सिविल एविएशन मंत्रालय ने इंडिगो एयरलाइन की 10% फ्लाइट्स में कटौती का निर्देश जारी किया है. ये फैसला मंगलवार शाम को हुई हाई-लेवल मीटिंग में लिया गया, जिसमें इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स को तलब किया गया था. इसके अलावा इंडिगो को बुधवार शाम 5 बजे तक DGCA को एक बदला हुआ शेड्यूल जमा करने का भी निर्देश दिया गया है.
बताया जा रहा है कि मंत्रालय के इस फैसले का सीधा असर इंडिगो की रोजना उड़ने वाली करीब 2200 फ्लाइट्स पर पड़ेगा. यानी लगभग 220 फ्लाइट्स घट जाएंगी.
दरअसल, पिछले एक हफ्ते से ज्यादा समय से इंडिगो की उड़ानें रद्द हो रही हैं. 2 दिसंबर से अब तक कई हजार ज्यादा फ्लाइट्स कैंसिल हो चुकी हैं, जिसमें मंगलवार को ही 400 से अधिक उड़ानें प्रभावित हुईं. दिल्ली, बेंगलुरु, मुंबई, हैदराबाद और चेन्नई जैसे हवाई अड्डों पर हाहाकार मच गया. इंडिगो ने अब तक 827 करोड़ रुपये रिफंड कर चुकी है, लेकिन यात्रियों की परेशानी का क्या?.
सुविधा के लिए होते हैं उपाय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार सुबह कहा, 'किसी भी बेगुनाह भारतीय को किसी भी कानून या नियम की वजह से परेशानी का सामना नहीं करना चाहिए और ऐसे उपाय हमेशा आम लोगों की सुविधा के लिए होने चाहिए.'
इसके बाद लोकसभा में नागरिक उड्डयन मंत्री ने कहा कि सरकार किसी को नहीं बख्शेगी. शाम को सिविल एविएशन मंत्रालय की हाईलेवल मीटिंग में इंडिगो के CEO को तलब किया गया और फिर इंडिगो की 10 फीसदी उड़ानों में कटौती का फैसला ले लिया गया.
उधर, इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स जो अपने ग्राहकों से माफी मांगते हुए एक और मौका दिए जाने की वकालत करते फिर रहे हैं, लेकिन अभी तक ये बताने की स्थिति में नहीं हैं कि आखिर ऐसा हुआ कैसे?
एयरलाइंस को तलब कर सकती है संसदीय समिति
वहीं, सरकार ने ये भी कहा कि इंडिगो ने नए नियमों को लेकर सरकार को अंधेरे में रखा. नए नियमों के पालन करने की हामी भरी ली, लेकिन उसे लागू नहीं कर सकी और हालात बद से बदतर हो गए. सरकार की तरह अब इंडिगो कांड पर संसदीय समिति भी सख्त रुख अपनाते हुए सभी एयरलाइंस और DGCA को तलब करने जा रही है.
नागरिक उड्डयन मंत्री ने लोकसभा में बताया कि इंडिगो की तरफ से नए नियमों का पालन करने की बात कही गई, लेकिन उसे लागू नहीं किया गया.
क्या बोले एक्सपर्ट
कई एक्सपर्ट ने आरोप लगाया कि इंडिगो ने ऐसा सरकार पर दबाव बनाने के लिए किया. मार्केट में अपने बड़े शेयर का दमखम दिखाने की कोशिश की, लेकिन सरकार ने हंटर चला दिया. ऐसा करके सरकार ने दिखा दिया कि यात्रियों की सुरक्षा को लेकर वो समझौता नहीं करेगी.
कई रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि सरकार का हंटर अभी नहीं रुकेगा. सरकार इंडिगो पर 1000 करोड़ का जुर्माना भी लगा सकती है.
चर्चा ये भी है कि सरकार से लेकर संसदीय समिति इंडिगो संकट की तह तक में जाने की बात कर रही है. इसके अलावा इंडिगो पर भारी जुर्माना लगाने की भी संभावना पर भी विचार करने के दावे हो रहे हैं, लेकिन सवाल मुसाफिरों के विश्वास का है. जिसे दोबारा हासिल करने में इंडिगो जैसी बड़ी एयरलाइंस को भी बहुत मेहनत करनी होगी.
एएलपीए इंडिया के महासचिव कैप्टन अनिल राव ने कहा, 'आज हमारे पास इंडिगो के लिए एक कानून है और दूसरे ऑपरेटरों के लिए दूसरा. उड़ानों की मांग पूरी करने के लिए हम सुरक्षा से समझौता कर रहे हैं और यह यात्रियों के लिए सही नहीं है.'
दूसरी एयरलाइंस ने बढ़ाया किराया
सदन में इंडिगो क्राइसिस के बीच दूसरी एयरलाइंस द्वारा बढ़ाए किराए का मुद्दा भी गुंजा. एक ओर देश भर में इंडिगो संकट से हाहाकार मचा हुआ था तो दूसरी एयरलाइंस ने बिजी रूट पर किराए बढ़ा दिए. जब सरकार तक बात पहुंची तो उसने किराए की दरें तय की गईं और कार्रवाई की बात कही गई, जिसे संसद में दोहराया भी गया, लेकिन जब नागरिक उड्डयन मंत्री ने एविएशन सेक्टर का गुणगान किया तो विपक्ष ने सदन से वॉक आउट कर दिया.
इंडिगो क्राइसिस जारी
इंडिगो की फ्लाइट कैंसिल होने का सिलसिला आज भी जारी रहा. देशभर में आज 400 से ज्यादा फ्लाइट्स कैंसिल हुईं. इंडिगो के CEO पीटर एल्बर्स ने कहा कि इंडिगो फिर से पटरी पर आ गया है, और हमारा ऑपरेशन स्थिर हो रहा है और वो सरकार के साथ सहयोग कर रहे हैं, लेकिन सरकार का जो फैसला है, उसका बड़ा असर होगा. इंडिगो देश की सबसे बड़ी एयरलाइंस है.