्रेन को रोका था. ये ट्रेन अहमदाबाद से नई दिल्ली जा रही थी.
जानकारी के मुताबिक, जिग्नेशन मेवाणी और प्रदर्शनकारी ट्रेन के इंजन पर चढ़ गए थे और रेलवे ट्रैक पर लेटकर ट्रेन को बाधित कर दिया था. इन सभी पर आईपीसी की धारा 143 (गैरकानूनी सभा), 147 (दंगा), 149 (सामान्य वस्तु गैरकानूनी सभा) और 332 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) के तहत मामला दर्ज किया गया था.
मामले पर सुनवाई के 7 साल बाद इस पर फैसला आया है. अहमदाबाद की मेट्रो कोर्ट ने जिग्नेश मेवाणी और 31 अन्य आरोपियों को 'संदेह का लाभ' देते हुए बरी कर दिया है.
वडगाम सीट से विधायक हैं मेवाणी
गुजरात में दलित राजनीति का चेहरा माने जाने वाले जिग्नेश मेवानी कांग्रेस के टिकट पर वडगाम सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे. यहां उनको जीत मिली है. जिग्नेश मेवानी ने 4928 वोटों से बीजेपी के मणिलाल वाघेला को हराया. मेवानी 2017 में वडगाम सीट पर निर्दलीय विधायक बने थे, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें समर्थन किया था. जिग्नेश मेवानी कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं और राहुल गांधी के करीबी नेता माने जाते हैं.