सुप्रीम कोर्ट ने हाई-प्रोफाइल कैश फॉर वोट स्कैम में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू को राहत प्रदान की है. कोर्ट ने इस मामले में चंद्रबाबू नायडू को आरोपी के रूप में शामिल करने और जांच को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपने की मांग करने वाली 2 याचिकाओं को खारिज कर दिया.
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) के नेता अल्ला रामकृष्ण रेड्डी द्वारा दायर याचिकाओं को जस्टिस सुंदरेश की अगुवाई वाली बेंच ने खारिज कर दिया. बेंच ने न केवल याचिकाओं को खारिज कर दिया, बल्कि रेड्डी को कड़ी चेतावनी भी दी, जिसमें उन्हें न्यायपालिका का राजनीतिक लाभ के लिए मंच के रूप में इस्तेमाल करने के खिलाफ आगाह किया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा, जिसने कैश फॉर वोट घोटाले में चंद्रबाबू नायडू को फंसाने की रेड्डी की याचिका को खारिज कर दिया था. ॉ
सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा, एडवोकेट प्रेरणा सिंह और चंद्रबाबू नायडू के एडवोकेट गुंटूर प्रभाकर सहित सभी पक्षों के वकीलों को सुनने के बाद बेंच ने दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया. वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के विधायक रेड्डी ने विशेष न्यायाधीश के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी और मामले में टीडीपी प्रमुख नायडू को आरोपी बनाने की मांग की थी.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 2015 में कैश-फॉर-वोट कांड हुआ था. YSRCP नेता रेड्डी ने हैदराबाद में एसीबी अदालत से शिकायत की थी. हालांकि कैश-फॉर-वोट स्कैम में एसीबी की पहली रिपोर्ट में चंद्रबाबू नायडू का नाम लिया गया था, लेकिन जांच एजेंसी ने उन्हें आरोपी के रूप में नामित नहीं किया था.
हैदराबाद में एसीबी कोर्ट के प्रमुख विशेष न्यायाधीश ने 29 अगस्त 2016 को तेलंगाना एसीबी को मामले की जांच करने और अपनी रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. हालांकि हाईकोर्ट ने चंद्रबाबू नायडू को बड़ी राहत देते हुए शिकायत और एसीबी अदालत के आदेश को रद्द कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि रेड्डी के पास उक्त मामले में चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ जांच की मांग करने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि वह पीड़ित पक्ष नहीं हैं या किसी भी तरह से मामले से संबंधित नहीं हैं.